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Gujarat Election: राजनीतिक दलों में आदिवासी वोटरों को रिझाने की क्यों लगी है होड़? जानिए पूरा समीकरण

Gujarat Election: गुजरात विधानसभा का चुनाव इस साल के अंत में होगा. चुनाव को लेकर राजनीतिक दल आदिवासी समुदाय का ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने में लगे हैं. गुजरात में देश की पांचवीं सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी निवास करती है. एक हिसाब से राज्य की आबादी का करीब-करीब सातवां हिस्सा आदिवासियों का है.

Gujarat Election: गुजरात चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी और कांग्रेस अभी से ही लोगों को रिझाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में राजनीति दलों की नजर आदिवासी वोटों पर भी टिकी है. दरअसल,  गुजरात में आदिवासियों की संख्या करीब 15 फीसदी है. जो राजनीति में बतौर गेम चेंजर साबित होते हैं. वहीं, गुजरात के आदिवासी कांग्रेस पार्टी के पारंपरिक वोटर्स रहे हैं. करीब 3 दशकों से बीजेपी इस गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश करती रही है. अब जब गुजरात विधानसभा चुनाव सिर पर है तो एक बार फिर आदिवासियों को रिझाने की राजनीतिक दल कोशिश कर रहे हैं.

आदिवासियों को लुभाने की कोशिश तेज: गुजरात विधानसभा का चुनाव इस साल के अंत में होगा. चुनाव को लेकर राजनीतिक दल आदिवासी समुदाय का ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने में लगे हैं. गौरतलब है कि गुजरात के आदिवासी निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस का हमेशा से दबदबा रहा है, हालांकि पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही है. इसी कड़ी में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 52 फीसदी हो गया था.

आम आदमी पार्टी भी कद बढ़ाने में जुटी है: दिल्ली और पंजाब विधानसभा में बड़ी जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी ने अपना पूरा फोकस गुजरात में कर दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार गुजरात का दौरा कर लोकलुभावन वादों की बरसात कर रहे हैं. आदिवासियों को लुभाने की भी आप पूरी कोशिश कर रही है. केजरीवाल ने आदिवासी समुदायों को संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत अधिनियम को गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में लागू करने का वादा किया.

आदिवासियों का क्या है समीकरण: गुजरात में आदिवासी समुदाय को रिझाने की बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी लगातार कोशिशें कर रही है. बता दें. गुजरात में देश की पांचवीं सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी निवास करती है. एक हिसाब से राज्य की आबादी का करीब-करीब सातवां हिस्सा आदिवासियों का है. ऐसे में इनका वोट सत्ता के समीकरण को आसानी से बदल सकता है. 

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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