मधेपुरा.
सिंडिकेट सदस्य सह मैजर डॉ गौतम कुमार ने कुलपति को आवेदन देकर कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों की अहम भूमिका है, लेकिन उनके योगदान के अनुरूप उन्हें प्रायः उचित सम्मान नहीं मिल पाता है. कुछ बेहतर की आस में वर्षों से बैठे इन शिक्षकों, शिक्षतकेत्तर कर्मियों को वेतन देने के नाम पर राज्य सरकार वर्ष 2008 से परीक्षाफल आधारित अनुदान देना शुरू किया. उक्त राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही रहता है. परीक्षाफल आधारित अनुदान भी पिछले 2017 से बकाया था. उसमें से 30/4/25 को उच्च शिक्षा के सचिव सह निदेशक द्वारा जारी पत्र द्वारा सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2014-17 में 37 करोड़ 71 लाख की राशि विमुक्त किया है. जो निराशा व हताशा की दौर में एक आशा की किरण है. वर्तमान दौर में अनुदानित कालेजों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में पूरी तरह असमर्थ होते जा रहे हैं. ऐसे में अलग-अलग कारणों से अनुदान भुगतान को बाधित करना और विभिन्न प्रकार की प्रक्रिया उत्पन्न कर उसे पूरा करने में उलझाना दुखद और चिंताजनक है. कुलपति से अनुरोध किया कि उपरोक्त बिंदुओं पर संज्ञान लेने की कृपा करते हुये सकारात्मक पहल करते हुये अविलंब भुगतान की जाय .डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है