रामगढ़. आसमान से बरसती आग, तेज लू के थपेड़ों के बीच खेतों में धान के बिचड़े डालने को लेकर किसानों को पानी नहीं मिलने पर मंगलवार की सुबह बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सूबे में चल रही डबल इंजन की सरकार को जमकर कोसा. कहा कि पिछले 20 वर्षों में प्रत्येक वर्ष चार हजार करोड़ रुपये सरकार द्वारा बाढ़ के नियंत्रण व किसानों के सृजन पर खर्च किये जाते हैं. बीस वर्षों में 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी ना तो बिहार के लोगों को बाढ़ से निजात मिली, ना ही सृजन के अवसर बढ़े. बल्कि बीस वर्षों में सृजन के आंकड़े 25 प्रतिशत तक घट गये. पहले 15 मई को नहरों में पानी आ जाता था, जिससे किसान रोहणी नक्षत्र में समय से धान के बिचड़े डाल लेते थे, लेकिन अब विभाग द्वारा एक जून को नहरों में पानी देने की बात कही गयी और एक जून बीतने के बाद अब विभागीय पदाधिकारी नहरों में चल रहे मेंटेनेंस का हवाला देकर पानी को 15 जून को छोड़ने की बात कह रहे हैं. विधानसभा का टेल एंड होने के कारण पानी छोड़े जाने के लगभग 15 दिन बाद रामगढ़ विधानसभा की नहरों में पानी पहुंचेगा, तो क्या किसान जुलाई माह में खेतों में धान के बिचड़े डालेंगे. राज्य की सोन नहर प्रणाली से आठ जिला बक्सर, भोजपुर, कैमूर, रोहतास, जहानाबाद, अरवल, पटना और औरंगाबाद के नहरों का पटवन होता है. इंद्रपुरी बराज पर 90000 क्यूसेक पानी होने के बावजूद विभाग द्वारा नहरों में केवल 3000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि 9000 क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद भी उक्त नहरों के टेल एंड तक पानी नहीं पहुंचेगा. आखिर वह कौन लोग हैं जो बिहार के किसानों की खेती को बर्बाद कर रहे हैं. बाणसागर में अभी पिछले वर्ष के हिस्से का 1158 क्यूबिक मीटर पानी डिजर्व वायर में रिजर्व रखा गया है, बावजूद इसके खेती के इस पिक सीजन में नहरे सुखी है. सांसद ने कहा हम बिहार सरकार से जानना चाहते है नहरों का रखरखाव व पुनर्निर्माण के कार्य मार्च व अप्रैल माह में क्यों नहीं करवाया जाता. आखिर ऐसा कौन सा कानून पास करते हैं जो पूरे बिहार में एक साथ सभी नहरों की रिपेयरिंग की जाती है. यह ठेकेदार और पदाधिकारियों की मिलीभगत से लूट का खेल चल रहा है.
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