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Vat Savitri Purnima 2025 का पहली बार रख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान

Vat Savitri Purnima 2025 : यदि आप वट सावित्री व्रत पहली बार कर रही हैं, तो श्रद्धा, नियम और धार्मिक भावना के साथ इस व्रत को करें.

Vat Savitri Purnima 2025 : वट सावित्री व्रत, सनातन धर्म में नारी शक्ति की आस्था, समर्पण और पति के लिए अखंड सौभाग्य की कामना का प्रतीक है. यह व्रत महर्षि सावित्री की उस अमर कथा पर आधारित है, जिसमें उन्होंने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था. वट वृक्ष के नीचे बैठकर उपवास, पूजन और व्रत कथा श्रवण इस दिन के प्रमुख अनुष्ठान होते हैं. यदि आप इस व्रत को पहली बार कर रही हैं, तो आपको कुछ धार्मिक नियमों और परंपराओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानें वट सावित्री व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण धार्मिक बातें:-

– व्रत का शुद्ध संकल्प और नियमों का पालन

व्रत प्रारंभ करने से पूर्व श्रद्धा और निष्ठा के साथ संकल्प लें. संकल्प का अर्थ है – दिनभर उपवास रखकर, पवित्रता का पालन करते हुए व्रत कथा को सुनना व पूजन करना. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और पवित्र भाव से उपवास रखें। व्रत के दिन किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, क्रोध या अपवित्रता से बचना चाहिए.

– वट वृक्ष (बरगद) का पूजन

इस दिन वट वृक्ष की पूजा का अत्यंत महत्व है. महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. पूजन के लिए कच्चा सूत (धागा), लाल चूड़िया, हल्दी, रोली, फूल, मिठाई, जल कलश, अक्षत आदि की व्यवस्था करें. वट वृक्ष को जल चढ़ाकर 7 या 108 बार परिक्रमा करें और सूत लपेटें.

– सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण

इस व्रत का मूल आधार सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा है. व्रत के दौरान इस कथा का श्रवण और पाठ अनिवार्य माना गया है. कथा से यह सीख मिलती है कि नारी के संकल्प, तप और प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि वह मृत्यु जैसे बल को भी पराजित कर सकती है.

– श्रद्धा से रखें उपवास और करें दान

वट सावित्री व्रत में उपवास का विशेष महत्व है. यदि स्वास्थ्य अनुमति दे, तो निर्जल व्रत करें, अन्यथा फलाहार ले सकते हैं. शाम को पूजन के बाद सुहागिनों को वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, फल एवं दक्षिणा का दान करें. यह दान पति की दीर्घायु और सौभाग्य की रक्षा करता है.

– पूजन के बाद करें पति का आशीर्वाद ग्रहण

पूजन के पश्चात पति के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें. यह परंपरा विवाह-संस्कार की मर्यादा और पत्नी के समर्पण को दर्शाती है. साथ ही, यह गृहस्थ जीवन में प्रेम, विश्वास और धर्म की भावना को दृढ़ करता है.

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यदि आप वट सावित्री व्रत पहली बार कर रही हैं, तो श्रद्धा, नियम और धार्मिक भावना के साथ इस व्रत को करें. यह व्रत नारी शक्ति, प्रेम और त्याग का पर्व है, जो गृहस्थ जीवन को सुख, समृद्धि और सौभाग्य से भर देता है.

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