मधेपुरा. बकरीद का त्योहार शनिवार को मनाया जायेगा. इसको लेकर शहर के सभी ईदगाह की साफ-सफाई की गयी. यहां बकरीद के दिन नमाज अदा की जायेगी. इसके अलावा अन्य मस्जिदों में भी सफाई का काम पूरा कर लिया गया है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस कुर्बानी के बाद बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. पांच हजार से लेकर 25 हजार तक के बेचे गये बकरे इस्लाम धर्म में पहला मुख्य त्योहार मीठी ईद होती है. इसे ईद-उल-फितर कहा जाता है. इस मीठी ईद पर मुस्लिमों के घर पर सेवइयां व कई मीठे पकवान बनाये जाते हैं. लेकिन, बकरीद के मौके पर मवेशियों की कुर्बानी देने की प्रथा है. जिले भर में इस पर्व को लेकर इस्लाम धर्म के लोगों ने तैयारी को अंतिम दे दिया गया है. शहर के हाट बाजार में बकरों की खरीदारी की गयी. पांच हजार से लेकर 25 हजार तक के बकरे बेचे गये. इधर, पर्व को लेकर जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये है़. शहर के ईदगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में नमाज अदा करने की समय सारिणी जारी कर दी गयी है. जिला प्रशासन द्वारा संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. जिला प्रशासन द्वारा सभी वरीय अधिकारी व पुलिस अधिकारियों को विधि व्यवस्था बनाये रखने के दिशा-निर्देश दिये गये हैं. शरारती तत्वों पर अंकुश लगाये जाने के लिए निगरानी व सतर्कता रखने के लिए निर्देश है. सादे लिबास में पुलिस बल बाजार में प्रतिनियुक्त रहेंगे. . ———— त्याग व बलिदान का पर्व बकरीद आज, हर इबादतगाहों, होगी नमाज उदाकिशुनगंज. बकरीद अनुमंडल क्षेत्र में आज अकीदत के साथ मनाया जाएगा. सुबह लोग लोग ईदगाह और मस्जिद में नमाज अदा करेंगे. उसके बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाएगा. जहां ईद-उल-जुहा यानी बकरीद त्यौहार की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शुक्रवार को सभी लोग अपनी तैयारी में लगे रहे. शनिवार को सभी मस्जिद और ईदगाह में बकरीद की नमाज अदा की जायेगी. वही अनुमंडल प्रशासन की ओर से भी पूरी तैयारी पूरी कर ली गयी है. बताया जाता है कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल में महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों पर मजिस्ट्रेट बहाल किए गए हैं. बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहेंगे. जहां कुछ स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे से सभी हरकत पर नजर रखी जायेगी. सोशल मीडिया पर विशेष ध्यान रखा जायेगा. टोपी व इत्र की हुई खरीदारी टोपी और इत्र की खरीदारी भी खूब हुई. बकरीद की नमाज अदा करने के लिए परंपरागत वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसमें टोपी भी शामिल है. हालांकि ईद की अपेक्षा बकरीद में नए कपड़े खरीदने वालों की संख्या कम होती है. फिर भी इत्र और टोपी की खरीदारी की गयी. नमाज से पहले गुस्ल करके कुर्ता पजामा और टोपी पहन इत्र लगाकर ईदगाह जाते हैं. इन बातों का रखें ध्यान सिंगारपुर जामा मस्जिद के इमाम मुजक्कीर हसन नदवी ने बताया कि कुर्बानी के त्यौहार में इस्लाम में गरीबों और मजलूम का खास खास ध्यान रखने की परंपरा है इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. जिन व्यक्ति के पास पैसा ना हो या उस पर किसी तरह का कोई कर्ज हो तो वह कुर्बानी नहीं दे सकता. कुर्बानी देने वाले पर किसी तरह कोई कर्ज नहीं होना चाहिए तभी उसकी कुर्बानी मानी जाती है. वही दिए गए कुर्बानी के गोश्त के तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और दो हिस्से समाज के जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिस पशु की कुर्बानी दी जा रही है. वह पूरी तरह से स्वस्थ होना चाहिए. उसके शरीर के हर हिस्से पूरे होने चाहिए यानी जिस अवस्था में वो पैदा हुआ है. उसी अवस्था में होना चाहिए. बीमार,सींग या कान का अधिकतर भाग टूटा हो या छोटे पशु की कुर्बानी नहीं दी जा सकती.
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