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धनबाद में 30 फीसदी से अधिक बच्चे कुपोषित, सदर अस्पताल में दो महीने में सिर्फ पांच बच्चों का ही हुआ इलाज

धनबाद जिले में 30 फीसदी से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. इसके बाद भी सदर अस्पताल में दो महीने में सिर्फ पांच बच्चों का ही इलाज हुआ है. डॉ रोहित गौतम ने बताया कि जागरूकता की कमी कुपोषण की बड़ी वजह है.

धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं. ऐसे बच्चों की उचित देखभाल के लिए राज्य सरकार की ओर से जिले के सदर अस्पताल समेत तीन अलग-अलग प्रखंडों में मॉल न्यूट्रिशियन ट्रीटमेंट सेंटर (एमटीसी) का निर्माण किया गया है. यहां कुपोषित बच्चों को भर्ती लेकर उचित चिकित्सा सुविधा के साथ पोषक भोजन मुहैया कराना है. सदर अस्पताल में दो माह पहले एमटीसी की शुरुआत की गई, लेकिन वर्तमान में इस केंद्र की स्थिति खराब है. यहां एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो दो माह में सदर अस्पताल स्थित एमटीसी केंद्र में सिर्फ पांच बच्चों का ही इलाज किया गया. जबकि, जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा है. पूरे राज्य में कुपोषित बच्चों के मामलों में धनबाद 16वें स्थान पर है.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नहीं पहुंच रहे बच्चे
जिले में संचालित एमटीसी के नोडल सह डीआरसीएचओ डॉ रोहित गौतम ने बताया कि कुपोषित बच्चों के नहीं पहुंचने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. सभी स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत इलाकों में कार्यरत सहिया साथी व हेल्थ वर्कर को कुपोषित बच्चों की पहचान कर केंद्र तक लाने का निर्देश दिया गया है. गोविंदपुर, तोपचांची व टुंडी में संचालित एमटीसी में कुपोषित बच्चों की संख्या अच्छी है. सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए टाटा से करार हुआ है. इसके तहत कंपनी अपने संबंधित इलाकों से कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर इलाज के लिए सदर अस्पताल स्थित एमटीसी भेजेगी.

जागरूकता की कमी कुपोषण का मुख्य कारण
डॉ रोहित गौतम ने बताया कि जागरूकता की कमी कुपोषण की बड़ी वजह है. मां का दूध अमृत माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कोयलांचल में जन्म के एक घंटे के अंदर सिर्फ 20.1 फीसदी बच्चों को ही मां का दूध मिल पाता है. चिकित्सकों के मुताबिक, जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पीनेवाले बच्चे कई बीमारियों से बच सकते हैं. बच्चों के लिए छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही काफी होता है. जिन बच्चों को शुरू के छह माह तक मां का दूध नहीं मिलता या कम मिलता है, वे कुपोषित, कमजोर और बीमार हो सकते हैं. बाद में ऐसे बच्चे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग और एलर्जी संबंधी बीमारियों से भी ग्रसित हो जाते हैं.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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