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कोसी के बेटे ने नवाबों के शहर में रचा इतिहास, सुपौल के लाल मयंक यादव IPL में मचा रहे धमाल, रफ्तार देख हर कोई हैरान

IPL 2024 में सबको अपनी गेंदबाजी से चौंकाने वाले मयंक यादव मूल रूप से बिहार के सुपौल जिला के एक सुदूर गांव के रहने वाले हैं. मयंक आखिरी बार वर्ष 2022 में अपने दादा के श्राद्ध कर्म में गांव आए थे.

राजीव/अशोक, सुपौल. नवाबों के शहर लखनऊ में शनिवार की रात कोसी के गर्भ में बसा रहतो गांव के मयंक यादव ने जो इतिहास रचा उसे खेल प्रेमी ताउम्र याद रखेंगे. आईपीएल के 17वें सीजन के 11वां मैच पंजाब किंग्स एवं लखनऊ के बीच खेला जा रहा था. 10वें ओवर में पंजाब किंग्स का स्कोर बिना विकेट खोये 101 रन था, जो विरोधी खेमे के खिलाड़ियों की बेचैनी बढ़ा रखी थी. इसी बीच लखनऊ के कप्तान निकोलस पूरन ने 11वें ओवर में नवोदित गेंदबाज मयंक यादव के हाथों में बॉल सौंप कर भरोसा जताया.

मयंक यादव ने 156 किमी की रफ्तार से फेंकी पहली गेंद

मयंक यादव ने जब पहली बॉल 156 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डाली तो सामने खड़े बल्लेबाज भौंचक रह गये. इसके बाद मयंक ने अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए 04 ओवर में 27 रन देकर 03 महत्वपूर्ण विकेट प्राप्त कर विरोधी खेमे में हलचल पैदा कर दी. मयंक के हाथों गोली की रफ्तार से निकलती गेंद देखकर दुनिया के महान बल्लेबाज व गेंदबाज युवा गेंदबाज के कायल हो गये. इतना ही नहीं कमेंटेटर भी मयंक के कसीदे पढ़ने लगे.

सीजन का सबसे तेज गेंद डाला मयंक ने

जानकार बताते हैं कि IPL 2024 का सबसे तेज गेंद मयंक ने ही डाला है. अपने पहले ही मैच में मैन ऑफ द मैच चुना गया. इससे पहले वर्ष 2022 में आईपीएल टीम लखनऊ में 20 लाख रुपये में खरीदा गया था, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला. पुन 2023 में लखनऊ टीम में मयंक का चयन हुआ. लेकिन बदनसीबी रही की पहले ही मैच में वह चोटिल हो गया. इसके बाद पुन: 2024 में मयंक का चयन लखनऊ टीम में हुआ.

सुदूर देहाती इलाके में है मयंक का गांव

सुपौल जिले के मरौना दक्षिण पंचायत स्थित कोसी तटबंध के भीतर बसे रतहो गांव निवासी स्व हरिश्चंद्र यादव के पौत्र और पत्रकार फूल कुमार यादव का भतीजा 21 वर्षीय मयंक का गांव सुदूर देहाती इलाके में शुमार है. जहां हर साल कोसी की विभीषिका लोगों को झेलनी पड़ती है. बाढ़ काल समाप्त होने के बाद चारों ओर रेत ही रेत नजर आता है. जहां मूलभूत सुविधाओं का आज भी काफी अभाव है. जहां का लाल ने अपने गांव व राज्य का नाम दुनिया में रोशन किया है.

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माता-पिता व बहन के साथ मयंक यादव

मयंक के चाचा बताते हैं कि वह बहुत सीधे व सरल स्वभाव का खिलाड़ी है. उन्होंने दिल्ली में ही रहकर 12 वीं की परीक्षा पास की. मयंक के पिता प्रभु यादव ने बताया की बच्चे को किस दिशा में मोड़ना है. वह उसके माता पिता पर निर्भर करता है. उनका शौक था की उनका बेटा क्रिकेटर बने और क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन की तरह अपने माता-पिता, परिवार के अलावा देश का नाम रोशन करे. इसके बाद उसका दिल्ली के इंद्रप्रस्थ नेशनल क्रिकेट एकेडमी में नामांकन कराया गया.

क्रिकेट गुरु देवेंद्र सर ने मयंक को क्रिकेट का हुनर सिखाया. मयंक के प्रदर्शन को देखते हुए पहली बार वर्ष 2019 दिल्ली स्टेट टीम में इसका चयन हुआ. मयंक बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौकीन था. पढ़ाई के बाद हमेशा अपने सहपाठी के साथ क्रिकेट मैदान से लेकर गली कूची में खेलते रहता था. क्रिकेट के प्रति अत्यधिक झुकाव के बाद परिवार का भरपूर सहयोग रहा.

दादा के श्राद्ध कर्म में 2022 में आया था गांव

मयंक के पिता प्रभु यादव स्व हरिश्चंद्र यादव के द्वितीय पुत्र हैं. हरिश्चंद्र यादव एक साधारण किसान थे, लेकिन अपने पुत्रों को पढ़ाने-लिखाने में हमेशा रुचि रखते थे. मयंक के पिता प्रभु यादव दिल्ली में डुरा इंडिया टोन प्रा लिमिटेड नामक सायरन बनाने वाली कंपनी के मालिक हैं. मयंक के माता का नाम ममता यादव है जो दिल्ली की ही निवासी हैं. मयंक की इस सफलता से जिले वासियों में हर्ष का माहौल है.

जिला वासी इस बात से गौरवान्वित हैं कि इससे पहले आईपीएल जैसे प्रसिद्ध क्रिकेट मैच में इस इलाके के किसी भी खिलाड़ी अपना जगह नहीं बना सके. लोग मयंक की उज्जवल भविष्य की कामना करते जल्द ही इंडिया टीम में शामिल होने की अपेक्षा रखने लगे हैं. मयंक अंतिम बार अपने दादा जी के श्राद्ध कर्म में अप्रैल 2022 में गांव आया था.

पांच साल की उम्र में पिता ने मयंक को थमा दिया था बल्ला व गेंद

मयंक का जन्म 17 जुलाई 2002 को दिल्ली के मोतीनगर इलाके में हुआ. वे दाएं हाथ गेंदबाजी करने के साथ-साथ लोअर ऑर्डर में अच्छी बैटिंग भी कर लेते हैं. मयंक यादव की स्कूलिंग पंजाबी बाग स्थित एसएम आर्या स्कूल से हुई है. पढ़ाई में वह अच्छे थे, लेकिन क्रिकेट खेलने में बहुत अच्छे थे. क्रिकेट के पीछे उनके इस लगाव को पिता ने भांप लिया. मयंक के पिता प्रभु यादव खुद क्रिकेट के जबरदस्त प्रशंसक हैं.

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मयंक यादव

उन्होंने महज 05 साल की उम्र में मयंक को बल्ला और गेंद थमा दिया. यही से मयंक के क्रिकेट यात्रा की शुरुआत हुई. 07 साल की उम्र में रोहतक रोड स्थित जिमखाना क्रिकेट क्लब में मयंक का एडमिशन हुआ. मयंक ने अगले 5-6 साल वहीं सीखा. फिर मयंक के पिता ने उन्हें दिल्ली की चर्चित सोनेट क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाया. इसी अकादमी से शिखर धवन, ऋषभ पंत और आशीष नेहरा जैसे कई बेहतरीन क्रिकेटर निकले हैं.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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