दुर्गावती. स्थानीय प्रखंड क्षेत्र की खामीदौरा पंचायत के खामीदौरा, धनिहारी आदि जगहों से गुजरने वाले राजबाहे व माइनर कहीं पट चले है, तो कहीं अतिक्रमण से सिकुड़ते जा रहे हैं. ग्रामीण कहते हैं कि यदि समय रहते इन बाहों का अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो आने वाले बारिश के मौसम में धान की फसलों के गलन की समस्या खड़ी हो जायेगी. जानकारी के अनुसार, खामीदौरा व धनिहारी गांव के मध्य से मनोहरपुर माइनर की एक शाखा निकलती है, जिस पर धनिहारी दलित बस्ती के निकट अतिक्रमण इस कदर बढ़ गया है कि कुछ जगह पट गये हैं. नतीजा आने वाले बरसात के दिनों में एक बार फिर जलनिकासी बाधित होने की संभावना बनती नजर आ रही है. जबकि, बीते वर्ष मनरेगा के तहत इस बाहे की खुदाई कर जीर्णोद्धार भी किया गया था, जो जांच का विषय बन रहा है. वहीं, खामीदौरा गांव के मध्य में स्थित पोखर से जुड़े बाहे पर भी अतिक्रमण है, अतिक्रमण हटाने के लिए ग्रामीणों द्वारा आवेदन भी दिया गया था, लेकिन अभी तक अतिक्रमण पूरी तरह हटाया नहीं गया है. इसके लिए ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री बिहार को भी आवेदन देकर गुहार लगायी गयी थी. बताया जाता है कि तब नाम मात्र का अतिक्रमण हटा कर महज खानापूर्ति की गयी है. समय रहते यदि अतिक्रमण हटाकर जलनिकास का मार्ग प्रशस्त नहीं किया जाता है तो गांव के किसानों का अनुमान है कि आने वाले समय में धान की फसलों में जलजमाव से गलन की समस्या पुनः उत्पन्न होने की संभावना है. आखिरकार अतिक्रमण पूर्णत: नहीं हटाये जाने का क्या कारण है? जिसे लेकर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. कमोबेश यही हाल छांव पंचायत के खरखोली गांव का भी है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के मौसम में खरखोली ताल के पानी की निकासी का समुचित प्रबंध नहीं है. इसका दंश अब ग्रामीणों को झेलना पड़ेगा. नतीजा बारिश के मौसम में जब ताल जलमग्न हो जाता है तो बाहे के अभाव में पानी निकलने में कई दिन लग जाते हैं, ऐसे में धान की फसल जलजमाव से गलने लगता है. इतना ही नही खरखोली गांव में नालियों के भी सही तरीके से नहीं बनने के कारण कुछ घरों का गंदा पानी गांव स्थित ब्रह्म बाबा के पोखरी में गिरता रहता है. ग्रामीणों ने शासन प्रशासन का इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया है. ..मुख्यमंत्री को भी आवेदन देकर ग्रामीण लगा चुके हैं गुहार
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