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kaimur News : जिले में औद्योगिक कंपनियों ने सरकार को लगा दिया साढ़े 11 करोड़ का चूना

पिछले छह साल से तमाम कागजी कार्रवाई करने के बाद भी नहीं वसूली जा सकी राशि, 2018 में उद्योग विभाग, निदेशालय पटना द्वारा की गयी जांच में बंद पायी गयी कंपनियां

उमेश सिंह केशर, भभुआ

जिले में औद्योगिक विकास के लिए कारखाना लगाये बाहर की कंपनियों ने सरकार को लगभग साढ़े 11 लाख रुपये का चूना लगाया है. पिछले छह साल से उक्त कंपनियों के खिलाफ तमाम कागजी कानूनी कार्रवाई करने के बाद भी सरकार अब तक इन कंपनियों से अपनी राशि नहीं वसूल सकी है. गौरतलब है कि उद्योग विहीन कैमूर जिले में लगभग दो दशक पूर्व औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न ट्रेड की कंपनियों ने हाथ-पांव पसारना शुरू किया था. इसमें दीपक वेज प्रो.प्रा. लिमटेड, दुर्गावती, कैमूर व रूचि सोया इंडस्ट्री लिमिटेड दुर्गावती, कैमूर का नाम भी शामिल था. प्रथम चरण में इन कंपनियों ने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए बिहार निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत सरकारी राशि भी अनुदान पर प्राप्त किया था. इसमें वर्ष 2013 में दीपक वेज प्रो.प्रा लिमिटेड को तीन करोड़ 87 लाख 45 हजार रूपये व रूचि सोया इंडस्ट्रीज को सरकार ने सात करोड़ 86 लाख 37 हजार रुपये उद्योग को विस्तार देने के लिए उपलब्ध कराया था. लेकिन, किसी भी कंपनी ने सरकार से प्राप्त राशि सरकार को नहीं लौटायी. रूचि सोया ने अपने को दिवालिया घोषित कर कंपनी का हस्तांतरण दूसरे कंपनी को कर दिया, तो दीपक वेज कंपनी ने अपने लाव लश्कर बंद कर दूसरी राह पकड़ ली. इसके बाद इन कंपनियों से राशि वसूलने के लिए तमाम कागजी कार्रवाई के बाद 2018-19 में जिले में नीलाम पत्र वाद दायर किया गया था. लेकिन, नीलाम पत्र वाद दायर करने के छह वर्ष बीतने के बाद भी सरकार इन कंपनियों से अपनी राशि अब तक वसूल नहीं कर पायी है.= 2018 में उद्योग विभाग निदेशालय पटना द्वारा की जांच में बंद पायी गयी कंपनियां

इधर, बिहार निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत जिले के इन दो कंपनियों की दिये गये राशि के आलोक में वर्ष 2018 में उद्योग विभाग निदेशालय पटना द्वारा निरीक्षण किया गया. परंतु विभागीय निरीक्षण के क्रम में इन दोनों कंपनियों को बंद पाया गया और सरकारी राशि का सदुपयोग नहीं किये जाने का मामला सामने आया. इसके बाद इन कंपनियों से राशि वसूलने को लेकर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जिलास्तर पर आरंभ कराया गया व नीलाम पत्र वाद भी दायर किया गया. मिली जानकारी के अनुसार, नीलाम पत्र वाद के सुनवाई में दीपक वेज प्रो. प्रा. लिमिटेड द्वारा अपना पक्ष यह रखा गया कि बिहार निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत कंपनी ने पांच वर्षों तक कार्य किया, जिससे संबंधित साक्ष्य व कागजात नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी व विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है, अत: नीति के तहत लगातार पांच साल तक काम करने के कारण अनुदान राशि वापस नहीं ली जाये. इसी तरह सुनवाई में रूचि सोया इंडस्ट्री द्वारा अपने पक्ष में यह कहा गया कि कंपनी दिवालिया हो गयी है. हमने अपनी कंपनी पतंजलि कंपनी को हस्तांतरित कर दी है, इसलिये हमारे इकाई द्वारा ली गयी अनुदान की राशि पतंजलि प्रा. लिमिटेड कंपनी से वसूली जाये, जबकि इस सुनवाई में उद्योग विभाग कैमूर द्वारा नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी से कंपनी के स्वामित्व से अनुदान की राशि सूद सहित वसूल किये जाने का अनुरोध किया गया था.क्या कहते हैं नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी कैमूर

इधर, इस संबंध में जब नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी कैमूर से पूछा गया, तो उनका कहना था कि इस मामले की सुनवाई अभी चल रही है. उद्योग विभाग से राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए विभाग या निदेशालय स्तर से सबूत सहित अपना उत्तर तैयार कर नीलाम पत्र वाद कोर्ट के सुनवाई में रखने को कहा गया है. अगली सुनवाई में उद्योग विभाग का पक्ष सामने आने के बाद फिर इस मामले में अग्रेतर कार्रवाई सुनिश्चित किया जायेगा.क्या कहती हैं जिला उद्योग महाप्रबंधक

इस संबंध में जब जिला उद्योग महाप्रबंधक हेमलता से बात की गयी तो, उनका कहना था कि इस मामले में नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी से विभागीय स्तर से राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए किसी पदाधिकारी या किसी वकील को नामित करने का अनुरोध किया गया है. ताकि उक्त नीलामवाद का उत्तर नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी के कोर्ट में रखा जा सके और कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए दी गयी सरकारी राशि सूद सहित वसूल की जा सके.

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