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झारखंड: ट्रायल के 4 दिन बाद ही गवाई बराज परियोजना की नहर टूट कर गिरी, 131 करोड़ की लगात से हुआ था निर्माण

30 जुलाई को बराज से निकले बायें कैनाल में पानी छोड़कर ट्रायल किया गया था, लेकिन मुख्य नहर से जुड़ी सभी शाखा नहर को लॉक कर दिया गया था. बारिश के कारण पहली शाखा नहर में मेन नहर का पानी लीक करते हुए पहुंच गया

बोकारो: 131 करोड़ रुपये की लागत से बनी बहुप्रतीक्षित गवाई बराज परियोजना की नहर का ट्रायल अभी शुरू ही हुआ था कि गुरुवार को इसका दो मीटर हिस्सा टूट कर बह गया. इतना ही नहीं, कई जगह दरारें भी आ गयी हैं. बड़ी बात यह है कि अब तक पूरी तरह पानी भी नहीं छोड़ा गया है. चास प्रखंड के सिलफोर व डाबरबहाल गांव के बीच सियालगड़ा में नहर टूटी है.

गवाई बराज परियाेजना का इंतजार चास व चंदनकियारी के लोग पिछले 50 साल से कर रहे हैं. चास व चंदनकियारी की 12 पंचायतों के 54 गांवों के 80 हजार किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से परियोजना का जीर्णोद्धार कार्य जल संसाधन विभाग ने हाल ही में पूरा किया था.

30 जुलाई को बराज से निकले बायें कैनाल में पानी छोड़कर ट्रायल किया गया था, लेकिन मुख्य नहर से जुड़ी सभी शाखा नहर को लॉक कर दिया गया था. बारिश के कारण पहली शाखा नहर में मेन नहर का पानी लीक करते हुए पहुंच गया. इससे शाखा नहर में की गयी ढलाई में दरार पड़ती चली गयी. वहीं, एक किनारे को तोड़ते हुए नहर का पानी खेत में चला गया.

देखने तक नहीं पहुंचे अधिकारी :

नहर टूटने की सूचना मिलने के बाद भी जल संसाधन विभाग के अधिकारी और कर्मी मौके पर नहीं पहुंचे. जिस जगह नहर टूटी है, वह मुख्य नहर से करीब 500 मीटर दूर है. नहर की मजबूती का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि ढलाई में बालू ज्यादा ही दिख रहा है.

विभाग ने किसानों पर किया दोषारोपण

जल संसाधन विभाग के तेनुघाट बांध प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुजूर ने पूछे जाने पर बताया कि कुछ ग्रामीणों ने सिंचाई के उद्देश्य से नहर के किनारे ह्यूम पाइप लगा रखा था, जो तेज बारिश होने के कारण भर गया. समय पर ग्रामीण पाइप का मुंह नहीं खोल सके. इस कारण नहर क्षतिग्रस्त हुई है. अभी उस नहर पर ट्रायल चल ही रहा है. निर्माण कार्य में किसी तरह की अनियमितता नहीं बरती गयी है. बहुत जल्द ठीक करा दिया जायेगा.

किसानों को है पानी का इंतजार

चास व चंदनकियारी प्रखंड के किसानों को 50 साल से गवाई बराज से पानी मिलने का इंतजार है. परियोजना के पूर्ण निर्माण में लगभग तीन साल का विलंब हुआ है. 1970 के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन योजना अधूरी पड़ी थी. बराज में दो मुख्य नहर हैं. साथ ही नौ वितरण नहर हैं. बराज से बायें निकली मुख्य नहर की लंबाई 44 किमी व दायीं नहर की लंबाई 10 किमी है. 4636 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई के लिए इसे डिजाइन किया गया है. बराज का जीर्णोद्धार जमशेदपुर के त्रिवेणी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. नहर के साथ बराज के गेट सहित कई काम हुए हैं, लेकिन जिस तरह निर्माण के बाद पहली बारिश में नहर टूटी है, उससे कई सवाल खड़े हो गये हैं.

गवई बराज के क्षतिग्रस्त होने की सूचना नहीं मिली है. ऐसा होना नहीं चाहिए. इसकी जांच करायी जायेगी.

नागेश मिश्र, अभियंता प्रमुख

जल संसाधन विभाग

Prabhat Khabar News Desk
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