21.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रामनाम वाले भोज्य पदार्थों से समृद्ध बिहार-झारखंड : हमारी लोक परंपरा में बसे श्रीराम के प्रति स्नेह के परिचायक

चतुर रसोइया नाना प्रकार के व्यंजन बारातियों को परोसने लगे, उनका नाम भला कौन जानता है? चार प्रकार के चर्व्य यानी चबा कर के, चोष्य यानी चूस कर खाने वाले, लेह्य यानी चाट कर और पेय यानी पीने वाले भोज्य पदार्थ परोसे गये.

रविशंकर उपाध्याय : बिहार-झारखंड में तो राम के नाम से न केवल खाद्य पदार्थ हैं, बल्कि व्यंजनों की शुरुआत भी राम के नाम से होती है. भिंडी को रामतोरई, बेसन की सब्जी को रामरूच या रामसालन और नमक को रामरस कह कर पुकारा जाता है. यह हमारी लोक परंपरा में बसे श्रीराम जी के प्रति स्नेह का परिचायक है. श्रीराम पूरी दुनिया के लिए ईश्वर हैं, लेकिन इस रीजन के लिए दामाद भी हैं, क्योंकि उनकी बारात अयोध्या से यहीं मिथिला में आयी थी. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस, दोनों ग्रंथों में कहा गया है कि जब श्रीराम जी की बारात यहां आयी, तो उनको नाना प्रकार के खाद्य पदार्थ भेंट किये गये. गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं-

परूसन लगे सुआर सुजाना।

बिंजन विविध नामको जाना।।

चारि भांति भोजन विधि गाई।

एक एक विधि बरनि न जाई।।

अर्थात चतुर रसोइया नाना प्रकार के व्यंजन बारातियों को परोसने लगे, उनका नाम भला कौन जानता है? चार प्रकार के चर्व्य यानी चबा कर के, चोष्य यानी चूस कर खाने वाले, लेह्य यानी चाट कर और पेय यानी पीने वाले भोज्य पदार्थ परोसे गये.

जो व्यंजन श्रीरामजी को पसंद आये, वे उन्हीं के नाम से खास व्यंजन के रूप में लोक-व्यवहार में प्रचलित हो गये. बिहार के मिथिला में बेसन की सूखी सब्जी को रामरूच और तरीवाली सब्जी को रामसालन कहा जाता है. इस नामकरण के पीछे श्रीराम को रुचिकर लगने का मनोविज्ञान भी स्पष्ट दिखाई पड़ता है. भिंडी को रामतोरई और नमक को रामरस कहने के पीछे का सार भी श्रीराम जी से जुड़ा होना इंगित करता है.

Also Read: रामभक्ति में सब लीन, पताकों से सजे चौक, राजधानी रांची में रामलला के स्वागत की ऐसी है तैयारी

रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने बताया है कि भगवान श्रीराम को चावल और दाल बहुत पसंद थे. जब दशरथ जी अपने पुत्रों के साथ बारात आने के बाद जनक जी के राजमहल में पधारते हैं, तो बालकांड में तुलसी लिखते हैं कि-

सुपोदन सुरभि सरपि सुंदर स्वादु पुनीत।

छन महुं सबके परूसि, गे चतुर सुआर बिनित।।

यानी चतुर और विनीत रसोइए सुंदर, स्वादिष्ट और पवित्र दालभात और गाय का सुगंधित घी क्षणभर में सबके सामने परोसे गये, यह सभी को बेहद पसंद आता है. आज भी बिहार-झारखंड में मुख्य रूप से चावल और दाल ही मुख्य भोजन के रूप में प्रचलित है. बालकांड में दही-चूड़ा का बहुत सुंदर जिक्र करते हुए तुलसीदास लिखते हैं-

‘मंगल सगुन सुगंध सुहाये, बहुत भांति महिपाल पठाये,

दधि चिउरा उपहार अपारा, भरि-भरि कांवरि चले कहारा।’

श्रीरामचरितमानस के बालकांड में राम-विवाह का यह वह प्रसंग है. जब श्रीराम की बारात अयोध्या से चलती है, तो राजा जनक रास्ते में बारातियों के लिए कई जगह ठिकाने बनवाते हैं, जहां तरह-तरह के खानपान का प्रबंध होता है. जब बारात राजा जनक के इलाके में पहुंचती है. यहां बहुत प्रकार के सुगंधित और सुहावने मंगल द्रव्य और सगुन पदार्थ राजा ने भेजे. दही चिउरा और अगणित उपहार की चीजें कांवरों में भर-भर कर कहार चले यानी जनवासे पर तमाम खाद्य पदार्थों के साथ दही-चूड़ा भी भेजा गया था.

Also Read: दुनिया की सबसे छोटी रामलला की मूर्ति वो भी पेंसिल की नोक पर, देखें वीडियो

आगे गोस्वामी जी लिखते हैं-

पंच कवल करि जेवन लागे, गारि गान सुनि अति अनुरागे।।

भांति अनेक परे पकवाने।

सुधा सरसि नहिं जाहिं बखाने।।

सब लोग पंचकौर करके मंत्रों का उच्चारण करते हुए पहले पांच ग्रास लेकर भोजन करने लगे. गाली का गाना सुन कर वे अत्यंत प्रेममग्न हो गये. अनेकों तरह के स्वादिष्ट पकवान परोसे गये, जिनका बखान नहीं हो सकता है. बिहार में आज भी शादियों में वधू पक्ष के द्वारा वर पक्ष को भोजन के वक्त प्रेम से पूर्ण गालियां सुनाने की लोक परंपरा मौजूद है.

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel