भभुआ नगर. अब तक आपने सुना होगा कि गुरुजी के कंधों पर छात्रों को ज्ञान बांटने की जिम्मेदारी होती है. यानी विद्यालय में छात्रों को पढ़ाने का कार्य करते हैं. लेकिन, कैमूर का एक ऐसा विद्यालय भी है, जहां शिक्षक पठन-पाठन का कार्य छोड़ कर शिफ्ट वाइज दो शिक्षक पहरेदारी करते हैं. विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ कोई अनहोनी न हो जाये, इसके लिए सुबह से शाम तक शिफ्ट वाइज दोनों शिक्षक पहरेदारी करते हैं. ताकि, कोई भी छात्र-छात्राएं नदी की तरफ न जाये. कारण कि चहारदीवारी नहीं होने के कारण नदी की ओर जाने से कोई हादसा हो सकता है.
यह मामला जिले के अटल बिहारी सिंह उच्च विद्यालय का है. इसके एक तरफ गेट से निकलते ही शहर निकलते ही सड़क पर बस, ट्रक, हाइवा का आवागमन होता है. वहीं, दूसरी तरफ नदी है. लेकिन, बच्चों की सुरक्षा के लिए चहारदीवारी नहीं है. इससे हादसे की आशंका बनी रहती है. इससे सुरक्षा के लिए शिक्षक छात्रों की पढ़ाई के जगह पर पहरेदारी करते हैं. क्योंकि, विद्यालय में बाउंड्रीवॉल नहीं रहने के कारण नदी का जलस्तर बढ़ने पर नदी का पानी और विद्यालय के मैदान की सतह बराबर हो जाती है. कोई भी छात्र खेलकूद के दौरान या भटक कर अगर नदी के तरफ चल जाये, तो निकालना मुश्किल हो जायेगा. खासकर विद्यालय के छुट्टी के समय करीब आधे घंट से अधिक समय तक सड़क पर निकलने के दौरान सड़क के दोनों तरफ कहीं बच्चे किसी तेज रफ्तार वाहन के चपेट में न आ जाये. इसे लेकर भी मुस्तैदी के साथ निगरानी करनी पड़ती है.चहारदीवारी निर्माण के लिए नहीं हो रही ठोस पहल
गौरतलब हैं कि जिले कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि भी अधिक गंभीर नहीं दिख रहे हैं. बेपरवाही का आलम यह है कि तालाब, पोखर और सड़क के किनारे स्थित स्कूलों की अब तक बाउंड्री भी नहीं करायी गयी है. बड़ा सवाल यह है कि स्कूल की छुट्टी या मध्यावकाश के समय बाउंड्री विहीन विद्यालय में खेलते-खेलते बच्चे की सुरक्षा अगर खतरे में पड़ जाये, तो जिम्मेदार कौन होगा. जहां इस तरह का मामला केवल एक विद्यालय का नहीं है, जिले में सैकड़ों प्राथमिक, मध्य व उच्च माध्यमिक विद्यालयों का है. विभाग भी इसे स्वीकार कर रही है, लेकिन चहारदीवारी निर्माण को लेकर पहल नहीं की जा रही है.1800 से अधिक छात्र-छात्राओं का है नामांकित
अटल बिहारी सिंह उच्च विद्यालय में अगर छात्रों के नामांकन पर नजर डालें, तो विद्यालय में 1800 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. नामांकित छात्रों के अभिभावकों को भी इस बात की चिंता अधिक रहती है कि नदी की तरफ से बाउंड्रीवॉल नहीं रहने के कारण कहीं उनका छात्र किसी दुर्घटना का शिकार न हो जाये. दूसरी तरफ सड़क पर बेतरतीब ढंग से चल रहे वाहनों का भी भय बना रहता है. इसके लिए अभिभावक भी विद्यालय प्रबंधन से मिलकर कई बार इसे लेकर शिकायत कर चुके हैं.= वर्ग 6 से 12वीं तक होती है पढ़ाई
शहर के अटल बिहारी सिंह उच्च विद्यालय पीएम श्री के तहत चयनित विद्यालय है. वर्ग 6 से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं कि पढ़ाई होती है. आलम यह है कि छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार, विद्यालय में बैठने से लेकर भवन तक की भी कमी है. गर्मी के मौसम में जब विद्यालय की छुट्टी होती है, तो आनन-फानन में गर्मी से परेशान बच्चे बाहर जब निकलते हैं, उस समय शिक्षकों की चिंता और भी बढ़ जाती है कि कही छात्र-छात्राएं नदी की ओर न चले जाये.वाहन दुर्घटना के भी शिकार हो सकते हैं छात्र
अटल बिहारी से उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं आये दिन वाहन दुर्घटना के भी शिकार होते रहे हैं. यानी भभुआ व चैनपुर व चांद प्रखंड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क विद्यालय के समीप से गुजरती है. सड़क पर कोई ब्रेकर भी नहीं है. इसके कारण वाहन तेज गति से चलते हैं. वहीं, विद्यालय प्रशासन व अभिभावकों की चिंता का सबसे बढ़ा कारण इस पथ से होकर गुजरने वाले बढ़े वाहन भी हैं. क्योंकि इस रास्ते अटल बिहारी सिंह उच्च विद्यालय से लेकर जयप्रकाश चौक तक नो इंट्री लागू नहीं है. इसके कारण आये दिन छोटी-छोटी घटनाएं हर रोज घटती रहती हैं. अगर प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देता, तो एक दिन बड़ी दुर्घटनाएं भी घट सकती है, जिससे इंकार नही किया जा सकता.नदी के तरफ बाउंड्री व छुट्टी के समय सड़क पर प्रशासन की मौजूदगी जरूरी
नदी के तरफ बाउंड्री सहित तेज गति से चल रहे छोटे बड़े वाहनों से सुरक्षा को लेकर भी शिक्षकों की चिंता बनी रहती है कि कहीं उनका छात्र किसी दुर्घटना का शिकार न हो जाये. इसको लेकर छात्रों को एक-एक कर छोड़ा जाता है. सड़क पर खड़े होकर करीब आधे घंटे से अधिक समय तक निगरानी करनी पड़ती है. वहीं, सबसे ज्यादा परेशानी तक होती है, जब कुछ वाहन चालक मनमाने ढंग से वाहन चलाते नजर आते हैं. जिन पर लगाम लगा पाना शिक्षको के बस की बात नहीं रह जाती. जिसे लेकर प्रशासन को खासकर छुट्टी के समय तैनात रहने की जरूरत है.क्या कहते हैं प्रिंसिपल
प्रिंसिपल शिव शंकर कुमार ने कहा कि नदी के तरफ विद्यालय का बाउंड्रीवॉल नहीं रहने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस समय बरसात का मौसम है नदी उफान पर है. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण नदी का पानी विद्यालय कैंपस तक आ जाता है. इसके कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है. बाउंड्रीवॉल के लिए कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को आवेदन देकर गुहार लगायी गयी है, लेकिन इसे लेकर कोई पहल नहीं की गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है