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कोरोना के साथ साथ ब्लैक फंगस से भी बचायेगी आपको वैक्सीन, जानिये क्या कहते हैं डॉक्टर

कोरोना के साथ-साथ बेहद खतरनाक बीमारी ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) ने बिहार में दस्तक दे दी है. बुधवार को पटना एम्स में चार और आइजीआइएमएस में एक मरीज मिला था. इससे कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टरों की चुनौती और बढ़ गयी है.

राजदेव पांडेय, पटना. कोरोना के साथ-साथ बेहद खतरनाक बीमारी ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) ने बिहार में दस्तक दे दी है. बुधवार को पटना एम्स में चार और आइजीआइएमएस में एक मरीज मिला था. इससे कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टरों की चुनौती और बढ़ गयी है. हालांकि, विज्ञानियों का कहना है कि ब्लैक फंगस की रोकथाम में कोरोना वैक्सीन विशेष रूप से प्रभावी साबित हो सकती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेवलपमेंट ग्रुप के एक्सपर्ट और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ राजवर्धन आजाद का कहना है कि वैक्सीन न केवल कोरोना के खिलाफ ढाल का काम कर रही है, बल्कि ब्लैक फंगस के असर को भी कमजोर कर सकती है. दरअसल, कोरोना के खिलाफ आजमायी जा रही सभी वैक्सीन जबरदस्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित हुई हैं.

डॉ आजाद ने दावा किया कि भारत के लिए यह अत्यंत दुर्लभ बीमारी है. कोरोना ने इस बीमारी को कमजोर शरीर में आश्रय स्थल उपलब्ध करा दिया है. कुल मिलाकर कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले शरीर में कोरोना वायरस पहुंचता है और उसके बाद वह ब्लैक फंगस को शरीर में रहने को आश्रय दे देता है.

डॉ आजाद ने बताया कि कोरोना के इलाज के दौरान लंबे समय तक आइसीयू या वेंटिलेटर पर रहने के बाद जब रोगी कमजोर इम्युनिटी लिये घर पहुंचता है. इसलिए डॉक्टरों और परिजनों को रोगी के शारीरिक बदलावों पर विशेष नजर रखनी चाहिए.

डॉ आजाद के मुताबिक फर्स्ट स्टेज पर इस बीमारी को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना इलाज के दौरान स्टेराॅयड लेने के बाद आने वाले साइड इफेक्ट से भी इन दिनों बीमारी फैल रही है.

प्रतिष्ठित विज्ञानी मेलकम डी रिचर्डसन के रिसर्च के हवाले से प्राणी विज्ञानी डॉ विनायक सिंह के मुताबिक कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल होता है, जिससे रक्त में शूगर की मात्रा बढ़ जाती है और इम्युनिटी कमजोर हो जाती है.

इससे ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. इसका सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज पीड़ित कोरोना रोगियों को है. डॉ विनायक के मुताबिक, इसका शरीर में प्रवेश मुख्यत: कोरोना की तरह नाक से ही होता है.

ब्लैक फंगस अंगों को इस क्रम में करता है प्रभावित

दरअसल यह फंगस की बीमारी है. सबसे पहले नाक, आंख ,फिर ब्रेन और उसके बाद फेफड़े, पेट, स्किन और अंत में किडनी को प्रभावित करना है. इससे आंखाें की रोशनी जा सकती है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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