मधेपुरा.
बीसीए छात्र-छात्राओं के परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी व अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग व बीएनएमयू में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता के खिलाफ शुक्रवार से आयोजित अनिश्चितकालीन आमरण अनशन को लेकर संयुक्त छात्र संगठन ने प्रेसवार्ता किया. संयुक्त छात्र संगठन के छात्र नेताओं ने बताया कि बीएनएमयू प्रशासन द्वारा अनिश्चितकालीन आमरण अनशन व धरना प्रदर्शन को अवैध करार देते हुये कुलसचिव द्वारा इ-मेल के माध्यम से एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार के नाम से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है. नोटिफिकेशन में मनीष कुमार के कई सारे निजी जानकारी को सार्वजनिक किया गया है. उन्होंने कहा कि इस नोटिफिकेशन की एक प्रति विश्वविद्यालय के दीवार पर भी सार्वजनिक तौर पर चिपकाया गया है, जिसका सभी छात्र संगठन ने विरोध जताया है. विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन व अनिश्चितकालीन आमरण अनशन को विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा अवैध करार दिये जाने पर छात्र नेताओं ने संविधान के प्रति को हाथ में लेकर कहा कि कुलपति छात्र-छात्राओं के संवैधानिक अधिकार का दमन कर रहे हैं. छात्र-छात्राएं अपनी समस्या को लेकर आखिर किससे मिले. पदाधिकारी छात्र-छात्राओं की परेशानी सुनने के बजाया डांट-डपट करते रहते हैं. विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी महाविद्यालयों में वोकेशनल की पढ़ाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ छात्र-छात्राओं का शोषण हो रहा है. किसी भी महाविद्यालय में ना तो कक्षायें हो रही है, न ही छात्र-छात्राओं को लाभ हो रहा है, ना ही मुकम्मल शिक्षक है और ना ही कोई लाइब्रेरी है. छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम गैर जिम्मेदार तरीके से दी गई है. उन्होंने कहा कि पूर्व में बीएनएमयू बचाओ छात्र न्याय आंदोलन के बीस सूत्री मांग भी लंबित है. विश्वविद्यालय मुख्यालय में पीने का पानी हो या फिर शौचालय जैसे बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. छठ नेताओं ने कहा कि कुलपति संविधान को हाथ में ना लें, अन्यथा कोर्ट में भी चैलेंज किया जायेगा. मौके पर एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार, युवा शक्ति के सौरभ यादव, आइसा के जिला सचिव पावेल कुमार, एजाज अख्तर, भीम आर्मी के विश्वविद्यालय अध्यक्ष बिट्टू रावण, युवा कांग्रेस के निरंजन यादव, सुमित कुमार, गोल्डन कुमार गुड्डू आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है