दुर्गावती. स्थानीय प्रखंड मुख्यालय स्थित नये सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र भवन में लगाया गया लिफ्ट चार वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका है. ऐसे में यह लिफ्ट शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. इसके चालू नहीं होने से ऊपरी तल के कार्यालय पर विकलांगजनों को आने-जाने में परेशानी झेलनी पड़ती है. सरकार द्वारा पुराने प्रखंड मुख्यालय का भवन के जर्जर हो जाने के बाद अच्छी खासी राशि से तीन मंजिला प्रौद्योगिकी (आइटी) भवन का निर्माण कराया गया. दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री के कैमूर दौरे के समय प्रखंड मुख्यालय के इस भवन का रिमोट कंट्रोल से उद्घाटन किया गया. इसके बाद लगभग दो जनवरी 2020 को पुराने भवन से निकलकर प्रखंड कर्मी इस नये बने आइटी भवन में शिफ्ट किये, तो उन्हें भी लगा अब जर्जर भवन से निजात मिल गयी और यह भवन बेहतर व सुविधाजनक होगा. प्रथम दृष्टया यह आइटी भवन कई कमरों से सुसज्जित है. ग्राउंड फ्लोर, द्वितीय तथा तृतीय तल पर कुल मिलाकर लगभग छोटे-बड़े 29 रूम व 6 हाॅल हैं. साधारण सीढ़ियों के अलावा यहां लिफ्ट भी बनाया गया है, ताकि यहां अपने कार्यों को लेकर आने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग तथा महिलाओं के अलावा आमजनों को ऊपरी तल पर जाने में लिफ्ट की सुविधा मिल सके. जब लिफ्ट का निर्माण किया जा रहा था तब ग्रामीणों को भी लगा कि प्रखंड कार्यालय जाने के बाद लिफ्ट का सुख मिलेगा, लेकिन यह मंशा अभी तक धरी की धरी रह गयी. यहां बनने के चार वर्ष बाद भी यह लिफ्ट अभी तक चालू नहीं किया जा सका है. इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी से शुक्रवार को जानकारी लेने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन प्रयास के बावजूद भी बात नहीं हो सकी. क्या कहते हैं लोग– – प्रखंड मुख्यालय आये 70 वर्षीय बुजुर्ग चंद्रमा यादव कहते हैं कि मैं अपना स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए आया था. लिफ्ट चालू नहीं होने से ऊपरी तल पर पहुंचने में परेशानी हो रही थी. लेकिन काम है तो किसी तरह पहुंचना ही पड़ेगा. यदि लिफ्ट चालू रहता तो मेरे जैसे अन्य लोग को भी काफी सुविधा मिलती. – दिव्यांग उमेश सिंह कहते हैं कि इस भवन को बने लगभग पांच वर्ष बीत गये, लेकिन इसमें लगा लिफ्ट अभी तक चालू नहीं हुआ है. इसके चालू नहीं होने से ऊपरी तल के कार्यालयों में कार्य हेतु आने जाने में थकान हो जाती है. सीढ़ियों से चढ़ने उतरने में पसीने छूट जाते हैं. लिफ्ट चालू नहीं होने मुझ जैसे लोगों सहित बड़े बुजुर्ग लोगों को क्या परेशानी होती होगी, यह मुझसे अच्छा कौन समझ सकता है. –दिव्यांग व बुजुर्गों को ऊपरी तल के कार्यालयों तक पहुंचने में होती है परेशानी
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