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Kaimur News : अधौरा प्रखंड में चापाकलों के सूखने से पानी के लिए मचा हाहाकार

जलस्तर गिरने से तालाब, नदी, पोखरा सूखे

अधौरा. गर्मी चढ़ने के साथ ही पहाड़ी प्रखंड अधौरा में पेयजल को लेकर हाहाकार मचने लगा है. भू-जलस्तर भागने से अधिकांश जगहों पर सरकार की नल-जल योजना और चापाकलों ने भी पानी देना बंद कर दिया है. गौरतलब है कि अधौरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अधिकतर बनवासी लोग निवास करते हैं. अधिकांश लोग गरीब परिवार से आते हैं. अधौरा प्रखंड में 108 गांव की आबादी है. हर गांव में नल-जल योजना संचालित की गयी है. लेकिन, लगभग 50 प्रतिशत नल जल योजना भू-जलस्तर गिरने से बंद हो गयी है. प्रखंड क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. अधिकांश गांव के लोग नल जल योजना बंद होने से चुआड़ी के पानी से प्यास बुझाते हैं. पशुओं को मैदानी इलाकों में लेकर गये पशुपालक तालाब नदी पोखरा सब सूख गये हैं. इसके कारण अधौरा प्रखंड क्षेत्र के पशुपालक अपने पशुओं को मैदानी इलाकों में लेकर चले गये हैं. वहीं अधौरा प्रखंड कार्यालय पर आने वाले लोग भी पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. प्रखंड मुख्यालय पर चापाकल से पानी लोगों को नहीं मिल रहा है. यही हाल प्रखंड के अन्य क्षेत्रों में भी चापाकलों का है. अधौरा प्रखंड के लोहरा, सोंधा आदि गांव के लोग पशुओं के साथ ही चुंआ के चुआड़ी का पानी एक साथ पी रहे हैं. वहीं, अधौरा प्रखंड के बभनी कला पंचायत के पटपर गांव में नल-जल योजना लगभग एक माह से बंद है. इसके कारण लोग नदी के पानी से प्यास बुझा रहे हैं. वहीं, चैनपुरा पंचायत के भुईफोर गांव में दो नल जल योजना है. इससे लोगों को कभी कभी पानी मिल रहा है. इसी तरह अधौरा के वार्ड नंबर तीन में भी पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. दो नल-जल योजना है. लेकिन पानी बहुत कम मात्रा में मिल रहा है. जबकि यहां की आबादी बडी है और लोग पानी को लेकर हलकान है. यहां पहले टैंकर से पानी लाकर दिया जाता था. लेकिन, वर्तमान में टैंकर भी नहीं लगा है. इसी तरह प्रखंड मुख्यालय अधौरा बस स्टैंड, अधौरा वार्ड नंबर तीन में भी पहले टैंकर से पानी लाकर दिया जाता था. लेकिन, फिलहाल टैंकर का पता नहीं है. वहीं, नहीं सरकार द्वारा वन विभाग से जंगल में पोखरा निर्माण कराया गया है. लेकिन, इस गर्मी में इन पोखरों में एक बूंद भी पानी नहीं है. इससे प्यासे जंगली जीव गांवों के आसपास पानी के लिए चक्कर काट रहे हैं. क्या कहते हैं ग्रामीण सारोदाग पंचायत के पूर्व मुखिया नागेंद्र यादव ने अभी तो यह गर्मी का शुरुआत महीना चालू हुआ है. अगर सरकार की ओर से व्यवस्था नहीं की गयी, तो पानी का संकट और गहरा जायेगा. युवा समाजसेवी शैलेश कुमार उर्फ बिडी यादव ने कहा कि अधिकांश क्षेत्र के लोग सरकारी कार्य को लेकर प्रखंड मुख्यालय, अंचल, थाना आते-जाते हैं. लेकिन प्रखंड मुख्यालय से लेकर बाजार, गांव में भी चापाकल बंद हो गये हैं. अगर पानी का व्यवस्था नहीं होगी, तो आगे बहुत कठिनाई झेलना पड़ेगा.. कहते हैं अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर पीएचडी विभाग के सहायक अभियंता सौरभ कुमार झा ने बताया कि नल-जल योजना जहां बंद है, शिकायत आने के बाद तुरंत मरम्मत करायी जा रही है. पर गांव में नल योजना बंद है, यह मुझे मालूम नहीं था. उसकी तत्काल मरम्मत करायी जायेगी.

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