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बोकारो में औसत से कम हुई बारिश, इस बार भी मंडरा रहा सुखाड़ का खतरा

बीते वर्ष भी धान सहित अन्य खरीफ फसल की स्थिति भी यही थी. इस वर्ष भी ऐसी ही स्थिति रही तो किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि इस बार जिले में मॉनसून देर से आने के कारण बिचड़ा भी देर से लगा था.

चास (बोकारो), राजू नंदन : बोकारो जिले में लगातार दूसरे वर्ष भी औसत से कम बारिश होने से सुखाड़ का खतरा मंडराने लगा है. फिलहाल जिले में 25 अगस्त तक सिर्फ 7.09 फीसदी ही धान की रोपनी करने में किसानों को सफलता मिली है, जबकि अब तक धान सहित अन्य खरीफ फसल की रोपनी शत-प्रतिशत हो जानी चाहिए थी. कृषि विभाग के अनुसार25 अगस्त तक 208.08 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि बेहतर खरीफ फसल की खेती के लिए 329.03 मिलीमीटर सामान्य से अधिक बारिश जरूरी है. हालांकि, मक्का फसल की बुआई अभी तक 80.10 फीसदी, मोटा अनाज 26.46 फीसदी, दलहन 61.02 फीसदी, तिलहन 52.26 फीसदी बुआई करने में किसानों को सफलता मिली है.

गौरतलब है कि बीते वर्ष भी धान सहित अन्य खरीफ फसल की स्थिति भी यही थी. इस वर्ष भी ऐसी ही स्थिति रही तो किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि इस बार जिले में मॉनसून देर से आने के कारण बिचड़ा भी देर से लगा था. इस कारण अभी भी कई प्रखंडों में किसान धनरोपनी कर रहे हैं. बीते साल जिले में 40.05 फीसदी धनरोपनी करने में सफलता मिली थी. कृषि विभाग के अनुसार जून के पहले व दूसरे सप्ताह में 99 प्रतिशत व तीसरे सप्ताह में 86 प्रतिशत कम बारिश हुई. हालांकि, 21 से 28 जून तक सामान्य बारिश हुई. लगा कि इस साल माॅनूसन की बारिश पिछले साल की सुखाड़ को कम करेगी, लेकिन मौसम का मिजाज बदल गया.

जुलाई के प्रथम सप्ताह में 22 प्रतिशत, दूसरे सप्ताह में 76 प्रतिशत, तीसरे सप्ताह में 52 प्रतिशत व अंतिम सप्ताह में अबतक 33 प्रतिशत कम बारिश हुई. बीते वर्ष भी जिले के सभी प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से चास, चंदनकियारी व चंद्रपुरा को सुखाड़ घोषित नहीं किया गया था. इस कारण इन सभी प्रखंडों में किसानों व जनप्रतिनिधियों में सरकार को प्रति आक्रोश का माहौल था. जबकि इस साल चास व चंदनकियारी के किसान खेत में डाले गये बिचड़ा जानवरों को खिला रहे हैं. वहीं दर्जनों गांवों में रोपनी भी नहीं हो पायी है.

क्या है सही समय

जिले के अधिकांश प्रखंड में औसत से कम बारिश होने के कारण 93.01 फीसदी से अधिक कृषि योग्य भूमि पर अब तक रोपनी नहीं हो पायी है. किसानों व विशेषज्ञाें के अनुसार रोपनी का सही समय एक से 31 जुलाई तक माना जाता है. मॉनसून में देरी या कम बारिश होने से ज्यादातर किसान अगस्त के मध्य तक ही रोपाई करते हैं. जानकारी के मुताबिक इस वर्ष कृषि विभाग की ओर से जिले में 33000 हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि 25 अगस्त तक सिर्फ 2340 हेक्टेयर में धान की रोपनी हो सकी है. जबकि मक्का की खेती 9620 हेक्टेयर भूमि में लक्ष्य रखा गया था, जबकि 7706 हेक्टेयर भूमि में खेती करने में सफलता मिल पायी है. दलहन 19100 हेक्टेयर में से 11654 हेक्टेयर, तेलहन 1240 में से 648 हेक्टेयर व मोटा अनाज 790 हेक्टेयर में से सिर्फ 209 हेक्टेयर में खेती करने में सफलता मिली है.

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किसानों को दिये जा रहे 3500 रुपये

जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने बताया कि लगातार दूसरे वर्ष अच्छी बारिश नहीं होने से धान सहित अन्य खरीफ फसल की स्थिति अच्छी नहीं है. इस कारण धान लगाने का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है. इसे देखते हुए राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में अभी मक्का, सरसों, चना, गेहूं, मूंग की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है, ताकि किसानों को फसल क्षति की भरपाई हो सके. साथ ही किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए प्रत्येक किसानों को 3500 रुपये दिये जा रहे हैं. इसको लेकर सभी प्रखंडों के बीटीएम व एटीएम को आवेदन फॉर्म लेने का निर्देश दिया गया है.

किसानों ने छोड़ी रोपनी की आस खेतों में बिचड़ा चर रहे हैं मवेशी

पिंड्राजोरा. बांग्ला पंचांग के अनुसार सावन माह खत्म हो चुका है. क्षेत्र के किसानों के अनुसार सावन माह तक 99 प्रतिशत धन रोपनी हो जाती है, लेकिन इस साल मौसम की बेरुखी के कारण 10 प्रतिशत किसान भी रोपनी नहीं कर सके हैं. नतीजतन किसान महंगे दाम में खरीदे बिचड़ा को पशु को चराने के लिए मजबूर हैं. किसान लंबोदर महतो, युधिष्ठिर महतो, प्राण कृष्ण महतो, परेश महतो, योगेश्वर महतो, दुखन महतो, रंजीत महतो आदि ने बताया गया कि धान का बिचड़ा किसी काम लायक नहीं रह गया है. बिचड़ा सुखकर लाल हो चुका है. अब यह जानवरों के खाने लायक ही बचा है.

राज्य सरकार से बोकारो को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग की

कम बारिश होने से किसानों की बिगड़ रही स्थिति को देखते हुए भाजपा नेता डॉ प्रकाश सिंह ने राज्य सरकार से बोकारो को सुखाड़ क्षेत्र घोषित व किसानों को वैकल्पिक फसल के लिए बीज व अन्य खर्च मुहैया कराने की मांग की.दूंदीबाग बाजार में बैठक में कहा कि मुख्यमंत्री केवल दलित, आदिवासी की बात कर रहे हैं. दूसरी ओर जिले में मात्र दस प्रतिशत रोपनी हुई है, लेकिन अब तक सुखाड़ घोषित करने की बात नहीं कर रहे हैं. साथ ही किसानों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी गयी है. मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता अवधेश नारायण यादव, प्रहलाद, अजय सिंह आदि मौजूद थे.

प्रखंडवार धान की रोपनी का लक्ष्य व आच्छादन (हेक्टेयर में)

प्रखंड लक्ष्य आच्छादन

  • चास 7592 168

  • चंदनकियारी 5228 115

  • जरीडीह 2468 292

  • कसमार 2203 323

  • पेटरवार 3262 393

  • गोमिया 4964 336

  • बेरमो 641 42

  • नावाडीह 3387 360

  • चंद्रपुरा 3255 311

Nutan kumari
Nutan kumari
Digital and Broadcast Journalist. Having more than 4 years of experience in the field of media industry. Specialist in Hindi Content Writing & Editing.

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