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Iran Election: ईरान में 28 जून को होंगे इलेक्शन, जानिए कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव, कैसे चुने जाते हैं उम्मीदवार

Iran Election: ईरान में हर 4 साल में राष्ट्रपति के लिए चुनाव होता है. इससे पहले 2021 में ईरान में चुनाव हुआ था. जिसके रईसी की जीत हुई थी. ऐसे में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2025 में प्रस्तावित था. हालांकि इब्राहिम रईसी के आकस्मिक निधन के कारण अब यह चुनाव 2024 में ही होगा.

Iran Election: रविवार को हुए एक हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का निधन हो गया. उनके निधन पर भारत समेत दुनिया के कई देशों ने दुख जाहिर किया है. भारत ने तो एक दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया. वहीं, ईरान में रईसी के निधन के बाद मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है. दरअसल ईरान के संविधान के मुताबिक, अगर पद पर रहते हुए किसी ईरानी राष्ट्रपति की मौत होती है तो सबसे पहले शासन चलाने के लिए उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पद संभालना पड़ता है. ईरान में राष्ट्रपति चुनाव से पहले वह लगभग 50 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में सेवा दे सकते हैं.

28 जून को होंगे ईरान में राष्ट्रपति चुनाव
ईरान का राजनीतिक ढांचा बहुत अलग और दिलचस्प है. यहां सुप्रीम लीडर ही सर्वेसर्वा होता है. ईरान में अभी अयातुल्ला अली खामेनेई सुप्रीम लीडर हैं. इसके बाद ईरान में दूसरा सबसे ताकतवर शख्स राष्ट्रपति होता है, हालांकि राष्ट्रपति की शक्तियां बहुत सीमित होती हैं. ईरान में राजनीतिक समेत सभी अहम कामों के लिए गार्जियन काउंसिल का पूरा दखल होता है. रईसी की मौत हो जाने के बाद साफ हो गया है कि ईरान में अब चुनावी होगा. चूंकि कार्यवाहक राष्ट्रपति महज 50 दिन ही राष्ट्रपति की भूमिका निभा सकता है तो ऐसे में तय है कि 28 जून तक ईरान में राष्ट्रपति का चुनाव हो जाएगा.

ईरान में राष्ट्रपति पद का चुनाव
ईरान में हर 4 साल में राष्ट्रपति के लिए चुनाव होता है. इससे पहले 2021 में ईरान में चुनाव हुआ था. जिसके रईसी की जीत हुई थी. ऐसे में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2025 में प्रस्तावित था. हालांकि इब्राहिम रईसी के आकस्मिक निधन के कारण अब यह चुनाव 2024 में ही होगा. ईरान में चुनाव कराने के लिए कोई चुनाव आयोग जैसी संस्था नहीं है. यहां गार्डियन काउंसिल चुनाव कराती है. पूरी चुनावी प्रक्रिया सुप्रीम लीडर की देखरेख में होता है. इसके तहत 6 इस्लामी जजों और 6 वरिष्ठ मौलवियों का एक पैनल होता है. जो चुनावी कार्यों को देखता है. इसके अलावा सुप्रीम लीडर के हस्ताक्षर के बाद ही चुनाव में जीत हासिल करने वाले नेता को राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है.

 
सुप्रीम लीडर के बिना पत्ता भी नहीं हिलता
ईरान का जो सुप्रीम लीडर होता है वो सर्वेसर्वा होता है. उसकी मर्जी से ही सब कुछ तय होता है. ईरान में गर देश की तरह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति होते हैं. लेकिन वहीं का सबसे ज्यादा शक्तिशाली शख्स सुप्रीम लीडर होता है. सुप्रीम लीडर के पास ही कंट्रोलिंग पावर होती है. राष्ट्रपति पद के चुनाव में कौन उम्मीदवार होता इसका भी तय सुप्रीम लीडर के मुहर के बाद होता है. इसके लिए ईरान एक काउंसिल ऑफ गार्जियन होता है. राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को काउंसिल ऑफ गार्डियंस ही अप्रूव करता है. 

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Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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