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शहर में चार फुट तक जलस्तर गया नीचे, पानी के लिए मचा हाहाकार

भभुआ शहरी क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में भूजल स्तर नीचे जाने से पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगी है.

भभुआ सदर. भभुआ शहरी क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में भूजल स्तर नीचे जाने से पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगी है. पीएचइडी की ओर से भी सरकार को भेजी गयी भूजल स्तर रिपोर्ट में भभुआ शहर में चार फुट तक नीचे गया है. भूजल स्तर नीचे जाने से शहर में गाड़े गये ज्यादातर चापाकलों से साय-साय की आवाज आने लगी है. जबकि, अधिकतर जगहों में चापाकल बंद होने के कगार पर पहुंच गये है. लोगों का कहना हैं कि अभी पानी का लेयर चार फुट नीचे गया हैं जो आगे बढ़ सकता हैं. इधर, शहर के अधिकतर मुहल्लों में नलजल की भी स्थिति खराब है, जिसके चलते पेयजल की समस्या होने लगी है. हालांकि, देखा जाये तो भभुआ शहर में जलस्तर का काफी उतार चढ़ाव है. इसीलिए कही-कहीं महज 80-90 फुट पर भी पानी निकल जाता है, तो कहीं 120 फुट पर भी पानी नहीं मिलता है. ऐसे में पेयजल की व्यवस्था कर पाना सबके बस की बात नहीं है. विभागीय जानकारी के अनुसार, पेयजल आमजन को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए भभुआ शहर में ही अनुमानित कम से कम लगभग 40 लीटर जल की आवश्यकता प्रति व्यक्ति होती है. विभागीय दावों को मानें तो 250 व्यक्ति पर एक चापाकल काफी है. जबकि, भभुआ की जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार एक लाख के आसपास है. यहां विभाग द्वारा लगाये गये चापाकलों से जनसंख्या के पांच गुना लोगों को भी पानी आसानी से पानी मुहैया कराया जा सकता है, लेकिन हालत यह है कि शहर में लगे अधिकतर चापाकल खराब हो चुके हैं, जो पेयजल उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हैं. हालांकि, शहर में नलजल से पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन अधिकतर वार्डों में भूजल स्तर में गिरावट के कारण पेयजल को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न होने लगी है. दुखद यह है कि नगर पर्षद व जिला प्रशासन इस समस्या के प्रति तत्पर नही हैं. पूर्व अभियंता रमेश प्रसाद सिंह के अनुसार, शहर के दक्षिणी भाग विशेषकर वार्ड संख्या 14, 15, 19, 23 व 25 के शहरी इलाकों में जलस्तर में गिरावट अभी से तेज है. अन्य इलाकों में भी जलस्तर गिर रहा है. हालांकि, बारिश का सीजन शुरू होनेवाला है, अगर अच्छी बारिश होती है तो पेयजल की समस्या से निबटा जा सकता है. = बड़े पैमाने पर शहर में भूजल का हो रहा दोहन दरअसल, शहर में भूजल का व्यावसायिक दोहन तेजी से हो रहा है, जिसके चलते भी पानी का लेयर भाग रहा है. मकानों और जगह जगह गाड़े जा रहे सबमर्सिबल से जरूरत से ज्यादा पानी जमीन से निकाल कर बर्बाद किया जा रहा है. बोतलबंद पानी के कारोबारी हों या वाहन सर्विसिंग सेंटर चलाने वाले, ये बहुत पानी बर्बाद करते हैं. उसकी तुलना में भूजल रिचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं है. शहर में इसके जो प्राकृतिक स्रोत कुआं, तालाब व पोखर थे, वे भी दिन-प्रतिदिन खत्म होते जा रहे हैं. = जल संचय पर देना पड़ेगा सभी को ध्यान पर्यावरण संरक्षण अभियान से जुड़े समाजसेवी रवि अग्रवाल, हरिशंकर तिवारी के अनुसार, जल संकट की ओर बढ़ रहे शहर को समस्या से बचाने के लिए इन उपायों पर ध्यान देना होगा. इसमें मुख्य रूप से वर्षा जल के संचयन सहित प्राकृतिक जलस्रोतों कुआं, तालाब व पोखरों का जीर्णोद्धार कराना, बहुमंजिले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य करना, शहर से निकलने वाले गंदे पानी के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर उसका इस्तेमाल अन्य कार्यों में करना, बारिश के पानी का समुचित प्रबंधन कर उसका लाभ उठाना और हर स्तर पर पानी का अपव्यय रोकना होगा. = परंपरागत जलस्रोतों को बचाने पर ध्यान नहीं पूर्व प्रोफेसर और जानी मानी समाजसेवी वक्ता कमला सिंह कहती है कि तालाब, कुओं जैसे पारंपरिक स्रोतों को जीवंत बनाने और भूजल संरक्षण की जरूरत पहले से कहीं अधिक हो गयी है. जिले में काफी तादाद में पोखर-तालाब थे, कुएं थे लेकिन हमने उन्हें रहने नहीं दिया, परिणाम हमारे सामने है. प्रशासन को चाहिए कि विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर बन रही इस सामाजिक समस्या का कारगर निदान निकाले. वहीं, पूर्व प्रोफेसर टीएन पांडेय ने कहा कि हमने विकास की अंधी दौड़ में जलस्रोतों को नष्ट कर मकान बना दिये, कुटीर उद्योग लगा दिये. भूजल का लगातार तेजी से दोहन कर रहे है. जबकि पहले खाली जगहों पर पानी जमा होता था और वहां से धीरे-धीरे रिस-रिस कर भूजल स्तर को बनाये रखता था. आज तेजी से सिर्फ दोहन की वजह से ही अब भूजल का स्तर काफी नीचे खिसक रहा है. = ये हैं पेयजल संकट के प्रमुख कारण – अनियमित वर्षा के कारण पानी की कमी – उपलब्ध पानी का सही और उचित उपयोग न हो पाना – जमीन के भीतर पानी का पुनर्भरण (रिचार्ज) न किया जाना – जमीन के अन्दर से अत्यधिक पानी निकालना – शहरों में तेजी से बढ़ता जल प्रदूषण ——— पीएचइडी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में खुलासा, तेजी नीचे जा रहा जलस्तर गर्मी बढ़ते ही शहर के अधिकतर मुहल्लों में पेयजल की समस्या नलजल की हालत खराब रहने व हैंडपंप के पानी छोड़ने से लोग परेशान

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