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बिहार में अब बिना टांका लगाये कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा, चंद घंटों में हो जाता है ऑपरेशन

हर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में अब एंडवांस्ड कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन भी शुरू हो गया है. प्रदेश का यह पहला संस्थान हो गया, जहां यह सुविधा विकसित की गयी है. इसके तहत अब बिना टांका लगाये पुतली को बदला जायेगा.

आनंद तिवारी, पटना. शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में अब एंडवांस्ड कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन भी शुरू हो गया है. प्रदेश का यह पहला संस्थान हो गया, जहां यह सुविधा विकसित की गयी है. इसके तहत अब बिना टांका लगाये पुतली को बदला जायेगा.

इसका परिणाम परंपरागत प्रत्यारोपण से कई गुना बेहतर है. इसके तहत अब सिर्फ एक से डेढ़ घंटे में ही ट्रांसप्लांट हो रहा है. साथ ही मरीज व डॉक्टरों का समय भी बचने लगा है. इस नयी तकनीक का नाम पोसीरियर लैमिलर क्रेटोप्लास्टी है.

अब 16 टांके लगाने की जरूरत नहीं : विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक पुतली कई परतों से मिलकर बनती है. इसकी मोटाई सिर्फ प्वाइंट 5 एमएम होती है.

पारदर्शी पुतली के सफेद होने पर होती है परेशानी

पारदर्शी पुतली कई कारणों से खराब होकर सफेद हो जाती है. इससे मरीज को दिखाई देना बंद हो जाता है. कुछ रोगों में सिर्फ लेयर यानी परत ही खराब होती है. कुछ अन्य बीमारियों में सभी लेयर खराब हो जाती हैं.

मेडिकल कॉलेज में अब तक होने वाले प्रत्यारोपण में फुल थिकनेस कॉर्निया ट्रांसप्लांट होता था. इसके तहत खराब पुतली को काट कर हटाने के बाद नेत्रदान से मिली नयी पुतली को लगा दिया जाता था. इस पुरानी विधि के तहत पुतली को चारों ओर से 16 टांकों के माध्यम से जोड़ दिया जाता था.

अब इस तरह से होता है प्रत्यारोपण

पोसीरियर लैमिलर क्रेटोप्लास्टी में मरीज की पुतली को काटकर नहीं हटाया जाता है. सिर्फ एक एमएम के चीरे से आंख के अंदर खराब परतों को स्ट्रिप करते यानी निकालते हैं. बाकी हिस्सा को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचता है.

लेयर तैयार करने के लिए आटोमेटिड कैराटोम मशीन का प्रयोग होता है. आइजीआइएमएस में निजी अस्पतालों की तुलना में कम रेट में कॉर्निया ट्रांसप्लांट होता है. जबकि प्राइवेट अस्पतालों में सवा लाख तक खर्च आता है. यहां नेत्र दान करने वालों की आंखें आइ बैंक में सुरक्षित रखी जाती हैं.

अब तक 519 मरीजों को मिली चुकी है रोशनी

सिर्फ एक घंटे में ऑपरेशन किया जा रहा है. पहले ट्रांसप्लांट में पुतली को रिजेक्ट करने का खतरा भी अधिक रहता था. अब तक 519 मरीजों का सफल कॉर्निया ट्रांसप्लांट करते हुए उन्हें रोशनी दी जा चुकी है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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