नुआंव. थाना क्षेत्र के यूपी व बिहार को जोड़ने वाली अखिनी मुख्य सड़क पिछले 10 वर्षों से गंदे पानी से झील में तब्दील है. पहली बरसात के बाद उक्त पथ से पैदल चलना तो दूर वाहनों से भी गुजरने में मुश्किल हो रहा है. ऐसे में राहगीरों को हाथ में जूते व अपने कपड़े को ऊपर कर यूपी की डगर तय करनी पड़ रही है. सड़क किनारे नाला निर्माण को लेकर ग्रामीण प्रखंड से लेकर जिला व सांसद से लेकर विधायक तक गुहार लगा चुके, किंतु वर्षों बीतने के बाद भी मुख्य सड़क की तस्वीर बदलते नहीं दिख रही. दो राज्यों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क से गुजरने वाले बाइक सवार कब कीचड़ की भेट चढ़ जाएं, कहना मुश्किल है. विगत 10 वर्षों से अखिनी गांव के रास्ते यूपी की डगर तय करने वाले राहगीरों को सड़क पर पसरे घरों के गंदे पानी के बीच होकर गुजरना पड़ता है. बरसात के दिनों में लगभग तीन माह तक 200 मीटर के लंबे परिधि में सड़क झील में तब्दील दिखती है. अखिनी गांव में सड़क से गुजरने वाले चार पहिया वाहन चालकों की थोड़ी सी चूक उन्हें कीचड़ में फंसा दे कहना मुश्किल है. ग्रामीणों की इस ज्वलंत समस्या को लेकर ना तो जनप्रतिनिधि संवेदनशील है, ना ही प्रशासनिक महकमे के हाकिम. बताते चलें उक्त पथ से बिहार के कैमूर, रोहतास जिले के दर्जनों राहगीर व व्यवसायी अपने चार पहिया वाहन से यूपी व बिहार को विभाजित करने वाली कर्मनाशा नदी पर बने अखिनी पुल के रास्ते उत्तर प्रदेश के दिलदारनगर जमानिया, गाजीपुर अपने कारोबार व रिश्तेदारी में प्रतिदिन आते जाते है. किंतु सड़क किनारे नाले का निर्माण नहीं होने के कारण घरों का गंदा पानी मुख्य सड़क पर पसरा रहता है. इसको लेकर आये दिन सड़क किनारे राहगीरों के वाहन कीचड़ में फंसने के साथ पैदल चल रहे राहगीरों के कपड़े गंदे होते हैं. #क्या कहते हैं ग्रामीण ग्रामीण आतिफ खान ने कहा वर्षों से मुख्य सड़क पर दो फीट गंदा पानी लगा हुआ है. बगल में सरकारी मध्य विद्यालय है. विद्यालय जाने के दौरान कई बच्चों के कपड़े पानी में गिरकर गंदे होते है. लोकसभा चुनाव के दौरान जलजमाव के मुद्दे को उठाया गया था. कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तियरा आगमन के दौरान भी आवाज उठाया गया. बीते उपचुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वोट वर्तमान विधायक को मिला, पर अबतक नाला निर्माण नहीं हुआ. #अखिनी गांव के समाजसेवी आतिफ खान ने बताया छह वर्ष पूर्व वर्ष 2018 में मुख्य सड़क के निर्माण के दौरान बोला गया सड़क के साथ नाला का निर्माण कराया जायेगा. सड़क बनी पर नाले का निर्माण नहीं हुआ. पहले गांव का पानी सड़क किनारे गड्ढों में एकत्रित होता था. आबादी बढ़ी तो लोग सड़क किनारे गड्ढों को भरकर मकान बना लिये. सड़क के दोनों किनारे सरकारी जमीन है, विभाग द्वारा अगर नाले का निर्माण कर व नाले के गंदे पानी को जहांगिरिया दादा मजार के समीप सरकारी तालाब में गिराया जाये व तालाब के पानी को नाले के रास्ते नदी में ले जाए तो जलजमाव की समस्या से निजात पायी जा सकती है. #गांव के युवा समाजसेवी रिजवान खान ने बताया अक्सर उक्त पथ से गुजरने वाले चारपहिया वाहनों के कीचड़ में फंसने के बाद मुझे ट्रैक्टर से निकालने पड़ते हैं. पूर्व में सड़क निर्माण के दौरान अगर सड़क के दोनों तरफ नाला निर्माण हुआ होता, तो आज ऐसा नजारा नहीं दिखता. सांसद सुधाकर सिंह द्वारा बीते 23 जुलाई को पथ निर्माण के अपर सचिव को पत्र देकर लगभग साढ़े तीन किलोमीटर महरथा पुल से मुस्लिम टोला अखिनी तक सड़क मेंटेनेंस व नाला निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया है, टेंडर की प्रक्रिया होने वाली है. #अखिनी के समाजसेवी अफरोज खान ने बताया कि बाहर से आने वाले राहगीर अगर यूपी की पैदल सफर करें, तो उनके पतलून निश्चित तौर पर गंदे होंगे. गांव के लोगों को भी अगर नुआंव बाजार जाने होते हैं,तो बाइक व चार पहिया वाहन का सहारा लेना पड़ता है. 200 मीटर दूर तक सड़क के किनारे ऐसी कोई जगह नहीं जिसके सहारे आदमी जूता पहने सड़क को पार कर सके. इससे निजात पाने के लिए अखिनी गांव के मध्य विद्यालय से गांव के बाहरी छोर तक सड़क के दोनों तरफ नाले का निर्माण हो जाये, तो सारी समस्याओं से निजात पायी जा सकती है.
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