Shravani Mela 2025 Puja Timing: देवघर में हर साल एक महीने तक चलने वाला प्रसिद्ध श्रावणी मेला के लिए बाबा मंदिर में पूजा-अर्चना का समय बदल गया है. श्रावण मास 2025 की शुरुआत के बाद से अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने बाबाधाम में जलार्पण किया है. सावन के महीने में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर कांवर लेकर 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पैदल तय करके बाबाधाम में बाबा बैद्यनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलार्पण करने आते हैं.
सुल्तानगंज से बाबाधाम तक होती है विशेष व्यवस्था
सावन के महीने में सुल्तानगंज से लेकर बाबाधाम तक कांवरियों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है. कांवरिया पथ को सजाया गया है, उस पर गंगा की मिट्टी डाली गयी है, ताकि सुल्तानगंज से जल लेकर चलने वाले शिवभक्तों के पैरों में छाले न पड़ें. उन्हें मखमल पर चलने का अहसास हो.
महादेव का जलाभिषेक करने को आतुर भक्त
दिन-रात बाबा के भक्त कांवर लेकर चलते हैं. बीच-बीच में उनके विश्राम करने की भी व्यवस्था है. बावजूद इसके सभी श्रद्धालु जल्द से जल्द देवघर पहुंचकर अपने आराध्य देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आतुर हैं. इसलिए जानना जरूरी है कि देवघर पहुंचने के बाद बाबा मंदिर में कब पूजा कर पायेंगे. कब से कब तक मंदिर के पट खुले रहेंगे, कब से कब तक जलार्पूपण होगा.
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Shravani Mela: शृंगार पूजा के बाद बंद होता है गर्भगृह
बाबा बैद्यनाथ, जिन्हें मनोकामना लिंग भी कहा जाात है, पर अगर आप जलार्पण करने बाबाधाम जा रहे हैं, तो आपको वहां की पूजा के समय की पूरी जानकारी आपको होनी चाहिए. यह भी जानना चाहिए कि बाबा बैद्यनाथ की शृंगार पूजा कब होती है. शृंगार पूजा के बाद गर्भगृह का पट कब बंद होगा.
सुबह 3:05 बजे खुलता है बाबा बैद्यनाथ का गर्भगृह
बाबा बैद्यनाथ के मंदिर का पट सावन के महीने में सुबह 3:05 बजे खुल जाता है. इसके साथ ही भक्तों के द्वारा बाबा भोलेनाथ पर अरघा के जरिये जलार्पण शुरू हो जाता है. इसलिए कांवरिये और श्रद्धालु रात के 9 बजे तक बाबा को जल चढ़ायेंगे. इसके बाद मंदिर का पट बंद हो जायेगा.
रात के 9:30 बजे तक होती है बाबा की शृंगार पूजा
मंदिर का पट बंद होने के बाद बाबा बैद्यनाथ की शृंगार पूजा शुरू हो जाती है, जो रात के 9:30 बजे तक चलती है. इसके बाद 10:30 बजे गर्भगृह के पट को अगले दिन सुबह 3:05 बजे तक के लिए बंद कर दिया जाता है. इसके बाद सरदारी पूजा होती है और फिर दिन भर भक्तों के द्वारा जलाभिषेक किया जाता है.
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