भभुआ. जिले में धान की रोपनी की रफ्तार पकड़ने के साथ ही डीएपी कमी हो गयी. इसके बाद किसान डीएपी के लिए बाजार में दौड़ लगाने लगे हैं. इसके बावजूद किसानों को डीएपी पर्याप्त मात्रा में दुकानों पर नहीं मिल पा रहा है. कृषि विभाग के अनुसार, जिले में धान की रोपनी के बाद किसानों को खेत में डीएपी डालने के लिए 2625 एमटी खाद की जरूरत है. लेकिन, वर्तमान में जिले में मात्र 1000 हजार एमटी खाद ही उपलब्ध है. इधर, जिले में पिछले सप्ताह से ही मऍनसूनी बारिश का दौर शुरू हो चुकी है. सोन उच्चस्तरीय नहर और दुर्गावती जलाशय नहर से भी पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसके बाद किसान अपने खेतों की रोपनी कराने में जुट गये हैं. बहुत से किसान जिनका बीहन तैयार था. अपने खेतों को रोपने के बाद डीएपी खाद की तलाश में बाजारों का चक्कर काटने लगे हैं. लेकिन, दुकानों पर पर्याप्त मात्रा में किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रहा है. इधर, इस संबंध में भगवानपुर प्रखंड के रमावतपुर गांव के किसान ओमप्रकाश साह ने बताया कि मेरे खेतों की रोपनी हो चुकी है. अब डीएपी की जरूरत पड़ने लगी है. लेकिन, भगवानपुर व भभुआ में इफको का डीएपी नहीं मिल रहा है. बाजार में अन्य कंपनियों का डीएपी महंगा मिल रहा है. चैनपुर प्रखंड के देउवां गांव के किसान मिथिलेश सिंह ने बताया कि चांद बाजार में डीएपी कम है. जिन दुकानदारों के पास डीएपी है भी वे दाम अधिक मांग रहे हैं. बाजार में अधिक दाम पर मिल रहा डीएपी: गौरतलब है कि जिले में जो भी डीएपी उर्वरक उपलब्ध है, वह सरकारी इफको ब्रांड का नहीं है. ऐसे में बाजार में उपलब्ध चबंल आदि कंपनियों के डीएपी का दाम दुकानदार बढ़ा देते हैं. जबकि इफको का डीएपी किसानों को इफको बाजार या बिस्कोमान से जहां 1350 रुपये प्रति बैग में मिल जाता है. वहीं, इफको डीएपी उपलब्ध नहीं होने पर किसानों को खुले बाजार में डीएपी के प्रति बैग पर 100 से 150 रुपये अधिक वसूले जाने लगते हैं. विशेष किल्लत और जरूरत पर किसान 200 रुपये से लेकर 250 रुपये अधिक दाम पर भी खाद खरीदते रहे हैं. डीएपी खाद के शार्टेज का त्राहिमाम संदेश लेकर डीएम के पास पहुंचा कृषि विभाग इधर, धान की रोपनी और तेजी से बढ़ने वाले डीएपी खाद के मांग को लेकर जिला कृषि विभाग के माथे पर भी चिंता की लहर दौड गयी है. क्योंकि, जैसे ही किसान अपना खेत रोप लेते है, वैसे ही एक सप्ताह बाद किसानों को डीएपी की आवश्यकता बढ़ जायेगी. वर्तमान में अभी डीएपी की मांग चढी नहीं है. लेकिन, विभाग के अनुसार जल्द ही डीएपी की मांग चढ़ेगी. जिसे देखते हुए जिले में डीएपी की आपूर्ति कराने को लेकर मंगलवार को कृषि विभाग जिलाधिकारी के दरबार में जाने के तैयारी में जुटा था. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि जुलाई माह में डीएपी खाद का स्टॉक कम होने के कारण डीएम से मिलकर अविलंब जिले को डीएपी खाद की आपूर्ति कराने के लिए अनुरोध किया जायेगा. क्योंकि जिलाधिकारी स्तर से सरकार को लिखा जाता है. गौरतलब है कि हाल में ही हुए जिला बीस सूत्री के बैठक में भी सदस्यों द्वारा जिले में डीएपी खाद के किल्लत का मामला मंत्री के समझ उठाया गया था. इनसेट चाइना से मेटेरियल नहीं मिलने के कारण इफको का उत्पादन प्रभावित भभुआ. डीएपी खाद के उत्पादन में प्रयोग किये जाने वाले रसायनिक मेटेरियल का चाइना से आपूर्ति नहीं होने के कारण पूरे देश में इफको का उत्पादन प्रभावित हुआ है. इफको के क्षेत्रीय प्रभारी कैमूर गौरव कुमार ने बताया कि इफको कंपनी द्वारा जो डीएपी प्रयागराज के फूलपुर या देश के अन्य कारखानों में तैयार किया जाता था. उसमें प्रयोग करने के लिए एक रसायनिक मेटेरियल की सप्लाइ चाइना से होती थी, जो फिलहाल प्रभावित है. इसके कारण देश स्तर पर इफको का डीएपी का उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि जुलाई माह में फिलहाल इफको डीएपी की कोई खेप मिलने की संभावना नहीं है. अन्य कंपनियों का डीएपी बाजार में कितना और कैसे मिल रहा है, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है. हालांकि, बताया गया कि इफको का यूरिया अभी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इनसेट खाद की कालाबाजारी पर उर्वरक निगरानी समिति और धावा दल रख रहा नजर भभुआ. खाद की कालाबाजारी को लेकर प्रखंडस्तरीय उर्वरक निगरानी समिति और जिलास्तर पर धावा दल का भी गठन किया गया है. ताकि खाद की कालाबाजारी पर रोक लगायी जा सके. किसानों को उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध हो सके. जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि दोनों अनुमंडल के लिए अलग-अलग धावा दल बनाये गये हैं. तीन सदस्यीय धावा दल उर्वरक दुकानों पर छापेमारी कर दुकानों की जांच करेंगे. जांच के क्रम में दुकान के खाद स्टाक पंजी, विक्रय पंजी, दुकान पर लगे मूल्य तालिका आदि की जांच की जायेगी. यही, नहीं खाद की कालाबाजारी पर नियंत्रण के लिए अलग से जिलास्तर से लेकर प्रखंडस्तर तक उर्वरक निगरानी समिति का भी गठन किया गया है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी के अध्यक्ष में गठित प्रखंड उर्वरक निगरानी समिति द्वारा भी खाद के दुकानों की जांच नियमित रूप से की जायेगी. उन्होंने बताया किब सरकार स्तर से किसानों को खाद उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. बावजूद डीएपी की जगह पर एसएसपी और एनपीके का खाद का मिश्रण कर खेती कर सकते हैं. एसएसपी एक फाॅस्फोरस युक्त खाद है. इसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस और 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पायी जाती है. जबकि डीएपी में केवल 18 प्रतिशत नेत्रजन व 46 प्रतिशत फास्फोरस उपलब्ध है. इसलिए डीएपी के विकल्प के रूप में तीन बैग एसएसपी व एक बैग यूरिया का अनुशंसित मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. इससे भी पौधाें को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध हो जाते हैं और ये सभी खाद जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.
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