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झारखंड के इस गांव में प्रकृति ने बिखेरी अपनी अद्भुत छटा, पर ग्रामीणों को नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं

बोकारो के गोमिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर असनापानी गांव है. इस गांव में प्रकृति ने अपनी अद्भुत छटा बिखेरी है. यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन हालत यह है कि यहां ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंची हैं.

गोमिया (बोकारो), नागेश्वर. बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत‌ सियारी पंचायत के नक्सल प्रभावित क्षेत्र असनापानी गांव के संताली ग्रामीण आज भी काफी जद्दोजहद की जिंदगी गुजार रहे हैं. देखा जाये तो असनापानी छेत्र की समस्या झुमरा पहाड़ से कम नहीं है. हालांकि, झुमरा पहाड़ क्षेत्र में विकास ने वहां की सूरत बदल दी है, लेकिन अब असनापानी क्षेत्र में विकास को गति देने की जरूरत है.

असनापानी गांव में प्रकृति ने बिखेरी है अपनी अद्भुत छटा

असनापानी गांव गोमिया प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर है, जहां प्रकृति ने अपनी अद्भुत छटा बिखेरी है. यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन पहाड़ के उपरी हिस्से में बसे असनापानी गांव के ग्रामीण ही मूलभूत सुविधाओं के आभाव में जी रहे हैं. गांव में आज भी आवागमन के लिये सड़क नहीं है, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, इसके अलावा गांव में आज तक बिजली भी नहीं पहुंची है.

ना के बराबर जाते हैं सरकारी अधिकारी और कर्मचारी

सुविधाओं के आभाव में जी रहे ग्रामीण काफी निराश रहते हैं. यह गांव ऐसे जगह पर हैं जहां सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी ना के बराबर जाते हैं. इस गांव में यदा कदा नक्सलियों की खोज में पुलिस ही जाती है. हालांकि, पहले के मुकाबले में अब वहां नक्सली गतिविधियां काफी कम हुई है.

2021-22 में प्रभात खबर में खबर छपने के बाद गांव पहुंचे थे अधिकारी

असनापानी गांव में 15 से 20 के करीब आदिवासी परिवार रहते हैं. प्रखंड और पंचायत के अलावा जिला से विकास पहुंची है, लेकिन जो होना चाहिए वह नहीं के वराबर है. 2021-22 में प्रभात खबर में छपी खबर पर पहली बार गोमिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी कपिल कुमार और सीओ सदींप अनुराग टोपनो मेडिकल टीम के साथ गांव पहुंचे थे और लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गयी. नरेगा से चबुतरा आदि विकास के कार्य भी किये गये. सीडीपीओ अल्का रानी ने गांव में मिनी आंगनबाडी केंद्र के संचालन के लिए जिला में पत्राचार किया था.

एक किलोमीटर की दूरी तय कर डाडी का पानी लाती हैं महिलाएं

वर्तमान समय में अहर्ता रखने वाले ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला है, लेकिन अब भी काफी लोगों को वहां आवास दिए जाने की जरूरत है, जो नहीं मिल पाया है. पीने का पानी लाने के लिए महिलाएं डाडी से एक किलोमीटर की दूरी तय कर पानी लाती हैं. गांव में कुआं नहीं है, डाडी का पानी ही पीने के उपयोग में लाते हैं.

बोकारो जिला प्रशासन की ओर से हुई है कुछ पहल

बोकारो जिला प्रशासन की ओर से 2023 में एक किलोमीटर के करीब पीसीसी पथ के निर्माण कराया गया है, जिससे लोगों को आवागमन में काफी राहत मिली है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के लिंक रोड तक पथ का निर्माण होने से काफी लोगों को आवागमन का लाभ मिलेगा. जरूरत है वैसे पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर मूलभूत सुविधाएं बहाल करने की, ताकि ग्रामीण भी सुखमय जीवन व्यतीत कर सके.

क्या है ग्रामीणों की मांग

बता दें कि असनापानी गांव की स्थिति पहले और भी बदहाल थी. अब तो इस क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. प्रखंड की ओर से बीच जंगल में अकेले रह रही महिला को अंबेडकर आवास मिला है, जिससे वह काफी खुश हैं. गांव के शनिचरवा मरांडी, बहाराम सोरेन, सावना मांझी, तालो मांझी, भादो मांझी, आरती देवी, सहदेव मूर्मू, महावीर मांझी ने कहा कि सड़क, पानी के अलावा बिजली बहाल हो जाये तो यहां की तस्वीर ही बदल जायेगी. इस क्षेत्र में पर्यटन विकास की भी असीम सभांवनाएं हैं.

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Jaya Bharti
Jaya Bharti
This is Jaya Bharti, with more than two years of experience in journalistic field. Currently working as a content writer for Prabhat Khabar Digital in Ranchi but belongs to Dhanbad. She has basic knowledge of video editing and thumbnail designing. She also does voice over and anchoring. In short Jaya can do work as a multimedia producer.

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