Basukinath Mandir: झारखंड में सावन का महीना काफी खास होता है. यहां भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, जिनका महत्व पवित्र श्रावण मास में बढ़ जाता है. झारखंड के देवघर-दुमका राज्य मार्ग पर स्थित बासुकीनाथ धाम में सावन के दौरान श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. हजारों और लाखों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने बासुकीनाथ मंदिर आते हैं. यह राज्य के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों की लिस्ट में भी शामिल है. इस लेख में आप पढ़ेंगे क्या है बासुकीनाथ मंदिर का वासुकी नाग से संबंध और सावन में मंदिर का महत्व क्यों बढ़ जाता है.
बैद्यनाथ धाम से गहरा नाता

बासुकीनाथ धाम हिंदू धर्म के लोगों का एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जहां लोग तीर्थ करने आते हैं. यह प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. बासुकीनाथ धाम की गिनती वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध शैव-स्थल के रूप में की जाती है. सावन का महीना भगवान शिव का महीना है. ऐसे में पवित्र श्रावण मास में बासुकीनाथ धाम में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है. सावन में बैद्यनाथ धाम की ही तरह बासुकीनाथ धाम का भी महत्व बढ़ जाता है. बाबा धाम आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु बासुकीनाथ धाम में पूजा करने अवश्य आते हैं. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है, जिसके अनुसार बासुकीनाथ में पूजा किये बगैर बैद्यनाथ धाम में की गयी पूजा अधूरी रह जाती है.
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श्रावणी मेला का होता है आयोजन

ऐसे में साहिबगंज के अजगैवीनाथ से जल भरकर पैदल कांवड़ यात्रा करने वाले श्रद्धालु बैद्यनाथ धाम में स्थित ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने के बाद बासुकीनाथ धाम आते हैं. यहां वे भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. इसी के बाद उनकी पूजा-तपस्या पूरी होती है. सावन के शुभ अवसर पर बासुकीनाथ धाम में विशेष श्रावणी मेले का आयोजन भी किया जाता है. बासुकीनाथ धाम मंदिर का इतिहास और संस्कृति हजारों साल पुराना और समृद्ध है. यह मंदिर भारतीय पारंपरिक शैली में बनी एक उत्कृष्ट संरचना है.
समुद्र मंथन से भी जुड़ा है किस्सा

बासुकीनाथ मंदिर का संबंध समुद्र मंथन के काल से भी जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को रस्सी के तरह उपयोग किया गया था. बासुकीनाथ धाम में समुद्र मंथन से पहले वासुकी नाग ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी. इसी वजह से इस स्थान का नाम बासुकीनाथ पड़ गया. हालांकि, बासुकीनाथ धाम को लेकर कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं.
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