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सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में किए कई काम, पद्मभूषण से भी नवाजे गए

मूल रूप से बिहार के वैशाली के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता व सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन हो गया. उनकी मौत दिल्ली एम्स में हुई. देश में स्वच्छता को लेकर उनकी एक अहम भूमिका रही है.

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांसे ली. सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में झंडा फहराने के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया. बिंदेश्वर पाठक मूल रूप से बिहार के वैशाली जिला के रहने वाले थे.

झंडा फहराने के बाद अचानक बिगड़ी तबीयत

बताया जा रहा है कि मंगलवार की सुबह सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में इंडोतोलन करने के बिंदेश्वर पाठक पहुंचे. जहां उन्होंने झंडा फहराया और फिर उसके बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया. इसी दौरान सांस लेने में उन्हें थोड़ी परेशानी होने लगी और फिर बेचैनी बढ़ गई.

1 बजकर 45 मिनट के आसपास हुई मौत

इसके बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट होने की वजह से उन्हें दिल्ली एम्स के इमरजेंसी में लाया गया. जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए उन्हें सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर धड़कन वापस पाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया. बता दें कि करीब 1 बजकर 45 मिनट के आसपास उनकी मृत्यु हुई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिंदेश्वर पाठक की मौत पर दुख जताते हुए ट्वीट किए. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए गहरी क्षति है. वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया. बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया. उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया. स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमारी विभिन्न बातचीतों के दौरान हमेशा दिखाई देता था. उनका काम कई लोगों को प्रेरित करता रहेगा. ‘ इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.

मैला ढोने वालों की दुर्दशा को कम करने के लिए चलाया था अभियान

गौरतलब है कि बिहार के वैशाली जिले स्थित रामपुर बघेल गांव के रहने वाले बिंदेश्वर पाठक की उम्र 80 वर्ष थी. उनकी पहचान एक समाज सुधारक के तौर पर रही है. उन्होंने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी. सामाजिक कार्यकर्ता और ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक की पहचान उनके द्वारा सामाजिक व स्वच्छता के क्षेत्र में किए गए कार्यों की वजह से थी. उन्होंने हाथ से मैला ढोने वालों की दुर्दशा को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था.

देश भर में सुलभ इंटरनेशनल के 8500 शौचालय और स्नानघर

बिंदेश्वर पाठक की संस्था सुलभ इंटरनेशनल की ओर से ही देश में बड़े पैमाने पर सुलभ शौचालय का निर्माण कराया गया है. देश भर में सुलभ इंटरनेशनल के करीब 8500 शौचालय और स्नानघर हैं. जहां शौचालय के प्रयोग के लिए 5 रुपये और नहाने के लिए दस रुपये लिए जाते हैं. कई जगहों पर इन्हें सामुदायिक प्रयोग के लिए मुफ्त भी रखा गया है.

टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में दिया था स्थान

सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए बिंदेश्वर पाठक द्वारा की गई थी. बिंदेश्वर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया था.

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कई पुरस्कारों से नवाजे गए हैं बिंदेश्वर पाठक

समाज के लिए बिंदेश्वर पाठक के द्वारा किए गए कार्यों की वजह से उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है. साल 1999 में बिंदेश्वर पाठक को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसे बाद साल 2003 में विश्व के टॉप 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में भी उनका नाम शामिल किया गया. उन्हें एनर्जी ग्लोब पुरस्कार भी मिला है. इसके अलावा कई अन्य पुरस्कारों से भी उन्हें सम्मानित किया गया है. उन्होंने सुलभ शौचालयों के जरिए बायोगैस निर्माण का भी प्रयोग किया था, जिसकी वजह से उनके काम की खूब सराहना हुई थी.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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