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1888 जगहों पर खेतों में लगी आग

कैमूर न्यूज : 495 किसानों का कृषि विभाग ने किया निबंधन लॉक

कैमूर न्यूज : 495 किसानों का कृषि विभाग ने किया निबंधन लॉक

भभुआ.

धान की पराली जलाये जाने पर रोक के बावजूद इस साल पराली जलाने के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गयी है. इसे लेकर जिला कृषि विभाग की ओर से अब तक 497 किसानों का निबंधन लॉक किया जा चुका है. पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ रहे गंभीर खतरे और सरकार के स्तर से प्रतिबंध लगाये जाने के बावजूद जिले में धान की कटनी के बाद डंठलों में आग लगाये जाने के मामलों पर अभी भी लगाम नहीं लग पायी है. जिले के विभिन्न प्रखंडों के बधार में धान की पराली में आग लगाये जाने का सिलसिला अभी भी थम नहीं पाया है. प्रतिबंध के बावजूद पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होने से पराली जलाने के मामलों पर काबू नहीं किया जा सका है.

इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि अब तक पराली जलाने के मामले में जिले के विभिन्न प्रखंडों के 497 किसानों का निबंधन लॉक कर दिया गया है. इसके बाद किसानों को तीन वर्षों तक किसी भी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है. साथ ही भभुआ प्रखंड के एक किसान के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. बता दें कि धान के डंठलों में आग लगाने से पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, तो दूसरी तरफ पराली की आग से निकली चिंगारी हवा का सहारा पा कर आसपास के गांव के घरों से लेकर खलिहान में रखे गये अनाज के बोझे को भी जला कर जन-धन का नुकसान बड़े पैमाने पर करती रही है.

565 पराली जलाने की घटनाओं का कराया जा रहा सत्यापन

विभागीय जानकारी के अनुसार, पिछले खरीफ सीजन में बधार में 1888 फायर प्वाइंट पाये गये थे. इसमें जांच के बाद 871 जगहों पर धान के डंठलों में आग लगाने का मामला पाया गया था. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रेवती रमण ने बताया कि 871 जगहों पर कई स्थानों पर एक ही किसान की ओर से अपने खेतों की पराली में अलग-अलग जगह पर आग लगायी गयी. सत्यापन के बाद किसानों की संख्या 497 पायी गयी है, जबकि 522 जगहों पर आग पराली जलाने से नहीं, बल्कि अन्य कारणों से लगी थी. फिलहाल, 565 जगहों पर आग लगने के कारणों का सत्यापन कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकारों के माध्यम से कराया जा रहा है.

अधौरा में पराली जलाने का नहीं पाया गया कोई मामला

भभुआ. जहां तक जिले में पराली जलाने के मामले की बात है, तो जिले का सबसे सुदूर और उग्रवाद प्रभावित अधौरा के किसानों ने सरकार के प्रतिबंध का शत प्रतिशत पालन किया है. अधौरा प्रखंड में पिछले खरीफ विपणन वर्ष में पराली जलाने का एक भी मामला अब तक सामने नहीं आया है, जबकि जिला मुख्यालय और सड़क साइड पर तमाम गांवों को समेटने वाले भभुआ प्रखंड में पराली जलाने को लेकर सबसे अधिक किसानों का निबंधन लॉक किया गया है. दूसरे नंबर पर जिले का चांद प्रखंड है, जबकि दुर्गावती प्रखंड में मात्र छह किसानों की ओर से पराली जलाने की घटना को अंजाम दिया गया. चैनपुर, दुर्गावती और भगवानपुर में पराली जलाने के मामले को लेकर किसान अधिक जागरूक पाये गये हैं. इसके कारण इन प्रखंडों में कम किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.

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Prabhat Khabar News Desk
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