करजाइन. वैसे तो वर्ष भर में चार नवरात्रि होते हैं, जिसमें आश्विन मास की नवरात्रि, माघ की नवरात्रि, चैत्र मास की नवरात्रि व आषाढ़ मास की नवरात्रि. दो नवरात्रि आश्विन मास की और चैत्र मास की नवरात्रि दोनों नवरात्रि में तो विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना सभी करते है. किंतु, दो जो नवरात्रि हैं. वह गुप्त नवरात्रि कहे जाते हैं. यह दोनों नवरात्रि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से तंत्र साधना की दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण माना गया है. यह कहना है गोसपुर निवासी मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का. उन्होंने गुप्त नवरात्रि पर कहा कि आषाढ़ मास के नवरात्रि इस बार 26 जून गुरुवार से आरंभ हो गया है. इसमें साधक यदि नियम निष्ठा से रहते हुए पूर्ण विधि विधान से तंत्र साधना की दृष्टि से या आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से उपासक यदि साधना करते है. तब उन सभी उपासकों के ऊपर भगवती दुर्गा सभी मनोरथों को पूर्ण करते है. तंत्र साधना में अत्यधिक बल मिलता है. यह नवरात्रि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अतिशय महत्वपूर्ण माना गया है. चैत्र मास के नवरात्रि और आश्विन मास की नवरात्रि धूमधाम से संपूर्ण भारत में मनाया जाता है. साधक 09 दिनों तक पूर्ण नियम निष्ठा रखते हुए शांति कलश का स्थापना करते हुए इन नवरात्रि में यदि 10 महाविद्याओं का पूजन विधि विधान पूर्वक संपन्न किया जाए तो निश्चित रूप से समस्त प्रकार के मनोरथों की पूर्ति होती है. दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम का जाप एवं भगवान शिव की पूजा विशेष फलदाई सिद्ध होता है. इस नवरात्रि में भगवती जगत जननी जगदंबा का बीज मंत्र का जाप यदि साधक पूरे 09 दिनों तक करें तो परम पद की प्राप्ति होती है.
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