पटना मेट्रो के अंडरग्राउंड स्टेशनों पर जब आप खड़े होंगे, तो आपकी दोनों ओर गाड़ियां चलेंगी. इस तरह के प्लेटफार्म को आइलैंड प्लेटफाॅर्म कहा जाता है. पटना मेट्रो के सभी अंडरग्राउंड स्टेशनों की बनावट इसी तरह की होगी. अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों पर मेट्रो की पटरियां प्लेटफॉर्म के समानांतर दोनों ओर होंगी. सबसे लंबे अंडरग्राउंड स्टेशनों में से एक पटना जंक्शन के पास होगा, जिसकी लंबाई 345 मीटर और ट्रैक की गहराई जमीनी स्तर से लगभग 23 मीटर होगी.
पटना जंक्शन के पास बनने वाला अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन कॉरिडोर-2 का पहला अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन होगा. यह कॉरिडोर-1और 2 का इंटरचेंज प्वाइंट है . यहां अन्य स्थानों के लिए मेट्रो बदलने की सुविधा उपलब्ध होगी. इस स्टेशन का यातायात के विभिन्न साधनों से मल्टी मोडल इंटीग्रेशन होगा, यानी विभिन्न सार्वजनिक परिवहन/यातायात साधनों और विभिन्न अन्य साधन परस्पर जुड़े होंगे, जिससे यात्री निर्बाध रूप से यात्रा करने में सहूलियत होगी.

पटना जंक्शन के पास मेट्राे स्टेशन तीन तल का होगा. कॉन्कोर्स माइनस एक (-1) तल पर होगा और इसके नीचे दो और तल पर प्लेटफाॅर्म होंगे. कॉरिडोर-2 का प्लेटफॉर्म कॉन्कोर्स के नीचे और कॉरिडोर -1 का प्लेटफॉर्म उसके भी नीचे होगा. ये सभी तल एक दूसरे और भूतल से जुड़े होंगे. वहीं, कॉरिडोर -1 का प्लेटफॉर्म सबसे नीचे है. इस प्लेटफॉर्म पर दानापुर से बाइपास और बाइपास से दानापुर के लिए मेट्रो चलेगी. वहीं, कॉरिडोर-2 आइएसबीटी की तरफ से आयेगा.
पटना जंक्शन के पास बनाने वाले मेट्रो स्टेशन की खास बात यह है कि यह मेट्रो स्टेशन शहर के सबसे व्यस्त होने के साथ ही साथ कॉमर्शियल और नॉन कॉमर्शियल हब भी है. यहां हजारों की संख्या में यात्री उतरेंगे. मेट्रो द्वारा उपलब्ध करवायी जाने वाली सुविधाएं पटना जंक्शन रोड, बंदर बागीचा रोड और जमाल रोड से जुड़ी होंगी. इस कारण पैदल यात्रियों के लिए फ्रेजर रोड के इस पार से उस पार आने-जाने के लिए नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध होगी. लोग बिना टिकट खरीदे मेट्रो स्टेशन के कॉन्कोर्स लेवल से सड़क पार कर सकेंगे.