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H3N2 इन्फ्लुएंजा: बिहार में बढ़ रहे बुखार-खांसी के मामले, एंटीबायोटिक लेने से बचें, जानें डॉक्टर की राय

केंद्र की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद बिहार में भी H3N2 इन्फ्लुएंजा को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गयी है. पिछले कुछ दिनों में राजधानी पटना समेत राज्य के कई हिस्सों में बुखार, गले में खराश, खांसी, मतली और दस्त के मामले बढ़ रहे हैं.

पटना. केंद्र की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद बिहार में भी H3N2 इन्फ्लुएंजा को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गयी है. पिछले कुछ दिनों में राजधानी पटना समेत राज्य के कई हिस्सों में बुखार, गले में खराश, खांसी, मतली और दस्त के मामले बढ़ रहे हैं. पटना एम्स में माइक्रो बायोलॉजिस्ट के प्रोफेसर डॉ रजनीश कुमार ने बताया कि खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण दिखाने वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. डॉक्टर रोगियों को एंटीबायोटिक नहीं लेने की सलाह दे रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी अपनी सभी शाखाओं को इस संबंध में पत्र लिखा है. इधर, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार, अधिकतर ऐसे मामले H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के ही मिल रहे हैं.

इस वायरस के लिए एंटीबायोटिक मददगार नहीं

डॉ रजनीश कुमार ने बताया कि इस वायरल संक्रमण के मामलों में एंटीबायोटिक मददगार नहीं होगी. डॉक्टरों की मानें तो ऐसे रोगियों को एंटीबायोटिक दवाओं के बजाय मौसमी फलों के साथ स्वस्थ आहार लेना उचित रहता है. गुनगुने पानी का उपयोग करना लाभप्रद रहेगा. ऐसे रोगियों को बस स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए. संक्रमण आमतौर पर लगभग पांच से सात दिनों तक रहता है. तीन दिनों के अंत में बुखार उतर जाता है, लेकिन खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है.

आईआईएम ने भी एंटीबायोटिक्स से बचने की दी सलाह

उन्होंने कहा कि इस वायरस को रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध की ओर जाता है. इसमें एमोक्सिसिलिन, नॉरफ्लोक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, ओफ्लॉक्सासिन जैसी दवाएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि लेवोफ़्लॉक्सासिन का सबसे अधिक दुरुपयोग एंटीबायोटिक के रूप में हो रहा है. आईएमए की राज्य इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार ने भी कहा कि H3N2 वायरस में एंटीबायोटिक्स की कोई भूमिका नहीं है. रोगसूचक राहत के लिए, पैरासिटामोल और एंटीहिस्टामाइन टैबलेट के लिए जा सकते हैं.

दो तीन सप्ताह रहेगी खांसी

पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ निगम प्रकाश नारायण ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार और दस्त के मामले लगभग दोगुने हो गये हैं. ये मामले मुख्य रूप से H3N2 के कारण हैं, जो H1N1 का एक नया प्रकार है, लेकिन संरचनात्मक रूप से भिन्न है. नये वैरिएंट पर इम्युनिटी और वैक्सीनेशन का ज्यादा असर नहीं है. हालांकि, किसी को एंटीबायोटिक्स नहीं लेनी चाहिए. खांसी ठीक होने में दो से तीन सप्ताह लग सकते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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