25.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पांच साल में दो गुना से ज्यादा हुआ बिहार का जीएसडीपी, जीडीपी में टैक्स संग्रह का योगदान 10 प्रतिशत से भी कम

राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पिछले पांच साल में दो गुना से ज्यादा हो गया है और यह लगातार बढ़ रहा है. वर्तमान में यह सात लाख 57 हजार करोड़ रुपये है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में यह तीन लाख 72 हजार करोड़ था. फिर भी इस अनुपात में राज्य का टैक्स संग्रह नहीं बढ़ा है.

कौशिक रंजन, पटना. राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पिछले पांच साल में दो गुना से ज्यादा हो गया है और यह लगातार बढ़ रहा है. वर्तमान में यह सात लाख 57 हजार करोड़ रुपये है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में यह तीन लाख 72 हजार करोड़ था. फिर भी इस अनुपात में राज्य का टैक्स संग्रह नहीं बढ़ा है. जीएसडीपी में राज्य से संग्रह होने वाले सभी तरह के टैक्स का योगदान 10 फीसदी से भी कम है.

इसके दो मतलब साफ हैं, पहला- राज्य में टैक्स देने वालों की संख्या काफी कम है. दूसरा- राज्य में इनफॉर्मल इकोनॉमी का दायरा काफी बड़ा है, जिसे नियमानुसार टैक्स के दायरे में लाने की जरूरत है. साथ ही सूबे में आयकर या अन्य तरह के टैक्स नहीं देने वालों की संख्या भी काफी है. इन्हें भी टैक्स दायरे में लाने की जरूरत है. सही टैक्स क्षमता का आकलन करते हुए इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य का टैक्स संग्रह जीएसडीपी के 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाया है. यह करीब सात प्रतिशत के आसपास ही है.

वर्तमान में राज्य को अपने सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाले आंतरिक टैक्स के रूप में साढ़े 37 हजार करोड़ रुपये आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा वाणिज्य कर से साढ़े 27 हजार करोड़, निबंधन से पांच हजार करोड़, परिवहन से ढाई हजार करोड़ एवं भूमि राजस्व से 500 करोड़ रुपये के अलावा ईंट भट्टा, बालू एवं गिट्टी से करीब एक हजार 700 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं. हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित टैक्स संग्रह के इस लक्ष्य से थोड़ी कम राशि लॉकडाउन समेत अन्य कारणों से पिछले वित्तीय वर्षों में प्राप्त हुई थी.

राज्य के सभी आंतरिक टैक्स स्रोतों को छोड़कर आयकर के रूप में बिहार से करीब साढ़े 11 से 12 हजार करोड़ रुपये और सेंट्रल जीएसटी से एक हजार 200 करोड़ लगभग सालाना प्राप्त होते हैं. ये दोनों टैक्स केंद्र सरकार की एजेंसी वसूलती है. इस तरह बिहार में केंद्र और राज्य सरकार के विभाग मिलकर करीब साढ़े 52 हजार करोड़ रुपये ही साल में वसूल पाते हैं, जो कुल जीएसडीपी का सात प्रतिशत ही है.

बिहार का टैक्स आधार काफी कम

अर्थशास्त्री अमित कुमार बख्शी ने कहा कि बिहार का टैक्स आधार काफी कम है. यहां टैक्स देने वालों की संख्या भी काफी कम है क्योंकि बड़ी आबादी का प्रतिव्यक्ति आय कम है. यहां इनफॉर्मल इकोनॉमी ज्यादा है, जिसे नियमित कर टैक्स दायरे में लाने की जरूरत है. मार्केट स्ट्रक्चर कमजोर होने और इंडस्ट्री नहीं होने के कारण भी जीएसडीपी में टैक्स अनुपात नहीं बढ़ रहा है. इससे जुड़ा दूसरा पहलू यह भी बताता है कि बिहार में होने वाली आय नीचे के तबके तक पहुंच रही है. विकास समावेशी है और निचले तबके का विकास ज्यादा हुआ है.

वित्तीय सलाहकार प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्य का बड़ा वर्ग ऐसा है, जो आयकर के दायरे से बाहर है. बड़ी संख्या में लोग टैक्स कम देते या नहीं देते हैं. टैक्स बेस बढ़ाने के लिए छूटे हुए या टैक्स दायरे से बाहर के लोगों का मूल्यांकन कर इन्हें टैक्स ब्रैकेट में लाने की आवश्यकता है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel