मधेपुरा. नदी मित्र मधेपुरा इकाई द्वारा कोसी अंचल की लुप्तप्राय नदियां विषय पर नदी संवाद का आयोजन संस्कृत हिंदी पाठशाला नवटोलिया मधेपुरा में शनिवार को किया. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता नदी विशेषज्ञ तथा फिजी में भारत के पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक डॉ ओम प्रकाश भारती थे. डॉ ओम प्रकाश भारती ने कहा कि आज कोसी अंचल की एक दर्जन से अधिक नदियां विलुप्त होने की स्थिति में हैं. इन नदियों में सौरा, काली, कोसी, तिलयुग, बैती, धेमुरा, पुरैन, तिलावे, परवाने, फरैनी, हरसंखनी, चिलौनी, सुरसर, लोरम, हाहा, हिरन, सोनेह, बरहरी, दुलारी दाई, कमताहा व कजरी समेत अन्य लुप्त प्रायः है. मधेपुरा जिले की घघरी, वैवाह व बरहरी नदियां ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नदी है. वैवाह के किनारे बसा है प्रसिद्ध सिंहेश्वर स्थान डॉ ओम प्रकाश भारती ने कहा कि प्रसिद्ध सिंहेश्वर स्थान वैवाह के किनारे बसा है. राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ तथा ऋषि श्रृंग का आश्रम परवाने नदी के सातोखर घाट पर स्थित है. घघरी नदी के किनारे लोक देव विशु राउत का स्थान है. मधेपुरा शहर के पूर्वी भाग में चिलौनी तथा पश्चिमी भाग में परवाने की प्रवाह क्षेत्र में शहर बस चुका है. नदी का प्राकृतिक मार्ग बाधित है. वर्ष 1922 में कोसी, परवाने, चिलौनी तथा तिलावे से होकर बहती थी. अब यह नदियां लुप्त होने की स्थिति में है. अतिक्रमण ने नदियों के प्राकृतिक मार्ग को किया है बाधित डॉ ओम ने कहा कि नदियों के लुप्त होने के पीछे कई कारण हैं, जैसे पर्यावरणीय परिवर्तन, मानवीय हस्तक्षेप, नदियों में प्रदूषण, जलकुंभी का फैलाव व नदियों के प्राकृतिक मार्ग में बदलाव है. जलकुंभी एक आक्रामक पौधा है, जो नदियों के प्रवाह को रोकता है और पानी को दलदल में बदल देता है. नदियों के किनारों पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण ने उनके प्राकृतिक मार्ग को बाधित किया है. बदलते मौसम व कम वर्षा ने नदियों के जलस्तर को प्रभावित किया है. सरकारी स्तर पर नदियों के संरक्षण व पुनर्जनन के लिए ठोस प्रयासों की कमी है, जिसके कारण नदियां लुप्त हो रही है. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मुद्दे को रखना होगा जीवित डॉ ओम ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को जीवित रखना होगा, नहीं तो ड्रेगन धीरे धीरे नदियों को निगल जायेगा. नदी मित्र द्वारा बिहार की नदियों के सांस्कृतिक मान चित्रण का संकल्प लिया गया. इसमें नदियों की जनगणना के साथ नदियों से जुड़े मिथक, कहानी, गीत तथा ऐतिहासिक विवरणों को एकत्र किया जायेगा. साथ ही नदियों किनारे बसे समुदायों, तीर्थस्थलों व सांस्कृतिक स्थल, पर्व, त्यौहार तथा अनुष्ठानों का अध्ययन किया जा रहा है. स्थानीय लोगों व विद्वानों से साक्षात्कार के माध्यम से मौखिक परंपराओं का संकलन व संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. कार्यक्रम का संचालन पाठशाला के निदेशक अजय शास्त्री व धन्यवाद ज्ञापन मनु कुमार ने किया. मौके पर उत्तर प्रदेश से राहुल यादव, प्रो विनय कुमार चौधरी, प्रो विनोद कुमार विवेका, प्रो आलोक कुमार, संस्कार भारती जिला के संयोजक राहुल कुमार आदि उपस्थित थे.
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