अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर रामपुर व चैनपुर में लगा आर्बिट्रेटर का विशेष कोर्ट कैंप
52 मौजों की सुनवाई के बाद 30 करोड़ से अधिक मुआवजा राशि का हो चुका है भुगतान
प्रतिनिधि,भभुआ.
सोमवार को आर्बिट्रेटर सह प्रमंडलीय आयुक्त पटना ने जिले के रामपुर और चैनपुर प्रखंडों में विशेष आर्बिट्रेटर कोर्ट कैंप का आयोजन किया. जिसमें भारत सरकार की महत्वपूर्ण भारत माला परियोजना के तहत जिले में बनाये जाने वाले कोलकाता- वाराणसी एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि से संबंधित मुआवजा और विवादों के वादों के त्वरित निष्पादन के लिए सुनवायी हुई. शिविर में 500 से अधिक संबंधित किसानों से जुडे मामलों की सुनवायी की गयी. जिला प्रशासन से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार चैनपुर प्रखंड में आयोजित आर्बिट्रेटर कोर्ट कैंप में चैनपुर, भभुआ और चांद अंचल के किसानों की, जबकि रामपुर प्रखंड में रामपुर और भगवानपुर प्रखंड के किसानों के मामलों की सुनवायी की गयी. इधर, कैंप कोर्ट के दौरान आर्बिट्रेटर सह आयुक्त ने किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करते हुए समाधान का आश्वासन दिया. साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि आर्बिट्रेटर न्यायालय में वाद दाखिल करने के लिए किसी भी अधिवक्ता या फीस की आवश्यकता नहीं है, यह व्यवस्था किसानों के सहुलियत को देखते हुए बनायी गयी है. उन्होंने कहा कि अधिग्रहित भूमि के मुआवजा की राशि से असंतुष्ट किसान आर्बिट्रेटर कोर्ट में आवेदन दें. ताकि नियमानुसार मुआवजा राशि का भुगतान दुगना किया जा सके. आर्बिट्रेटर सह आयुक्त ने सभी अंचलाधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन किसानों की भूमि एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित की जा रही है, उन किसानों का 15 दिनों के अंदर कैंप मोड में लगान रसीद अपडेटे करायी जाए. उन्होंने अंचलाधिकारियों को भू-अर्जन संबंधित कार्यों को शीर्ष प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.
अब तक 52 मौजों के सुनवायी के बाद 30 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि का हुआ है भुगतान
जिले में कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे निर्माण को लेकर अधिग्रहित भूमि के मुआवजा को लेकर आर्बिट्रेटर कोर्ट में 52 से अधिक मौजों के किसानों के वादों की सुनवायी की जा चुकी है. जिसके तहत 30 करोड़ रुपये से अधिक राशि के मुआवजा का भुगतान किसानों के बैंक खाते में एनएचएआइ से किया जा चुका है. उक्त बातें जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने कही. उन्होंने बताया कि किसानों के सुविधा के लिए आर्बिट्रेटर न्यायालय के आदेश की प्रति भी किसानों को जिला भू-अर्जन कार्यालय से निशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. इधर, इस विशेष कोर्ट कैंप में पटना प्रमंडलीय आयुक्त सहित जिला पदाधिकारी कैमूर सुनील कुमार, एसपी हरि मोहन शुक्ला, जिला भू अर्जन पदाधिकारी, संबंधित अंचलों के सभी अंचलाधिकारी और सभी राजस्व पदाधिकारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी तथा संबंधित किसान उपस्थित थे.
आर्बिट्रेटर ने किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं की ली जानकारी
भारत माला परियोजना के कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे निर्माण में आने वाले किसी भी तरह के गतिरोध को समाप्त करने के लिए कैमूर पहुंचे आर्बिट्रेटर सह पटना प्रमंडलीय आयुक्त ने किसानों से खेत में बातचीत कर उनके समस्याओं को जाना. साथ ही एक्सप्रेसवे निर्माण को लेकर जिले में चल रहे प्रगति कार्यों का स्थल निरीक्षण भी किया. इधर, कैमूर पहुंचे आर्बिट्रेटर से रामपुर के किसान बिमलेश पांडेय ने ठकुरहट मौजा में चक और सर्वे खतियान संबंधित विवादों का मामला उठाया. जिसे लेकर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने बताया कि इसके समाधान के लिए मिलान प्रक्रिया जारी है व मुख्यालय से मार्गदर्शन भी प्राप्त किया जा रहा है. किसान अनिल सिंह ने रामपुर में अतिरिक्त एलाइंमेंट की बात उठायी, जिस पर बताया गया कि इसका प्रस्ताव जिलाधिकारी स्तर से भेजा गया है. स्वीकृति प्राप्त होते ही अगली प्रक्रिया आरंभ करा दी जायेगी. इधर, किसानों ने उत्तरप्रदेश की तुलना में बिहार में कम मुआवजा मिलने के उठाये सवाल पर आर्बिट्रेटर ने बताया कि आर्बिट्रेटर न्यायालय से कई मामलों में मुआवजा राशि दुगना किया गया है. आर्बिट्रेटर ने किसानों के मुआवजा संबंधित प्रक्रिया, भुगतान की स्थिति आदि की भी जानकारी ली. साथ ही पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. उनके मामलों का त्वरित निपटारा किया जाये. साथ ही किसानों से समन्वय करके प्रक्रिया को पारदर्शी बनाते हुए निर्माण कार्य को गति दी जाये.
एक्सप्रेसवे में अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजा की मांग तीन साल से कर रहे किसान
कोलकाता-वाराणसी एक्सप्रेसवे निर्माण में लगभग तीन सालों से जिले के रामपुर,भगवानपुर, चांद, भभुआ व चैनपुर अंचलों के किसानों के किये गये अधिग्रहित भूमि के मुआवजा को लेकर किसान पिछले तीन वर्षों से भी अधिक समय से संघर्ष कर रहे हैं. जिसके तहत धरना, प्रदर्शन, रोड जाम, तालाबंदी, संबंधित अधिकारियों का पुतला दहन, भूख हडताल, उपवास आदि तरह के आंदोलन किया जा चुके हैं. किसानों के इस संघर्ष के बाद सरकार ने किसानों को पुराने सर्किल रेट को दुगना करते हुए अधिग्रहित भूमि के मुआवजा भुगतान करने का निर्णय लिया है. यही नहीं किसानों के आंदोलन का ही नतीजा है किसानों को पटना न जाना पड़े, इसे लेकर आर्बिट्रेटर सह आयुक्त पटना प्रमंडल द्वारा कैमूर में ही विशेष कोर्ट कैंप का आयोजन भी किया जा रहा है. गौरतलब है कि सरकार की सबसे बड़ी परियोजना में से एक भारत माला परियोजना में बनाये जाने वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे कैमूर जिले में 52 किलोमीटर का रास्ता नापेगा. इस एक्सप्रेसवे को जिले के भभुआ, चांद, रामपुर, चैनपुर व भगवानपुर प्रखंड के कई गांवों के बधार से गुजरना है. जिसे लेकर किसानों के अनुसार वाराणसी, रांची, कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए जिले के 73 मौजों के लगभग 1636 एकड़ भूमि का अधिग्रहण सरकार स्तर से किया जा चुका है.
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