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Swami Narendranand: केवल कथा सुनना नहीं, उस पर चिंतन-मनन भी जरूरी

Swami Narendranand: स्वामी नरेंद्रानंद ने हावड़ा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि केवल कथा सुनना काफी नहीं, बल्कि उसका गहन चिंतन और आत्मचिंतन जरूरी है.जब तक हम कथाओं को जीवन में नहीं उतारते, तब तक सत्संग का वास्तविक लाभ नहीं मिलता.

Swami Narendranand: हावड़ा स्थित लक्ष्मी वाटिका में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की पश्चिम बंगाल शाखा द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर संस्थान के राष्ट्रीय सचिव स्वामी नरेंद्रानंद ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “जब तक हम सत्संग और कथाओं को अपने जीवन में नहीं उतारते, तब तक उसका कोई वास्तविक लाभ नहीं होता.”

स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा कि हम संसार को तो खूब जानते हैं, लेकिन अपने भीतर झांकने की कोशिश नहीं करते. उन्होंने कबीर दास का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने कभी स्कूल-कॉलेज नहीं देखा, फिर भी उनकी वाणी आज भी उतनी ही सारगर्भित और प्रासंगिक है, जितनी छह सौ साल पहले थी. आज विश्व की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों में कबीर पर शोध हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने “स्वयं को जाना” था.

उन्होंने आगे कहा कि “लोग कथा सुनने आते हैं, लेकिन कथा का सार जीवन में उतारना ही सच्चा सत्संग है. सात दिन तक भागवत कथा सुनने के बाद अगर हमारी सोच नहीं बदली, तो यह केवल उपस्थिति मात्र बनकर रह जाती है.” उन्होंने यह भी कहा कि केवल सुनना और गाना काफी नहीं, कथा का चिंतन और मनन आवश्यक है, तभी उसका वास्तविक प्रभाव जीवन में उतरता है.

स्वामी जी ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण से शरीर और आत्मा के संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम अपने शरीर को सजाने में लगे हैं, लेकिन उसके भीतर जो चेतन सत्ता है, उसे जानने की चेष्टा नहीं करते.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “शरीर के बाहर निकलने के सारे रास्ते खुले हैं, पर अंदर जाने के मार्ग हमने खुद बंद कर रखे हैं.”

इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे, जिनमें राज्य सरकार के मंत्री बेचाराम मन्ना, अरूप राय, पूर्व रेलवे के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक डॉ. उदय शंकर झा, विधायक गौतम चौधरी, हावड़ा मंडल के डीआरएम संजीव कुमार, कावेरी दास, अजय भट्टाचार्य, सुबीर मुखर्जी, असीमा पात्रा, अरविंदर गुई, डॉ. सुजय चक्रवर्ती, डॉ. हरेंद्र सिंह और धर्मेंद्र सिंह शामिल थे.

इस सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन गोविंद मुंशी और पूनम मुंशी द्वारा किया गया था, जबकि मंच संचालन प्रभु चैतन्यानंद ने किया.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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