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बिहार में घटते ग्राउंड वाटर लेवल को बेहतर बनाने की तैयारी, बनेगी पॉलिसी

राज्य में केंद्र सरकार और एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार ग्राउंड वाटर पॉलिसी बनेगी. सबकुछ ठीक रहा, तो सभी प्रक्रियाएं पूरी कर राज्य में इसी साल इसे लागू किया जा सकता है. इसका मकसद ग्राउंड वाटर का लेवल बरकरार रखकर उसमें बढ़ोतरी के उपायों पर काम करना है.

कृष्ण, पटना. राज्य में केंद्र सरकार और एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार ग्राउंड वाटर पॉलिसी बनेगी. सबकुछ ठीक रहा, तो सभी प्रक्रियाएं पूरी कर राज्य में इसी साल इसे लागू किया जा सकता है. इसका मकसद ग्राउंड वाटर का लेवल बरकरार रखकर उसमें बढ़ोतरी के उपायों पर काम करना है. इस तरह की पॉलिसी बनाने की तैयारी चल रही है.

राज्य में बनायी जाने वाली ग्राउंड वाटर पॉलिसी में सिंचाई के लिए बोरिंग की मनाही नहीं होगी. वहीं, कम पानी के इस्तेमाल से फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा. शहरी क्षेत्रों में पानी आपूर्ति करने वाली पीएचइडी सहित अन्य सरकारी एजेंसियों को भी अब एनओसी लेना होगा.

सूत्रों के अनुसार, राज्य में ग्राउंड वाटर पॉलिसी बनाने को लेकर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड लगातार राज्य सरकार के अधिकारियों के संपर्क में है. इसे लेकर हाल ही में बोर्ड के अधिकारियों ने लघु जल संसाधन विभाग और पीएचइडी के अधिकारियों के साथ बैठक कर कई मुद्दों पर चर्चा की थी.

बिहार सहित सभी राज्यों में ग्राउंड वाटर की स्थिति बिगड़ने के संकेत मिले थे. इसके बाद से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और एनजीटी ने इस संबंध में पहल की. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने ग्राउंड वाटर पॉलिसी बनाकर इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड को सौंपी है. अब बोर्ड ने सभी राज्यों से इसे लागू करवाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है.

करीब आधे राज्यों में नहीं बनी है पॉलिसी

सूत्रों का कहना है कि देश भर के करीब आधे राज्यों ने इसे लागू नहीं किया है. यदि सभी राज्य इसे बनाकर लागू करते हैं, तो ग्राउंड वाटर को बेहतर करने में मदद मिलेगी. फिलहाल बंगलुरू जैसे शहर में भी ग्राउंड वाटर लेवल 700 फुट नीचे तक पहुंच गया है. वहां टैंकर से लोगों को पानी खरीदना पड़ रहा है.

ये होंगे प्रावधान

  • कम पानी के प्रयोग से पैदावार को बढ़ावा दिया जायेगा

  • शहरों में पानी आपूर्ति करने वाली सरकारी एजेंसियों को भी एनओसी लेना होगा

  • टैंकर से बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति के लिए भी एनओसी लेना होगा

  • आरओ सहित अन्य प्लांट लगाने के लिए ग्राउंड वाटर का व्यावसायिक उपयोग करने वालों को भी एनओसी व लाइसेंस लेना जरूरी होगा

103 प्रखंडों में से 40 में सुधरा ग्राउंड वाटर लेवल

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2018 में राज्य के 103 प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति खराब हो गयी थी. इनमें से 40 प्रखंडों में हालत सुधरी है. यह जानकारी सामने आने के बाद जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विभिन्न माध्यमों से पानी का संग्रह करने का काम शुरू हुआ.

आहर, पइन, तालाब, सोख्ता आदि बनाकर ग्राउंड वाटर को बेहतर करने का काम शुरू हुआ. इस कारण से मार्च, 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार 103 प्रखंडों में से 40 प्रखंडों में हालत में सुधार हुआ है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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