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रसूलपुर कर्महरि विद्यालय में कमरों की कमी से पढ़ाई हो रही बाधित

रसूलपुर कर्महरि मध्य विद्यालय में महज दो कमरों में ही सैकड़ों छात्र बैठ कर पढ़ाई करते हैं

फोटो 8 मध्य विद्यालय रसूलपुर कर्महरी का विद्यालय भवन मोहनिया शहर. भले ही शिक्षा व्यवस्था के सुधार को लेकर विभाग द्वारा लाख प्रयास किया जा रहा है, लेकिन आज भी कई ऐसे विद्यालय है जहां कमरों का अभाव है. इससे बच्चे बरामदे में और खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ने को विवश है. कुछ इसी तरह का दृश्य मोहनिया शहर के वार्ड दो स्थित रसूलपुर कर्महरि मध्य विद्यालय में देखने को मिल रहा है. यहां महज दो कमरों में ही सैकड़ों छात्र बैठ कर पढ़ाई करते हैं. आप सोच कर हैरान होंगे कि आखिर दो कमरों में करीब 350 छात्र कैसे बैठ कर पढ़ाई करते होंगे. लेकिन, यही हकीकत है कि क्लास एक से 8वीं तक के बच्चे महज दो कमरों में ही बैठ कर पढ़ाई करते हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा करीब डेढ़ दर्जन शिक्षक-शिक्षिकाओं की तैनाती की गयी है. मालूम हो कि मोहनिया नगर पंचायत के वार्ड-दो दलित बस्ती है. यहां भभुआ रोड स्टेशन की बगल में उत्क्रमित मध्य विद्यालय रसूलपुर कर्महरि स्थित है, जिसमे केवल तीन कमरे ही बने है. एक कमरे में कार्यालय खोला गया है, तो बाकी के दो कमरे के साथ मजबूरी में बाहर बरामदे में बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. लोगों का कहना है की विद्यालय में कमरों का निर्माण कराया जाये, ताकि पढ़ाई सही ढंग से हो सके. बता दें कि विद्यालय में बाउंड्री के साथ शौचालय भी नहीं है, जिसके कारण छात्रों के साथ शिक्षकों को काफी परेशानी होती है. मोहनिया नगर पंचायत के वार्ड दो स्थित रसूलपुर कर्महरि मध्य विद्यालय के दो कमरे में आखिर कैसे डेढ़ दर्जन शिक्षक पढ़ाते हैं. यह सुनने में आपको भी आश्चर्य लग रहा होगा, लेकिन यही हकीकत है. उक्त विद्यालय मोहनिया शहर व भभुआ रोड स्टेशन की बगल में होने के कारण शिक्षकों का जमवाड़ा लगा है. इस विद्यालय में करीब डेढ़ दर्जन शिक्षक हैं, जिसमे केवल आधा दर्जन से अधिक महिला शिक्षक है. विभाग की अजीबोगरीब कारनामा से सभी हैरान है कि क्लास एक से आठ तक के बच्चों के पढ़ाने के लिए डेढ़ शिक्षक की तैनाती की गयी है. जबकि, कई विद्यालय में शिक्षकों का अभाव है. #क्या कहते हैं वार्डवासी –इस संबंध में वार्ड दो निवासी रामावतार राम ने बताया विद्यालय में भवन का अभाव है. यहा करीब 350 बच्चे नामांकित है, जिन्हें बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. विद्यालय आठवीं क्लास तक है, लेकिन कमरों के अभाव में केवल क्लास सात तक ही पढ़ाई होती है. विद्यालय में तीन कमरा है. इसमें एक कमरे में कार्यालय खोला गया है, दो कमरे और बरामदे में बैठ कर बच्चे पढ़ते हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. इस संबंध में शिव शंकर भास्कर ने बताया नगर के वार्ड दो रसूलपुर कर्महरि दलित बस्ती है. यहां विद्यालय तो खुला है, लेकिन कमरों का अभाव है. साथ ही बाउंड्री भी नहीं है. यहां करीब डेढ़ दर्जन शिक्षक कार्यरत है. किसी तरह ठंड, बरसात व गर्मी में भी बच्चे बाहर बरामदे में बैठ कर पढ़ाई करते है. कई बार कमरों की मांग की गयी, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है. === 350 बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल में दो कमरे, पढ़ाने के लिए 18 शिक्षक तैनात बच्चे बरामदे व खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ने को विवश विद्यालय में बाउंड्री व शौचालय नहीं होने से छात्रों को हो रही परेशानी

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