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T20 World Cup: क्विंटन डिकॉक ने मांगी माफी, कहा- मैं नस्लवादी नहीं, घुटने के बल बैठने को तैयार हूं

उन्होंने कहा कि मैं वर्ल्ड कप के बाकी मैचों के लिए उपलब्ध रहूंगा. यदि मेरे घुटने के बल बैठने से दूसरों को शिक्षित करने में मदद मिलती है तो उन्हें इसमें दिक्कत नहीं है.

शारजाह : दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक ने अपने उस बयान के लिए माफी मांगी है जो उन्होंने घुटने के बल पर बैठने से मना करने के बाद दिया था. बता दें कि टी-20 वर्ल्ड कप में टीमें नस्लवाद के खिलाफ एक मुहिम के तहत मैच से पहले घुटनों के बल बैठ कर समर्थन दे रहे हैं. डिकॉक ने कहा कि वह दूसरों की मदद के लिए घुटने के बल बैठने को तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि मैं वर्ल्ड कप के बाकी मैचों के लिए उपलब्ध रहूंगा. यदि मेरे घुटने के बल बैठने से दूसरों को शिक्षित करने में मदद मिलती है तो उन्हें इसमें दिक्कत नहीं है. डिकॉक ने कहा कि इससे पहले इस तरह बैठने से इन्कार करने पर उन्हें नस्लवादी कहा गया जिससे उन्हें काफी पीड़ा पहुंची है. यह विकेटकीपर बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीका के वेस्टइंडीज के खिलाफ दुबई में खेले गये सुपर 12 के ग्रुप एक मैच से हट गये थे.

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क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) ने खिलाड़ियों को नस्लवाद के विरोध में प्रत्येक मैच से पहले घुटने के बल बैठने का निर्देश दिया था जिसके बाद डिकॉक ने यह निर्णय किया था. डिकॉक ने सीएसए द्वारा जारी बयान में कहा कि मैं जिस पीड़ा, भ्रम और गुस्से का कारण बना, उसके लिए मुझे गहरा खेद है. मैं अब तक इस महत्वपूर्ण मसले पर चुप था. लेकिन मुझे लगता है कि अब मुझे अपनी बात को थोड़ा स्पष्ट करना होगा.

उन्होंने कहा कि जब भी हम विश्व कप में खेलने के लिए जाते हैं तो ऐसा कुछ होता है. यह उचित नहीं है. मैं अपने साथियों, विशेषकर कप्तान तेम्बा (बावुमा) का सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूं. लोग शायद पहचान न पाएं, लेकिन वह एक शानदार कप्तान है. अगर वह और टीम और दक्षिण अफ्रीका मेरे साथ होंगे, तो मैं अपने देश के लिए फिर से क्रिकेट खेलने के अलावा और कुछ नहीं चाहूंगा.

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टीम प्रबंधन ने पहले नहीं दी थी जानकारी

डिकॉक ने अपने बयान में कहा कि उनके लिए अश्वेतों की जिंदगी अंतरराष्ट्रीय अभियान के कारण नहीं बल्कि उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण उनके लिए मायने रखती है. डिकॉक ने स्पष्ट किया कि जिस तरह से मैच से कुछ घंटे पहले खिलाड़ियों के लिए आदेश जारी किया गया उस रवैये के कारण उन्होंने मैच से पहले घुटने के बल बैठने से इन्कार किया था.

मैं भी मिश्रित जाति वाले परिवार से आता हूं

उन्होंने कहा कि जो नहीं जानते हैं, उन्हें मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं एक मिश्रित जाति परिवार से आता हूं. मेरी सौतेली बहनें अश्वेत हैं और मेरी सौतेली मां अश्वेत है. अश्वेत जीवन मेरे जन्म से ही मेरे लिए मायने रखता है. सिर्फ इसलिए नहीं कि एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है. इस 28 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि उन्हें लगा कि सीएसए ने उनकी स्वतंत्रता का अतिक्रमण किया है, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों से विस्तार से बात करने के बाद उनका दृष्टिकोण अब बदल गया है.

भाषा इनपुट के साथ

Prabhat Khabar Digital Desk
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