21.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के नीतिगत फैसलों में दखल देने से किया इनकार, जानें पूरा मामला

चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने युथ फॉर दलित आदिवासी एवं राजीव कुमार द्वारा दायर एक लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत नीतिगत निर्णयों में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा.

पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि वह राज्य सरकार द्वारा पहले से तैयार की गई योजना (मैट्रिक पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना) में किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगा. कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर याचिका खारिज करते हुए कहा है कि इस तरह का निर्णय राज्य सरकार के नीतिगत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला मामला हैं. इसमे कोर्ट किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा. चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन एवं जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने युथ फॉर दलित आदिवासी एवं राजीव कुमार द्वारा इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर यह आदेश पारित किया.

क्या कहा याचिकाकर्ताओं ने…

याचिका कर्ताओं ने छात्रों के लिए भारत सरकार की 2021 छात्रवृत्ति योजना के एक हिस्से को लागू करने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया था. लोकहित याचिका में यह कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को पूरी तरह से लागू किए बिना ही बिहार में छात्रवृत्ति के लिए एक योजना लागू की गई है.

इतने छात्रों को दी जा चुकी है छात्रवृत्ति

वहीं इस मामले में राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उल्लेखित दिशा निर्देश केवल अनुसूचित जाति के छात्रों पर लागू होता है और बिहार में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए भी एक योजना है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ली गई मौजूदा संकल्प-योजना एससी और एसटी छात्रों के बीच छात्रवृत्ति के एक समान मानक और उचित वितरण को बनाए रखना है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार में वर्ष 2021-22 के लिए 86616 छात्रों और वर्ष 2021-22 के लिए 151978 छात्रों की छात्रवृत्ति राशि पहले ही दी जा चुकी है.

एक ही पाठ्यक्रम के लिए अलग-अलग शुल्क वसूल रहे थे संस्थान

कोर्ट को बताया गया कि भिन्न भिन्न संस्थानों द्वार एक ही पाठ्यक्रम के लिए अलग-अलग शुल्क लिए जा रहे थे. इसलिए शुल्क संरचना को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता थी. इसे राज्य मंत्रिमंडल की उचित मंजूरी के साथ किया गया है. उन्होंने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के कल्याण के प्रति संवेदनशील और प्रतिबद्ध है. साथ ही सरकार इन वर्गों के शैक्षिक योग्यता के उन्नयन के संबंध में मुद्दे पर वित्तीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना आवश्यक समझती है.

राज्य सरकार ने छात्र-छात्राओं के लिए बनाई कई योजना

वकील प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया की राज्य सरकार ने इन वर्गों के साथ ही अन्य वर्गों के छात्रों के लिए भी कई योजनाएं बनायी है. इसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करने की योजना है. इस योजना के तहत राज्य सरकार के सात निश्चय के अनुपालन में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत छात्रों को लाभान्वित किया जाना है.

उन्होंने बताया कि राज्य के अंदर सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों एवं राज्य के बाहर के सभी सरकारी एवं मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में अध्यनरत छात्राओं को सरकारी संस्थान में निर्धारित शिक्षण शुल्क की राशि , गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में अधिकतम वार्षिक सीमा के तहत छात्रवृत्ति का भुगतान, छात्रवृत्ति राशि के अतिरिक्त समय-समय पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित अनुरक्षण भत्ता भी देना है.

Also Read: जहानाबाद कोर्ट में सरेंडर करने आए आरोपी को 7 अपराधियों ने वकील के चैंबर से उठाया, दारोगा की जांबाजी से बची जान
Also Read: Gaya: रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाएगा पितृपक्ष मेला, लगाई जाएंगी 200 से अधिक स्ट्रीट और 4 हाई मास्ट लाइटें

हाइकोर्ट ने सभी विवि से कहा, तीन सप्ताह में बताएं डिग्री देने में क्यों हो रही देरी

इधर, पटना हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने एक अन्य लोकहित याचिका पर सुनवाई की. विवेक राज द्वारा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को डिग्री निर्गत करने में किये जा रहे विलंब को लेकर यह लोकहित याचिका देर की गई थी. इस मामले कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सोमवार को सभी विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि वह अपने-अपने विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से जानकारी प्राप्त कर हाइकोर्ट को तीन सप्ताह में यह बताएं कि आखिर छात्रों को डिग्री देने में इतनी देरी क्यों की जा रही है.

हलफनामा दायर नहीं करने पर कटेगा कुलपतियों का वेतन

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस संबंध में की जा रही कार्रवाई का ब्योरा तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत नहीं किया गया, तो अगली सुनवाई में संबंधित अधिकारियों को कोर्ट में उपस्थित होना होगा. इससे पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाते हुए था स्पष्ट किया था कि जो कुलपति हलफनामा दायर नहीं करेंगे उन पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा और यह धनराशि उनके व्यक्तिगत वेतन से काटी जायेगी.

कोर्ट को याचिकाकर्ता ने क्या बताया…

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शाश्वत ने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों की परीक्षा ना तो समय पर ही ली जाती है और न ही कक्षाएं ही समय पर चलाई जाती हैं. जो परीक्षाएं दी जाती हैं उसका रिजल्ट समय पर नहीं दिया जाता है अगर रिजल्ट प्रकाशित हो भी जाता है , तो छात्रों को डिग्री देने में काफी समय लगाया जाता है इससे छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालय में नामांकन लेने व अन्य कार्यों के लिए जाने में काफी परेशानी होती है. इससे जहां छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों में डिग्री मांगी जाती हैं लेकिन डिग्री नहीं होने के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से और नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता है.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel