मोहनिया सदर. भभुआ प्रखंड की दो पंचायत जागेबरांव व मींव में मनरेगा की बागडोर संभाल रहे पीआरएस शशिकांत साहनी पर 12-14 वर्ष के नाबालिगों से मनरेगा में बाहा खुदाई कराने, 18 वर्ष से कम आयु के छात्रों को वन पोषक बनाकर राशि का भुगतान करने, चालू वर्ष की 29 जनवरी को मनरेगा जाॅब कार्ड बनाने की गुहार मजदूरों द्वारा पीआरएस के मोबाइल पर फोन कर लगायी जाती है, तो पीआरएस द्वारा प्रति जाॅब कार्ड बनाने के एवज में उन ग्रामीण ने 500 रुपये की मांग किये जाने की डीएम से लिखित शिकायत मींव गांव के राकेश कुमार रंजन द्वारा की जाती है. इतना ही नहीं शिकायतकर्ता द्वारा जाॅब कार्ड बनाने के नाम पर पीआरएस द्वारा 500 रुपये की मांग करने का आडियो भी अधिकारी को उपलब्ध कराया गया है. इसके पूर्व मनरेगा द्वारा लगाये गये पौधों की देखभाल करने वाले वन पोषकों को हटाकर दूसरे लोगों को कार्य पर लगाने सहित कई तरह के गंभीर आरोप लगाये जाते हैं, इसके बावजूद उक्त पीआरएस पर कार्रवाई करने से वरीय अधिकारियों का कतराना और जांच कराने की बात अब लोगों को रास नहीं आ रही है. स्थिति यह है कि सरकार की जीरो टॉलरेंस का दावा और प्रशासन की पारदर्शी जांच पर से भी लोगों का विश्वास उठने लगा है. मनरेगा में अपने हैरतअंगेज कारनामों से प्रशासन की खिल्ली उड़वाने वाले पीआरएस पर वरीय अधिकारी इतना मेहरबान क्यों है या फिर किसी के दबाव में आकर प्रशासन ऐसे गंभीर मामलों में सिर्फ जांच कराने का राग अलाप रहा है, यह अब लोगों की समझ से परे होता जा रहा है. लोग समझ नही पा रहे है कि मनरेगा में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई करने से अधिकारी क्यों पल्ला झाड़ ले रहे हैं. कुछ विश्वसनीय सूत्रों की माने तो पीआरएस की राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत बतायी जाती है, शायद इसीलिए इनकी रसूखदार पहुंच के कारण किसी माननीय के दबाव में आकर पदाधिकारी भी इतनी शिकायत और खामियों के बावजूद उक्त पीआरएस पर कार्रवाई करने से घबरा रहे हैं, क्योंकि जिस तरह पीआरएस पर शिकायतकर्ता द्वारा गंभीर आरोप लगाया गया है और साक्ष्य के रूप में जाॅब कार्ड बनाने के एवज में पीआरएस द्वारा रुपये की मांग करने का आडियो भी अधिकारी को उपलब्ध कराया गया है, इसके बावजूद दो पंचायत की बागडोर उक्त पीआरएस के हाथ में रहना और जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हुए लेटलतीफी करना लोगों की इस आशंका को और प्रबल कर रहा है कि राजनीतिक दबाव के कारण ही संबंधित पदाधिकारी पीआरएस पर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं. शायद वह नहीं चाहते कि इस मामले में हाथ डालें और उनको भी माननीय के कोप का भाजन बनना पड़े # केस नंबर 01 # मींव पंचायत में पीआरएस द्वारा जारी किये गये जिन नौ योजनाओं में 59 मास्टर रोल पर मजदूरों का नाम अलग-अलग दर्ज किया है, लेकिन मनरेगा की साइट पर एक ही मजदूरों का अधिकांश योजनाओं में फोटो अपलोड किया गया और इनमें 19,64,182 रुपये का भुगतान किया गया. इस मामले को प्रभात खबर ने 29 अप्रैल 2025 को एक ही मजदूर का नौ योजनाओं में फोटो साइट पर अपलोड कर किया 19.5 लाख रुपये का भुगतान नामक शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. सभी सबूत मनरेगा की साइट पर उपलब्ध होने के बावजूद ऐसे कर्मियों की ढाल उनके विभागीय पदाधिकारी बने हुए हैं, जिससे प्रशासन की पारदर्शिता और शासन की जीरो टॉलरेंस नीति पर भी लोग सवालिया निशान उठा रहे हैं. # केस नंबर 02 # जागेबरांव पंचायत के पीआरएस द्वारा ग्राम बेलाढ़ी से रामाश्रय के घर से महेंद्र के खेत होते महुअत रोड तक बाहा खुदाई कार्य जिसका योजना संख्या 0549002007/ आइसी/ 20592517 में तीन मास्टर रोल जारी किया गया है, इसमें मजदूरों का जो फोटो साइट पर अपलोड किया गया है, उनमें अधिकांश नाबालिग बच्चे हैं, जिनको मजदूर बताया गया है. सबसे खास बात तो यह की मास्टर रोल संख्या 3323 में 10 मजदूरों का नाम दर्ज किया गया है, लेकिन इसमें से सिर्फ छह मजदूरों को ही 90 दिनों की मजदूरी 22860 रुपये का भुगतान किया गया है. जबकि, मास्टर रोल संख्या 3324 में 10 व मास्टर और संख्या 3325 में कार्य करने वाले 10 मजदूर यानी कुल 24 मजदूरों को अभी तक मजदूरी का भुगतान किन कारणों से नहीं किया गया है. इस मामले को भी विगत 03 जून को – जागेबरांव में बाल मजदूरों से करायी बाहा खुदाई किया 22860 रुपये का भुगतान नामक शीर्षक से प्रभात खबर ने खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. यह मामला भी लोगों के बीच अबूझ पहेली बना हुआ है, जहां इस मामले में जांच भी शुरू की गयी, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति नजर आ रही है. – बोले अधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर भभुआ पीओ संतोष कुमार ने कहा कि पीआरएस द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब दिया गया है, उस जवाब को डीपीओ मनरेगा को भेज दिया गया है. जागेबरांव वाले मामले में श्रम अधीक्षक द्वारा गठित जांच टीम ने भी अपनी रिपोर्ट डीपीओ को भेज दी गयी है, जिस पर आगे का निर्णय वरीय अधिकारी लेंगे. – बोले पीआरएस इस संबंध में पूछे जाने पर पीआरएस शशिकांत साहनी ने कहा कि मेरे द्वारा जाॅब कार्ड बनाने के लिए रुपये की मांग नहीं की गयी थी, मेरे मोबाइल से दूसरे व्यक्ति ने ऐसा किया था. वह मामला भी पूर्व डीडीसी ज्ञान प्रकाश के समय का है, सभी आरोप गलत है. # मींव व जागेबरांव पंचायतों में मनरेगा के कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत # ग्रामीणों की लिखित शिकायत के बाद भी पीआरएस पर मेहरबान अधिकारी
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