दुर्गावती.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (संबद्ध महासंघ गोप गुट) ऐक्टू के आह्वान पर स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य पर आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को एक दिवसीय हड़ताल की. अपनी मांगों को औपचारिक रूप से रखने के के लिए आशा ने सामूहिक रूप से सीएचसी प्रभारी को पत्र भी सौंपा है. इसमें स्पष्ट कहा गया है कि वे अपनी मांगों लेकर एक दिवसीय हड़ताल रहेंगी. इधर, धरना-प्रदर्शन के कारण गर्भवती महिलाओं के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आने में कमी देखी गयी. आशा ने मुख्य मांगों को लेकर पहले हुए समझौते को लागू करने की मांग की. इसमें बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि शामिल हो. केंद्र सरकार व राज्य सरकार सम्मिलित विमर्श के माध्यम से आशा व आशा फेसिलिटेटर के लिए 21 हजार रुपये बेसिक न्यूनतम मासिक मानदेय निर्धारित करने की मांग की है. रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष करने, सेवानिवृत्ति के समय 10 लाख रुपये का रिटायरमेंट पैकेज और अनिवार्य मासिक पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने, 2023 में हुए समझौते के अनुरूप आशा व आशा फेसिलिटेटर के मासिक मानदेय को बढ़ाकर 10 हजार करने संबंधी आदेश अविलंब निर्गत करने, पिछले छह माह से लंबित मानदेय का भुगतान अविलंब करने सहित सात मांगे शामिल हैं. मौके पर आशा कार्यकर्ता संघ की जमीला खातून, कंचन देवी, रिंकी देवी, मीना देवी, धनरावती देवी, संजू देवी, चंदा देबी, मीना देबी, शिल्पी देवी दुर्गा देबी आदि शामिल रही. हड़ताल और धरने के दौरान इनके द्वारा हाय- हाय आदि के नारे भी लगाये गये. इनके हड़ताल पर जाने तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर धरना प्रदर्शन के दौरान गर्भवती महिलाओं का आना कम रहा. जबकि प्रत्येक माह की 9 तारीख को मातृत्व सुरक्षा अभियान को लेकर विशेष माना जाता है.गौरतलब हो कि इन लोगों द्वारा अपनी मांगों को लेकर पूर्व में भी हड़ताल किया गया था. इनके हड़ताल पर जाने से गर्भवती महिला स्वास्थ्य, जच्चा -बच्चा सेवाएं जैसे कार्य प्रभावित रहे. वहीं, इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डाॅक्टर संगीता सिन्हा ने कहा कि इमरजेंसी सेवाएं जारी रही. इनके धरना-प्रदर्शन व हड़ताल से गर्भवती महिलाओं का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आना कम रहा. इन लोगों द्वारा पत्र देकर हड़ताल की जानकारी दी गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है