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शिक्षक की नौकरी छोड़ रविशंकर फल और सब्जियों की खेती कर बढ़ा रहे है आमदनी

KAIMUR NEWS.आज के बदलते परिवेश में खेती,गृहस्थी से मुंह मोड़ युवा शहर में नौकरी के पीछे भाग रहे हैं. लेकिन, कई लोग ऐसे भी हैं जो सरकारी नौकरी को छोड़ गांव में खेती करना पसंद करते हैं.

चांद के क़ुतुबनपुर मोरवा गांव के रहने वाले हैं रविशंकर

20 एकड़ में आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से फल व सब्जियों की खेती कर रहे हैं

दर्जनों लोगों को रोजगार भी दिया, मिला चुका है कई सम्मान

चांद.

आज के बदलते परिवेश में खेती,गृहस्थी से मुंह मोड़ युवा शहर में नौकरी के पीछे भाग रहे हैं. लेकिन, कई लोग ऐसे भी हैं जो सरकारी नौकरी को छोड़ गांव में खेती करना पसंद करते हैं. जी हां, कुछ इसी तरह जिले के चांद प्रखंड स्थित कुतुबनपुर मोरवा के किसान रवि शंकर सिंह सरकारी शिक्षक के नौकरी छोड़ गांव में रहकर सब्जी और फल की खेती कर रहे हैं. जिससे वे अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं. उन्हें कई संस्थान ने आधुनिक व उन्नत तरीके से खेती करने के लिए सम्मानित भी किया है. मालूम हो की रविशंकर सिंह ने स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद से पास करने के बाद, मगध विश्वविद्यालय, गया से स्नातकोत्तर किया. उतना ही नहीं रीवा मध्य प्रदेश से बीएड पास कर बी टेट भी पास किया .पढ़ाई में अव्वल रहने वाले रवि शंकर सिंह का चयन शिक्षक के पद पर भी हो गया था, परंतु घर के अकेले रहने के चलते खेती बारी और घर की पूरी जिम्मेवारी उन्हीं को देखना पड़ता था. जिसके चलते शिक्षक की नौकरी छोड़कर खेती के कार्य में तन, मन और धन से लग गये. कृषि के क्षेत्र में उन्होंने परंपरागत तरीके को छोड़कर आधुनिक तरीका अपनाया हैं. किसान रविशंकर ने आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र पटना और दूसरे राज्य में भी प्राप्त किया. वैज्ञानिकों की बतायी गयी विधि के सहारे खेती की शुरुआत की. शुरू में तो परंपरागत कृषि से हटकर दो से चार एकड़ में किया, परंतु वर्तमान में लगभग 20 एकड़ जमीन में उन्नत, आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से फल व सब्जियों की खेती कर रहे हैं.

20 एकड़ जमीन में करते हैं फल और सब्जी की खेती

पढ़ाई के बाद जब खेती की शुरुआत की तो पहले तो परंपरागत तरीके से किया. परंतु बाद में विभिन्न जगहों से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विस्तार करते गये और फिर उन्होंने कृषि की आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके को अपनाया. जिसमें विभिन्न तरह के दुर्लभ फल और सब्जियों की खेती करने लगे और वह अब पर्याप्त मात्रा में करते हैं. जहां लगभग 18 से 20 एकड़ जमीन में फल व सब्जी की खेती करते हैं, जो न सिर्फ प्रखंड बल्कि जिला के लिए और किसानों के लिए गर्व का विषय है और अनुकरण करने योग्य है.

मौसमी सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं

नई तकनीकी और वैज्ञानिक विधि से फल और सब्जी की खेती करते हैं. जिसमें शिमला मिर्च, बींस, ब्रोकली, सब्जी मटर, बैगन, फूल गोभी, बंद गोभी,टमाटर, गाजर, आलू आदि मौसमी सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. वही स्ट्राबेरी, ताइवानी नस्ल का तरबूज, खरबूज, पपीता, केला, अमरूद आदि फलों की खेती भी बड़े पैमाने पर करते है.जिसकी बिक्री बिहार व उत्तर प्रदेश में करते हैं. इसके साथ ही किसान रवि शंकर सिंह लगभग दर्जनों लोगों को वर्ष भर काम देते हैं. फलों व सब्जियों को तोड़ना, उसकी पैकिंग करना और उन्हें बड़े बाजारों में ले जाने तक की भी जिम्मेवारी मजदूरों को रहती है. जिससे एक तरफ जहां उन्हें सालों भर काम मिलता है, वहीं उन्हें विभिन्न तरह की हरी पत्तेदार सब्जियां और दुर्लभ फल खाने का भी लाभ मिलता है.

टपक विधि से करते हैं खेती

जल संचय को ध्यान में रखते हुए रविशंकर सिंह टपक विधि से खेती करते हैं. जितने जमीन में सब्जी व फल की खेती की गयी है नीचे प्लास्टिक बिछाया गया है और खेत में चारों तरफ पतला पाइप लगाया गया है. जहां पानी छोड़ने पर टपक विधि से धीरे-धीरे पानी टपकते हुए उस पौधे की जड़ों तक ही जाता है. इसलिए अनावश्यक पानी का नुकसान नहीं हो पता है, जिससे घास भी नहीं उग पाता है और पानी की काफी बचत होती है. जरूरत भर पानी मिलने से पौधों को कोई नुकसान भी नहीं होता है.

प्रखंड, जिला व राज्य स्तर पर कई बार हो चुके हैं सम्मानित

आधुनिक, उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से की जा रही खेती के लिए रवि शंकर सिंह को 2019 में धान किसान श्री के सम्मान से सम्मानित किया गया. वही 2018 से 24 में जिला स्तर पर फल एवं सब्जी उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया. वर्ष 2024 में कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा द्वारा फल एवं सब्जी के क्षेत्र में बेहतर उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया. उद्यान विभाग और कृषि विभाग ने प्रमंडल स्तर पर पटना में उन्हें सम्मानित किया. वहीं राज्य स्तर पर उद्यान निदेशालय और कृषि विभाग द्वारा बेहतर फल तथा सब्जी उत्पादन के लिए उन्हें सम्मानित किया गया. वर्ष 2024 में उन्हें विशेष पुरस्कार उद्यान निदेशालय और कृषि विभाग के द्वारा सर्वश्रेष्ठ बागवान का पुरस्कार दिया गया. किसान रविशंकर सिंह ने कहा कि बदलते परिवेश और परिदृश्य में अपने को बदलें .वह आधुनिक कृषि, तकनीकी कृषि, विविधता, जल संचय, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, जलवायु संरक्षण व जैविक खाद उत्पादन और प्रयोग कर अच्छे नस्ल की बीज आदि को अपनाकर देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अच्छे गुणवत्ता पूर्वक अनाज, फल, सब्जी आदि प्रदान कर सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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