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चिकित्सकों ने तीन दिवसीय ओपीडी बहिष्कार का लिया निर्णय, लंबित मांगों को लेकर है आक्रोश

सदर अस्पताल सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में 27 से 29 मार्च तक चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा से विरत रहने का निर्णय लिया है

– शिवहर, गोपालगंज और मधुबनी में चिकित्सकों के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर ओपीडी कार्य का किया बहिष्कार सुपौल.शिवहर, गोपालगंज और मधुबनी जिलों में जिलाधिकारियों द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर वेतन अवरुद्ध किए जाने और राज्यभर में चिकित्सकों के प्रति दुर्व्यवहार किए जाने के विरोध में आक्रोश व्याप्त है. इसी क्रम में सुपौल सदर अस्पताल में चिकित्सकों ने ””भासा बिहार”” के बैनर तले गुरुवार से तीन दिवसीय ओपीडी बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. भासा के सचिव चिकित्सक डॉ विनय कुमार ने बताया कि संगठन की प्रमुख मांगें चिकित्सकों की सुरक्षा, आवासीय सुविधा, गृह जिला में पोस्टिंग, कार्य अवधि निर्धारण सहित अन्य लंबित मांगें अभी तक पूरी नहीं की गई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आपातकालीन और 24×7 कार्यरत विभागों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति का कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है, फिर भी शिवहर जिले में जिलाधिकारी द्वारा चिकित्सकों के प्रति अमर्यादित व्यवहार किया गया. इसी के विरोध में राज्यव्यापी तीन दिवसीय ओपीडी बहिष्कार का निर्णय लिया गया. सदर अस्पताल सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में 27 से 29 मार्च तक चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा से विरत रहने का निर्णय लिया है. यदि सरकार द्वारा चिकित्सकों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती तो यह आंदोलन और उग्र होगा. राज्यभर के चिकित्सक अपने हक के लिए एकजुट होकर संघर्ष जारी रखेंगे. ओपीडी बंद रहने से मरीजों को हो रही परेशानी हालांकि चिकित्सकों द्वारा ओपीडी सेवा का बहिष्कार किए जाने के बावजूद आपातकालीन सेवाएं, पोस्टमार्टम और मेडिको-लीगल सेवाएं सुचारू रूप से जारी रखी गयी. इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉ आरके रवि ने कहा कि बिना पूर्व सूचना के ओपीडी सेवा बंद होने के कारण दूर-दराज से आए मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ी. अस्पताल प्रबंधन ने सभी मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में भेजकर इलाज की व्यवस्था करवाई. चिकित्सकों की प्रमुख मांगें चिकित्सकों की प्रमुख 17 मांगों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में आवश्यक संशोधन कर सजा को 7 वर्ष या अधिक किया जाए. चिकित्सकों को ऐच्छिक गृह जिला में पदस्थापना का अधिकार मिले. पति-पत्नी को एक ही स्थान पर पदस्थापित किया जाए. डीएसीपी के आधार पर नियमित प्रोन्नति सुनिश्चित की जाए. स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया जाए. कार्यस्थल पर चिकित्सकों को आवासीय सुविधा दी जाए. पीजी सीटों में सेवा चिकित्सकों को 10 से 30 तक ग्रेस अंक दिया जाए. ड्यूटी घंटे का निर्धारण किया जाए. संविदा अवधि के कार्यों का लाभ चिकित्सकों के नियमित वेतनमान में जोड़ा जाए. स्वास्थ्य निदेशालय का सुदृढ़ीकरण कर चिकित्सकों को नियमित प्रोन्नति दी जाए. रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाए. चिकित्सकों को प्रखंड स्तरीय समन्वय समिति में उचित स्थान दिया जाए. उच्च शिक्षा या प्रशिक्षण में गए चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए एलआरपी पदों का सृजन किया जाए. 24×7 कार्यरत चिकित्सकों को बायोमेट्रिक उपस्थिति के लिए बाध्य न किया जाए. 2020 बैच के विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति तिथि को ही प्रथम नियुक्ति माना जाए. स्थायी नियुक्तियों में सेवा चिकित्सकों को वरीयता दी जाए. चिकित्सकों को कैशलेस हेल्थ कार्ड द्वारा 50 लाख तक की चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए. फोटो- 04, 05, 06 कैप्सन – ओपीडी बहिष्कार के बाद धरना पर बैठे चिकित्सक, सूना पड़ा ओपीडी कक्ष, इमरजेंसी में इलाज करते चिकित्सक,

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