ग्वालपाड़ा .
13 दिनों तक चलने वाली मधुश्रवाणी व्रत का नवविवाहिता ने शनिवार को 12 दिन का पूजा संपन्न किया. रविवार को टेमी की रस्म के साथ नवविवाहिता की अग्नि परीक्षा वाली व्रत संपन्न होगा. नवविवाहिताओं के लिए कठिन पर्व जिसे अग्नि परीक्षा कहा जाता है, वह मधुश्रवाणी है. इस पर्व में नवविवाहिता पति व अमर सुहाग की कामना करती है.मिथिला परंपरा के मुताबिक नवविवाहिता ससुराल से भेजे गये नव वस्त्र धारण कर सजधज कर प्रतिदिन मां गौरी, महादेव व नागदेवता की पूजा करती है. ससुराल से भेजे गये अरवा भोजन करना अनिवार्य होता है. नवविवाहिता सुबह शाम अपनी टोली बनाकर फूल तोड़ती है. उसी फुल से पूजा करती है. पूजा के क्रम में महिला पंडिताईन जिसे कथकही कहा जाता है. उसके द्वारा कथा वाचन किया जाता है. बीच-बीच में कथा से संबंधित गीत भजन भी गया जाता है. नौहर की नवविवाहिता शिवानी कहती है कि जिंदगी की सबसे कठिन व्रत मधुश्राविणी होता है. इसमें नवविवाहिता पति की लंबी उम्र व अचल सुहाग के लिए शरीर के अनेक स्थानों को जला अग्नि परीक्षा तक देकर इस व्रत को संपन्न करती है.
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