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Exclusive: किराये के दो कमरे में 13 वर्षों से पढ़ रहे बच्चे, कोसी के बाढ़ में विस्थापित हुआ था सुपौल का यह विद्यालय

Exclusive: सुपौल जिले में एक स्कूल 13 वर्षों से अपना वजूद तलाश रहा है. इस विद्यालय के विस्थापित होने का सबसे ज्यादा असर कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले छात्रों पर पड़ा है. विद्यालय विस्थापित होने के बाद तटबंध के भीतर के छात्रों को पढ़ाई के लिए नदी पार कर करीब 10 से 15 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

Exclusive: बलराम प्रसाद सिंह/ सुपौल जिले के सरायगढ़ प्रखंड का ललित कोसी पीड़ित उच्च माध्यमिक विद्यालय बनैनियां-बलथरवा 13 वर्षों से कोसी नदी की विभीषिका से विस्थापित होकर अपना वजूद तलाश रहा है. विस्थापन के बाद यह मध्य विद्यालय भपटियाही के तीन कमरों में स्थानांतरित कर दिया गया है. तब से लेकर आज तक यह विद्यालय यहीं तीन कमरों में चल रहा है. वर्ष 1973 में स्थापित इस विद्यालय को 1978 में स्वीकृति मिली. स्वीकृति मिलने के बाद इलाके के छात्रों को पढ़ाई के लिए बाहर जाने की बाध्यता समाप्त हो गयी. प्रखंड के बनैनियां, बलथरवा, सनपतहा, औरही, ढोली, कटैया, भुलिया, सियानी, पिपराही, दिघिया, मौरा, दुधैला, मौरा, झहुरा, रहरिया, सिहपुर आदि गांवों समेत समीप के किशनपुर व निर्मली प्रखंड के कई गांवों के सैकड़ों छात्र-छात्राएं यहां आकर अध्ययन करते थे.

गौरवशाली रहा है विद्यालय का अतीत

प्रखंड ही नहीं, जिले की कई हस्तियां इसी विद्यालय से पढ़कर राजनीति के गलियारों से लेकर ऊंचे पदों पर आसीन होकर क्षेत्र को गौरवान्वित किये हैं. पर, प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह विद्यालय धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में दर्ज होता नजर आ रहा है. ऐसा नहीं है कि विद्यालय को अपनी जमीन नहीं है. बनैनिया-बलथरवा में विद्यालय को अपनी पांच एकड़ जमीन के साथ-साथ अन्य संसाधन भी उपलब्ध था. वर्ष 2010 में आयी कोसी की प्रलयंकारी बाढ़ ने विद्यालय के अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया. इसके दो साल बाद तक यह विद्यालय जहां-तहां संचालित हो रहा था. शिक्षा विभाग के निर्देश पर वर्ष 2012 से यह विद्यालय प्रखंड मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय भपटियाही में चल रहा है.

तीन में से एक कमरे में चलता है कार्यालय

ललित कोसी पीड़ित उच्च माध्यमिक विद्यालय में नौवीं कक्षा में 123, 10वीं में 236, 11वीं में 79 व 12वीं में 58 कुल 496 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. विद्यालय में नौ शिक्षकों के अलावा एक पुस्तकालय अध्यक्ष, एक क्लर्क एवं एक अनुदेशक की भी नियुक्ति है. पर, मूलभूत सुविधा नहीं रहने के कारण यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्रों ने बताया कि एक कमरे में कार्यालय है. एक कमरे में स्मार्ट क्लास, तो एक कमरे व बरामदे में सभी कक्षाएं चलती हैं. छात्रों ने बताया कि उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को मध्य विद्यालय के संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है. मध्य विद्यालय भपटियाही के प्रधानाध्यापक अखिलेश कुमार ने बताया कि उनके विद्यालय में 445 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं.

अधिकारी व जनप्रतिनिधि बने हैं उदासीन

विद्यालय के विस्थापित होने का सबसे ज्यादा असर कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले छात्रों पर पड़ा है. विद्यालय विस्थापित होने के बाद तटबंध के भीतर के छात्रों को उच्च माध्यमिक विद्यालय की पढ़ाई के लिए नदी पार कर करीब 10 से 15 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. रोज-रोज नदी पार कर विद्यालय आने-जाने के कारण अभिभावक भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. कई अभिभावकों ने कहा कि सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन आज तक इस विद्यालय की तस्वीर नहीं बदली. हालांकि इस तरह के कई विद्यालयों को अपग्रेड कर प्लस टू का दर्जा दिया गया है, लेकिन यह विद्यालय आज भी विभागीय उदासीनता का दंश झेल रहा है. बता दें कि सरकार ने इस विद्यालय के जीर्णोद्धार के लिए लगभग एक करोड़ से अधिक की राशि का आवंटन किया था. पर भवनहीन होने के कारण सारी राशि विभाग को लौटा दी गयी.

जाने-माने लेखक के गांव में शिक्षा का हाल-बेहाल

देश के जाने-माने लेखक स्व मायानंद मिश्र उर्फ माया बाबू का पैतृक घर बनैनियां ही है. उनके गांव के इस उच्च विद्यालय के बेहाल होने से लोगों में निराशा है. लोग कहते हैं कि बनैनियां की धरती पर पैदा हुए माया बाबू की शिक्षा जगत में बड़ी ख्याति रही है. पूर्व लोकसभा सदस्य स्व गुणानंद ठाकुर की जन्मस्थली भी बनैनियां ही रही है. पर, आज देश को एक से एक दिग्गज देनेवाली धरती के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए आज भी भटकना पड़ रहा है.

कहते हैं प्रधानाध्यापक

ललित कोसी पीड़ित उच्च माध्यमिक विद्यालय बनैनियां बलथरवा के प्रधानाध्यापक दीपक कुमार ने बताया कि विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. इसके कारण वर्ग संचालन में परेशानी होती है. वर्ग 09 से 12वीं तक की यहां पढ़ाई होती है. विद्यालय में 496 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. विद्यालय में 70 से 75 प्रतिशत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रहती है. मूलभूत सुविधाओं की कमी के बावजूद सकारात्मक रूप से बच्चों को पढ़ाया जाता है.

पीएम श्री में चयन होने के बाद ग्रामीणों ने विद्यालय में जड़ दिया ताला

मध्य विद्यालय भपटियाही में संचालित ललित कोसी पीड़ित उच्च माध्यमिक विद्यालय बनैनियां बलथरवा के प्रधानाध्यापक दीपक कुमार ने बताया कि ग्रामीणों ने वर्ग कक्ष एवं कार्यालय कक्ष में तालाबंदी कर पठन-पाठन अवरुद्ध कर दिया है. डीईओ, डीपीओ स्थापना, डीपीओ माध्यमिक एवं बीईओ को आवेदन देकर इसकी जानकारी दी गयी है. मध्य विद्यालय भपटियाही के पोषक क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा एलकेपी उच्च माध्यमिक विद्यालय बनैनियां बलथरवा का चयन प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) में होने की वजह से उक्त विद्यालय के आवंटित वर्ग कक्ष एवं कार्यालय में तालाबंदी कर दी गयी है. इसके कारण नौ दिनों से शैक्षणिक कार्य अवरुद्ध है.

तालाबंदी के बाद बीआरसी में हाजिरी बना रहे शिक्षक

प्रखंड क्षेत्र के दो विद्यालय बिहारी गुरमैता उच्च माध्यमिक विद्यालय भपटियाही एवं एलकेपी उच्च माध्यमिक विद्यालय बनैनियां बलथरवा को पीएम श्री योजना के तहत निकटवर्ती संचालित मिडिल स्कूल के वर्ग छह से आठ को जोड़कर वर्ग 12वीं तक की पढ़ाई होनी है. इसी से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने विद्यालय में तालाबंदी कर दी है. लोगों का कहना है कि विद्यालय को पीएम श्री के तहत मिडिल स्कूल बनैनियां में जोड़ा जाये. विद्यालय में तालाबंदी के बाद सभी शिक्षक एवं कर्मी बीआरसी चांदपीपर में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

डीईओ ने प्राथमिकी दर्ज कराने का दिया निर्देश

इस मामले को लेकर डीईओ संग्राम सिंह ने 28 फरवरी को पत्र जारी कर बीईओ रीता कुमारी को आदेश दिया है कि स्थलीय भ्रमण कर विद्यालय का संचालन पूर्ववत कराया जाये. ग्रामीणों द्वारा यदि इस कार्य में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराएं.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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