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काला नमक चावल की खेती का बिहार के इस जिले में बढ़ रहा रकबा, किसानों की उम्मीदें हो रहीं हरी

बक्सर जिले को धान का कटोरा कहा जाता है.काला नमक चावल की खेती करने की कुछ किसानों की पहल ने बक्सर जिले के किसानों की उम्मीदें हरी कर दी हैं. काला नमक चावल की खेती करने वाले किसान काफी उत्साहित हैं. क्योंकि उनकी मेहनत अब रंग लाने लगी है.

बक्सर जिले को धान का कटोरा कहा जाता है.सोनाचूर व बासमती चावल के लिए प्रसिद्ध बक्सर जिला के खेतों में अब किसान काला नमक चावल की खेती से खुशबू बिखरेंगे.काला नमक चावल की खेती करने की कुछ किसानों की पहल ने बक्सर जिले के किसानों की उम्मीदें हरी कर दी हैं.काला नमक चावल की खेती करने वाले किसान काफी उत्साहित हैं.क्योंकि उनकी मेहनत अब रंग लाने लगी है.

काला नमक चावल की खेती के प्रति किसानों में बढ़ते रुझान

किसानों में काला नमक चावल की खेती के रुझान को देखते हुए कृषि विभाग ने मिट्टी की जांच कराई. जांच में काला नमक चावल की खेती करने के लिए मिट्टी काफी अनुकूल पाई गई. इसके साथ ही मौसम भी अनुकूल पाया गया.जिसे देखते हुए अब काला नमक चावल की बड़े पैमाने पर खेती करने की कृषि विभाग ने पहल की है.अगले सीजन में 500 हेक्टेयर भूखंड में काला नमक चावल की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया है.इस खेती के प्रति किसानों में बढ़ते रुझान को देखते हुए बक्सर जिला काला नमक चावल का हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

काला नमक चावल की खेती का बढ़ता रकबा

बक्सर जिले के सोनाचूर व बासमती चावल की डिमांड पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश तक होती थी.लेकिन लागत के अनुसार उपज नहीं होने से सोनाचूर व बासमती चावल की खेती करने से किसान दूर होते चले गए.बक्सर जिले के किसान मंसूरी धान की अलग-अलग किस्मों के चावल की खेती करते हैं.काला नमक चावल की अच्छी उपज औरअच्छा मूल्य मिलने के कारण काला नमक चावल की खेती का रकबा भी बढ़ रहा है. कृषि विभाग के अनुसार रकबा बढ़ाने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

इस खेती  को करते समय किसान थे थोड़े सशंकित

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इटाढ़ी के बसांव खुर्द के किसान रामाकांत बताते हैं कि पीछले सीजन में काला नमक धान की खेती की गई.पहली बार प्रयोग के रुप में काला नमक चावल की खेती करते समय थोड़े सशंकित थे.लेकिन अच्छी उपज होने से हौंसला बढ़ा है.प्रति बिगहा 12 से 15 क्विंटल धान की पैदावार हुई है.कृषि वैज्ञानिक डा. देवकरण बताते हैं कि काला-नमक प्रजाति विशिष्ट गुणों व खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. यह बक्सर जिले की मिट्टी और मौसम के अनुरूप है. अच्छी उपज को देखते हुए काला नमक चावल की खेती को करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

तीस से चालीस गुणा ज्यादा कीमत पर बिकता है यह चावल

काला नमक चावल सामान्य श्रेणी के चावल की तुलना में तीस से चालीस गुणा ज्यादा कीमत पर बिकता है.बाजार में यह चावल 300 से लेकर 500 रुपये किलो तक बिकता है. विदेशों में भी इस चावल की काफी मांग है. वैसे देखा जाए तो इसकी पैदावार सामान्य धान की तुलना में थोड़ी कम होती है.लेकिन इसकी कीमत अधिक होने के कारण किसानों को बेहतर लाभ होता है.काला नमक चावल शुगर फ्री तो है ही साथ ही इसमें एंटी ऑक्सीडेंट सहित कई अन्य औषधीय गुण भी मिलते हैं. जिसकी वजह से यह महंगा बिकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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