भभुआ कार्यालय. मनरेगा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के चौंकाने वाले मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं. इसी क्रम में एक नया मामला सामने आया है. इसके तहत मनरेगा के तहत चलायी जाने वाली योजनाओं में सामग्री आपूर्ति के लिए एजेंसी के चयन में ही बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. इस एजेंसी ने सामग्री आपूर्ति के लिए एजेंसी के चयन वाली निविदा में हिस्सा ही नहीं लिया, उस एजेंसी का भी निविदा की तिथि समाप्त होने के बाद फर्जी तरीके से चयनित एजेंसियों में शामिल करके उसे एजेंसी के नाम पर करोड़ों रुपये का भुगतान एमआइएस पर अपलोड कर दिया गया है. बड़ी बात यह है कि फर्जी तरीके से चाइनीत उक्त एजेंसी के नाम पर विभागीय मिली भगत से करोड़ रुपये भुगतान की भी पूरी तैयारी कर ली गयी थी. लेकिन, इसी बीच मनरेगा के अधिकारियों व एजेंसी के प्रोपराइटर की मिली-भगत से की जा रही इस फर्जीवाड़े की शिकायत नये उप विकास आयुक्त सूर्य प्रताप सिंह से की गयी. इसके बाद उन्होंने उक्त एजेंसी के नाम पर करोड़ों रुपये के अपलोड वाउचर के भुगतान पर रोक लगा दी. इस पूरे फर्जीवाड़े की शिकायत भभुआ प्रखंड के बारे गांव के रहने वाले के कमलेश कुमार ने उप विकास आयुक्त से की है. इस पर उप विकास आयुक्त ने भुगतान पर रोक लगाते हुए सभी अभिलेखों की जांच कर रहे हैं.
निविदा में चयनित 55 एजेंसी में शामिल नहीं था दिवाकर सिंह का कृष्ण एंटरप्राइजेज
मनरेगा में जिस तरह की गड़बड़ी का मामला सामने आया है, वह काफी गंभीर है. शिकायतकर्ता कमलेश के मुताबिक मनरेगा आयुक्त के आदेश पर 2024-25 में मनरेगा की योजनाओं में सामग्री की आपूर्ति करने के लिए 5 फरवरी 2024 को एजेंसी के चयन के लिए निविदा निकल गया था. इसमें 29 जुलाई 2024 को फाइनल निविदा में कुल 55 एजेंसी का चयन किया गया. इन 55 एजेंसी में प्रोपराइटर दिवाकर सिंह का कृष्णा इंटरप्राइजेज शामिल नहीं था. निविदा फाइनल होने की तिथि 29 जुलाई 2024 के बाद 9 सितंबर 2024 को फर्जी तरीके से दिवाकर सिंह के कृष्णा इंटरप्राइजेज का नया जीएसटी नंबर के साथ चयन कर लिया गया. जिन 55 एजेंसी का 29 जुलाई 2024 के निविदा में चयन हुआ था, उसमें गुदरी सिंह के कृष्णा इंटरप्राइजेज का चयन हुआ था. उनका जीएसटी नंबर अलग था. लेकिन, मनरेगा में बैठे जालसाज जीएसटी नंबर व प्रोपराइटर बदलकर दूसरा कृष्णा इंटरप्राइजेज सामग्री आपूर्ति वाले एजेंसी का फर्जी तरीके से एमआइएस पोर्टल पर शामिल कर दिया. दिवाकर सिंह के कृष्णा इंटरप्राइजेज के मनरेगा में सामग्री आपूर्ति के लिए फर्जी तरीके से चाइनीत एजेंसी दिखाकर उसके नाम पर आपूर्ति का सिलसिला शुरू हो गया.करोड़ों रुपये का वाउचर फर्जी तरीके से चयनित एजेंसी के नाम पर भुगतान के लिए हो गया अपलोड
फर्जी तरीके से उक्त एजेंसी का चयन क्यों किया गया, इसका भी खुलासा उस एजेंसी के नाम पर भुगतान के लिए अपलोड हुए वाउचर को देखकर समझ जा सकता है. फर्जी तरीके से शामिल एजेंसी के नाम पर करोड़ों रुपए का वाउचर भुगतान के लिए अपलोड कर दिया गया है. जबकि इतना बड़ा खेल मनरेगा के अधिकारियों के बगैर मिली भगत के संभव ही नहीं है. शिकायतकर्ता का स्पष्ट रूप से कहना है कि इसमें मनरेगा के अधिकारी व एजेंसी का मालिक दोनों ने मिलकर मनरेगा का करोड़ों रुपये लूटने के लिए इस तरह का बड़ा फर्जीवाड़ा किया है. इसकी जानकारी संजोग से मुझे भुगतान से पहले हो गयी. जिसकी शिकायत मेरे द्वारा उप विकास आयुक्त को की गयी. अन्यथा मनरेगा के अधिकारियों के मिली भगत से जल्दी बाजी में करोड़ों रुपये भुगतान कर सरकार को मनरेगा के विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपये का चूना लगाने की योजना थी.
क्या कहते हैं उप विकास आयुक्त
उप विकास आयुक्त सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि इस संदर्भ में हमें शिकायत प्राप्त हुई है. इसके बाद एजेंसी के सभी भुगतान पर रूप लगा दी गयी है. इसके साथ ही शिकायत के सभी बिंदुओं व उक्त एजेंसी के अभिलेखों की बारीकी से जांच की जा रही है. अगर इसमें कोई गड़बड़ी की गयी होगी, तो उन लोगों के ऊपर जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है