26.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Video Pitru Paksh 2022: प्रेतशिला पहाड़ पर जब ‘भूतों’ की शिकार हुई महिला, जानें फिर क्या हुआ..

Pitru Paksh 2022 पिंडदान के कर्मकांड से जुड़े लोगों का कहना है कि पहाड़ पर आज भी भूतों का डेरा रहता है. मध्य रात्रि में यहां प्रेत के भगवान आते हैं. यही कारण है कि यहां शाम छह बजे के बाद कोई नहीं रुकता है.

नीरज कुमार

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता रही है. धार्मिक व आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार जब तक मोक्ष नहीं मिलता आत्माएं भटकती रहती हैं. इनकी शांति व शुद्धि के लिए गयाजी में पिंडदान करने की परंपरा है. पितरों की प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए आश्विन मास के तीसरे दिन प्रेतशिला व इसके पास स्थित ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान का विधान है. इसी विधान को पूरा करने आयी एक महिला ‘भूतों’ की शिकार हो गई. इसके बाद उनके परिजन परेशान हो गए. प्रेतशिला पहाड़ पर पंडा समाज के लोग वहां पहुंचे और मंत्रों से उसे ठीक किया.

पंडा समाज के लोगों ने ‘भूतों’ की शिकार हुई महिला को लेकर कहा कि महिला के पूर्वज प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए उसके शरीर पर आए . पूजा पाठ का जो विधान है उसे पूरा कर महिला को अब ठीक कर दिया गया है. महिला में अब कभी भी उसके पूर्वज की आत्मा नहीं प्रवेश करेगी. अक्सर यहां पर आने वाले लोगों में पूर्वजों का आत्मा प्रवेश करता है और अजीब हरकत करने लगते हैं. रविवार को प्रेतशिला व ब्रह्मसरोवर वेदी में पिंडदान का कर्मकांड अपने कुल पंडा के निर्देशन में संपन्न किया.

Also Read: Pitru Paksha: गयाजी प्रेतशिला पहाड़ पर आज भी भूत-प्रेत का वास, जानें ‘उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो’ की कहानी
प्रेतशिला से जुड़ी दंत कथा

प्रेतशिला से जुड़ी है यह दंत कथा प्रेतशिला से जुड़ी एक दंत कथा है कि ब्रह्मा जी ने सोने का पहाड़ ब्राह्मण को दान में दिया था. सोने का पहाड़ दान में देने के बाद ब्रह्मा जी ने ब्राह्मणों से शर्त रखा था कि किसी से दान लेने से यह सोने का पर्वत पत्थर का हो जायेगा. किदवंती है कि राजा भोग ने छल से पंडा को दान दे दिया.इसके बाद ये पर्वत पत्थरों का बन गया. ब्राह्मणों ने जीविका के लिए भगवान ब्रह्मा से गुहार लगायी. तब ब्रह्मा जी ने कहा इस पहाड़ पर बैठ कर मेरे पांव पर जो पिंडदान करेगा, उसके पितर को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलेगी. इस पर्वत पर तीन स्वर्ण रेखाएं हैं. कहा जाता है कि तीनों स्वर्ण रेखाओं में ब्रह्मा, विष्णु और शिव विराजमान रहेंगे. तबसे इस पर्वत का प्रेतशिला नाम पड़ा व ब्रह्माजी के पदचिह्न पर पिंडदान होने लगा.

शाम छह बजे के बाद पसर जाता है सन्नाटा

पिंडदान के कर्मकांड से जुड़े लोगों का कहना है कि पहाड़ पर आज भी भूतों का डेरा रहता है. मध्य रात्रि में यहां प्रेत के भगवान आते हैं. यही कारण है कि यहां शाम छह बजे के बाद कोई नहीं रुकता है. कोई भी शाम छह बजे के बाद नहीं रुकता है. यहां तक कि पंडा जी भी इस पर्वत से उतर कर वापस घर चले जाते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel