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Pitru Paksha: 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के चौथे दिन पंचतीर्थ में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान हुआ पूरा

पांच वेदी स्थलों पर त्रिपाक्षिक श्राद्ध के चौथे दिन पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. धामी पंडा भवानी पांडेय, उदय पांडेय ने बताया कि इन पांच वेदी स्थलों पर पिंडदान करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है.

बिहार के गया में 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के चौथे दिन पंचतीर्थ में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान रहा है. इसके बाद भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान कराया जाता है. मान्यता है कि भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान नहीं करानेवाले श्रद्धालुओं के पिंडदान का कर्मकांड निष्फल हो जाता है. इसी विधान व मान्यता के तहत रविवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति की कामना को लेकर पंचतीर्थ वेदी स्थलों में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड अपने कुल पंडा के निर्देशन में पूरा किया. धार्मिक व पौराणिक मान्यता है कि पंचतीर्थ श्राद्ध करने वाले पितरों को सूर्य व स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.

वहीं इन वेदी स्थलों पर श्राद्धकर्म करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. विधान के तहत शहर के पितामहेश्वर मुहल्ला स्थित उत्तर मानस वेदी व शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित विष्णुपद के पास सूर्यकुंड, उदीची, कनखल, व जिव्हालोल वेदी है. इन पांच वेदी स्थलों पर त्रिपाक्षिक श्राद्ध के चौथे दिन पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. धामी पंडा भवानी पांडेय, उदय पांडेय ने बताया कि इन पांच वेदी स्थलों पर पिंडदान करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. वहीं पिंडदान का कर्मकांड करने वाले श्रद्धालुओं के घरों में सुख-समृद्धि का वास होता है साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि पंचतीर्थ श्राद्ध में सबसे पहले उत्तर मानस वेदी पर पिंड दान के कर्मकांड का विधान है.

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इस कर्मकांड को पूरा करने के बाद श्रद्धालु मौन रहकर दक्षिण मानस वेदी तक पहुंचते हैं. इसके बाद दक्षिण मानस यानी सूर्यकुंड, उदीची, कनखल व जिव्हालोल वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं. उन्होंने बताया कि विधान के तहत पंच तीर्थ विधि स्थलों पर पिंडदान श्राद्धकर्म व तर्पण करने वाले सभी श्रद्धालु विष्णु पद स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान कराकर उनकर उनका पूजन किया. ऐसा करने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. 17 दिवसीय मेले के पांचवें दिन बोधगया स्थित सरस्वती स्नान, पंचरत्न दान, मातंगवापी श्राद्ध, धर्मारण्य कूप के मध्य में श्राद्ध व बौद्ध दर्शन का विधान है.

डीएम ने कहा- विष्णुपद के दक्षिणी निकास द्वार का ही प्रयोग करें

पितृपक्ष मेला के अवसर पर देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों के सुविधा के लिये डीएम डॉ त्यागराजन व एसएसपी आशीष भारती ने संयुक्त रूप से रविवार को चांदचौरा से विष्णुपद मंदिर तक पैदल निरीक्षण किया गया. आसपास के सभी शिविरों एवं रास्तों में उपस्थित दंडाधिकारियों व पुलिस पदाधिकारी को प्रॉपर ड्यूटी करने का निर्देश दिया. साथ ही आसपास घूम रहे तीर्थ यात्रियों को उनकी समस्या की जानकारी लेते रहने का निर्देश दिया. डीएम व एसएसपी विष्णुपद मंदिर कगर्भगृह पहुंचे और सोलह वेदी के समीप यात्रियों को कतारबद्ध कराया. साथ ही फिसलन नहीं हो, इसे लेकर लगातार सफाई करवाने का निर्देश दिया.

उन्होंने जोनल दंडाधिकारी को निर्देश दिया कि चिकित्सा शिविर में जरूरी दवाओं को उपलब्ध रखें. मंदिर में आये यात्रियों को पूजा के बाद बाहर निकास हेतु हर हाल में दक्षिण की ओर वाले निकास द्वार का ही प्रयोग कर भीड़ को निकास कराये. इस दौरान डीएम व एसएसपी ने विष्णुपद के समीप बने अस्थायी थाना में लगाये गये सीसीटीवी कंट्रोल प्वाइंट का निरीक्षण किया. निरीक्षण करते डीएम व एसएसपी ने पितामहेश्वर पहुंचे और वहां तेलंगाना व अमरावती से यात्रियों के आये जत्थे ने डीएम व एसएसपी को धन्यवाद दिया और पितृपक्ष को लेकर की गयी व्यवस्था की सराहना की.

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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