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बिहार के विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन करनी होगी P.hd. थीसिस, UGC ने इंडिया रैंकिंग के लिए जारी किया निर्देश

यूजीसी ने अपने आधिकारिक पत्र में विश्वविद्यालयों से कहा है कि वह शोध गंगा पर पूरी थीसिस तत्काल अपलोड करें. आयोग का यह पत्र सभी कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को भेजा गया है.

बिहार के विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थाओं को अपनी पीएचडी थीसिस को अब अनिवार्य तौर पर शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड करना होगा. यूजीसी की संस्था इन्फ्लिबनेट विश्वविद्यालयों को इसमें सहयोग करेगी. इसके जरिये इंडिया रैंकिंग 2023 की रैंकिंग तय करने में मदद मिलेगी. दरअसल इंडिया रैंकिंग के लिए राज्यों की शैक्षणिक संस्थाओं से मिले पीएचडी आंकड़ों का सत्यापन शोध गंगा से किया जायेगा. शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड थीसिस से यह पता चल सकेगा कि शिक्षण संस्थाओं की तरफ से दी गयी जानकारी सही है या गलत.

ऑनलाइन अपलोड करनी होगी थीसिस 

इस संदर्भ में यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को चिट्ठी लिख कर कहा है कि 2023 की इंडिया रैंकिग के लिए 2021-22 के अकादमिक साल तक की पीएचडी थीसिस की जानकारी हासिल की जायेगी. इसके लिए उसे विश्वविद्यालयों को 2019-20 और 2020-21 की पीएचडी की जरूरी जानकारी व आंकड़े शोध गंगा-इन्फ्लिबनेट पर साझा करनी होगी. कुल मिला कर शोध गंगा पर दर्ज पीएचडी थीसिस को देख कर ही रैंक तय करने वाली तमाम एजेंसियां राज्यों के शिक्षण संस्थाओं की पीएचडी की असल जानकारी हासिल की जा सकेगी.

यूजीसी ने जारी किये सभी कुलपतियों को दिशा निर्देश

यूजीसी ने अपने आधिकारिक पत्र में विश्वविद्यालयों से कहा है कि वह शोध गंगा पर पूरी थीसिस तत्काल अपलोड करें. आयोग का यह पत्र सभी कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को भेजा गया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि शोध गंगा का उपयोग बहु आयामी हो गया है. इस संदर्भ में हाल ही में बिहार ने शोध गंगा संचालित करने वाली एजेंसी इन्फ्लिबनेट से करार भी किया है. यह करार बेहद उपयोगी साबित होगा.

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शोध गंगा पर साझा करनी है सभी जानकारी 

बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद के एकेडमिक ऑफीसर डॉ गौरव सिक्का ने बताया कि विश्वविद्यालयों को शोध गंगा पर उन्हें पीएचडी थीसिस से जुड़ी जानकारी हर हाल में साझा करनी है. इन्फ्लिबनेट इसमें उनकी मदद करेगा. ऐसे विश्वविद्यालय जो शोध गंगा पर पीएचडी थीसिस की यह जानकारी साझा नहीं करेंगे तो उनकी रैंकिंग बेहद कमजोर होगी. लिहाजा सभी विश्वविद्यालयों को बताये गयी समयावधि के पीएचडी थीसिस के आंकड़े शोध गंगा पर जरूर अपलोड करने चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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