Success Story: बिहार के औरंगाबाद जिले की होनहार बेटी दिव्या कुमारी ने अपने पहले ही प्रयास में BPSC द्वारा आयोजित बिहार न्यायिक सेवा (PCS-J) परीक्षा पास कर न्यायिक पद पर चयनित होकर पूरे राज्य का नाम रोशन कर दिया है. दिव्या की इस सफलता के पीछे सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि उनके दिवंगत पिता का अधूरा सपना, मां का अपार समर्थन और उनका आत्मविश्वास छिपा है.
दिव्या के पिता विजय सिंह का सपना था कि उनकी बेटी एक दिन जज बने. लेकिन साल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान उनका निधन हो गया. पिता की असमय मृत्यु ने दिव्या को अंदर से झकझोर कर रख दिया, लेकिन उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया. उस समय उन्होंने एक संकल्प लिया कि पिता के अधूरे सपने को हर हाल में पूरा करना है.
सपनों की उड़ान और संघर्ष की कहानी
दिव्या की प्रारंभिक शिक्षा औरंगाबाद के मिशन स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने रांची से BALLB की डिग्री हासिल की और दिल्ली में रहकर ज्यूडिशियरी की तैयारी शुरू कर दी. साल 2022 से उन्होंने एक निजी कोचिंग संस्थान में मार्गदर्शन लेना शुरू किया और 2023 में आयोजित BPSC PCS-J परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता अर्जित की. उनकी तैयारी का हिस्सा रहा एक वर्ष का न्यायिक इंटर्नशिप, जिसने उन्हें जमीनी अनुभव दिया और परीक्षा में आत्मविश्वास के साथ उतरने में मदद की.
मां का साथ और सोशल मीडिया से दूरी बना सफलता की राह आसान
दिव्या बताती हैं कि जब पिता नहीं रहे, तब मां ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया. परिवार ने हर स्तर पर हौसला बढ़ाया और यही कारण है कि वे अपने लक्ष्य की ओर डगमगाए बिना बढ़ती रहीं. जज बनीं दिव्या आज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को सलाह देती हैं कि सोशल मीडिया से दूरी बनाना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म अक्सर ध्यान भटकाते हैं. उनका मानना है कि अगर कोई छात्र न्यायिक सेवा में जाना चाहता है, तो LLB की पढ़ाई के दौरान ही उसे गंभीरता से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. पांच साल की कानूनी पढ़ाई ही भविष्य में मजबूत नींव का काम करती है.
बिहार की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा
दिव्या कुमारी आज उन हजारों बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखती हैं. उनकी कहानी यह साबित करती है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, सफलता ज़रूर मिलती है.